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बैंक नेटवर्क हैक कर 86 लाख रुपए नकदी निकालने के मामले में 1 नाइजीरियन सहित 3 गिरफ्तार

राजस्थान एसओजी ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए जालोर नागरिक सहकारी बैंक के विभिन्न खातों से 86 लाख 42 हजार रुपए से अधिक की राशि निकालने वाली गैंग का पर्दाफाश किया है. एसओजी ने कार्रवाई करते हुए एक नाइजीरियन सहित तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है.

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तीन आरोपी गिरफ्तार
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Published : Apr 28, 2021, 10:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान एसओजी (Rajasthan SOG) ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए जालोर नागरिक सहकारी बैंक के विभिन्न खातों से 86 लाख 42 हजार रुपए से अधिक की राशि निकालने वाली गैंग का पर्दाफाश करते हुए एक नाइजीरियन सहित तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है. प्रकरण को लेकर जालोर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड के वरिष्ठ प्रबंधक हरीश ओझा की तरफ से एसओजी मुख्यालय में शिकायत दर्ज करवाई गई थी. इस पर एसओजी ने कार्रवाई करते हुए यूपी निवासी राशिद, जालोर निवासी मुकेश विश्नोई और एक नाइजीरियन ओमारोडियन ब्राइट को गिरफ्तार किया है. गिरफ्त में आए साइबर ठगों ने बैंक के सर्वर को हैक कर पहले उन खाताधारकों की पहचान की, जिनके खातों में मोटी राशि जमा थी.

उसके बाद जिन खाताधारकों की खाते ही में मोटी राशि जमा थी, उनके खातों से राशि निकासी की क्षमता को बढ़ाया और उनके खाते से लिंक मोबाइल नंबरों के स्थान पर अपने मोबाइल नंबर जोड़कर खातों से रुपए ट्रांसफर करने का काम किया. साइबर ठगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 28 बैंक खाते खुलवाए, जिसमें मात्र 2 घंटे में ही 86 लाख रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की गई. 28 अलग-अलग बैंक खातों में राशि ट्रांसफर करने के बाद उन्हें ठगों द्वारा आगे दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया गया. इसी गैंग के द्वारा गुजरात के कोऑपरेटिव बैंक की वेबसाइट को भी हैक कर 50 लाख रुपए की राशि ट्रांसफर की गई.

यह भी पढ़ें: जालोर: रिश्वत खोरी के मामले में 2 कांस्टेबल और एक ASI निलंबित

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सिम जारी करने वाले व्यक्ति से आरोपियों तक पहुंची एसओजी

इस पूरे प्रकरण की एसओजी द्वारा गहनता से जांच की गई और सबसे पहले एसओजी ने बरेली उत्तर प्रदेश से अयूब हसन खान को दस्तयाब किया, जिसने पूछताछ में फर्जी आधार कार्ड और पेन कार्ड बनाने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करीब 20 मोबाइल सिम जारी करवाकर 20 बैंक खाते खुलवाने की बात कबूली. अयूब से हुई पूछताछ के आधार पर पुलिस इसी प्रकार से फर्जी बैंक खाता खुलवाने वाले आरोपी राशिद तक पहुंची. राशिद से हुई पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ, उसने फर्जी बैंक खाते खुलवाकर उन्हें दिल्ली और मुंबई में रहने वाले नाइजीरियन व्यक्तियों को दिया है. जो विभिन्न प्रकार के बड़े साइबर अपराध कर इन खातों में लाखों रुपए की राशि का ट्रांजेक्शन करते हैं.

यह भी पढ़ें: साइबर क्राइम: सरकारी वेबसाइट में सेंध लगाकर फर्जी दस्तावेज बनाने वाले 2 लोग गिरफ्तार

बता दें, राशिद अपना कमीशन काटकर शेष राशि नाइजीरियन व्यक्तियों को खाते से निकालकर दे देता है. राशिद द्वारा पिछले 5 साल में करीब 1000 बैंक खाते साइबर ठगों को उपलब्ध करवाए गए हैं. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाता खुलवाने के जुर्म में राशिद कई बार जेल भी जा चुका है. राशिद की निशानदेही पर उसके एक अन्य साथी मुकेश विश्नोई को सांचौर से गिरफ्तार किया गया. राशिद और मुकेश से हुई पूछताछ के आधार पर एसओजी टीम ने दिल्ली से नाइजीरियन व्यक्ति ओमारोडियन ब्राइट को गिरफ्तार किया. प्रकरण में कुछ अन्य नाइजीरियन नागरिकों की संलिप्तता होने की भी आशंका है, जिनके बारे में गिरफ्त में आए तीनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है.

जयपुर. राजस्थान एसओजी (Rajasthan SOG) ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए जालोर नागरिक सहकारी बैंक के विभिन्न खातों से 86 लाख 42 हजार रुपए से अधिक की राशि निकालने वाली गैंग का पर्दाफाश करते हुए एक नाइजीरियन सहित तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है. प्रकरण को लेकर जालोर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड के वरिष्ठ प्रबंधक हरीश ओझा की तरफ से एसओजी मुख्यालय में शिकायत दर्ज करवाई गई थी. इस पर एसओजी ने कार्रवाई करते हुए यूपी निवासी राशिद, जालोर निवासी मुकेश विश्नोई और एक नाइजीरियन ओमारोडियन ब्राइट को गिरफ्तार किया है. गिरफ्त में आए साइबर ठगों ने बैंक के सर्वर को हैक कर पहले उन खाताधारकों की पहचान की, जिनके खातों में मोटी राशि जमा थी.

उसके बाद जिन खाताधारकों की खाते ही में मोटी राशि जमा थी, उनके खातों से राशि निकासी की क्षमता को बढ़ाया और उनके खाते से लिंक मोबाइल नंबरों के स्थान पर अपने मोबाइल नंबर जोड़कर खातों से रुपए ट्रांसफर करने का काम किया. साइबर ठगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 28 बैंक खाते खुलवाए, जिसमें मात्र 2 घंटे में ही 86 लाख रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की गई. 28 अलग-अलग बैंक खातों में राशि ट्रांसफर करने के बाद उन्हें ठगों द्वारा आगे दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया गया. इसी गैंग के द्वारा गुजरात के कोऑपरेटिव बैंक की वेबसाइट को भी हैक कर 50 लाख रुपए की राशि ट्रांसफर की गई.

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फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सिम जारी करने वाले व्यक्ति से आरोपियों तक पहुंची एसओजी

इस पूरे प्रकरण की एसओजी द्वारा गहनता से जांच की गई और सबसे पहले एसओजी ने बरेली उत्तर प्रदेश से अयूब हसन खान को दस्तयाब किया, जिसने पूछताछ में फर्जी आधार कार्ड और पेन कार्ड बनाने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करीब 20 मोबाइल सिम जारी करवाकर 20 बैंक खाते खुलवाने की बात कबूली. अयूब से हुई पूछताछ के आधार पर पुलिस इसी प्रकार से फर्जी बैंक खाता खुलवाने वाले आरोपी राशिद तक पहुंची. राशिद से हुई पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ, उसने फर्जी बैंक खाते खुलवाकर उन्हें दिल्ली और मुंबई में रहने वाले नाइजीरियन व्यक्तियों को दिया है. जो विभिन्न प्रकार के बड़े साइबर अपराध कर इन खातों में लाखों रुपए की राशि का ट्रांजेक्शन करते हैं.

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बता दें, राशिद अपना कमीशन काटकर शेष राशि नाइजीरियन व्यक्तियों को खाते से निकालकर दे देता है. राशिद द्वारा पिछले 5 साल में करीब 1000 बैंक खाते साइबर ठगों को उपलब्ध करवाए गए हैं. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाता खुलवाने के जुर्म में राशिद कई बार जेल भी जा चुका है. राशिद की निशानदेही पर उसके एक अन्य साथी मुकेश विश्नोई को सांचौर से गिरफ्तार किया गया. राशिद और मुकेश से हुई पूछताछ के आधार पर एसओजी टीम ने दिल्ली से नाइजीरियन व्यक्ति ओमारोडियन ब्राइट को गिरफ्तार किया. प्रकरण में कुछ अन्य नाइजीरियन नागरिकों की संलिप्तता होने की भी आशंका है, जिनके बारे में गिरफ्त में आए तीनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है.

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