जयपुर. दो साल में सात बार कार्यकाल बढ़ने के बाद आखिरकार सामंत कमेटी ने बुधवार को राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. इसके बाद 7वें वेतन आयोग से जुड़ी विसंगति दूर होने और 5वीं अनुसूची के तहत वेतन कटौती संबंधी समाधान करने की कर्मचारियों की उम्मीद फिर से जगी है. हालांकि रिपोर्ट अभी वित्त विभाग के संयुक्त शासन सचिव को सौंपी गई है. इसके बाद रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास जाएगी. उसके बाद ही वेतन विसंगति को लेकर की गई सिफारिशें सामने आएगी.
पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने 17 अक्टूबर 2017 को प्रदेश के कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग का तोहफा दिया था. उसके बाद 30 अक्टूबर 2017 को 7वें वेतन आयोग की अधिसूचना जारी की गई थी. लेकिन जैसे ही कर्मचारियों को इसका लाभ मिला. उसके साथ ही कई विसंगतियां सामने आई. कर्मचारी संगठनों ने इसको लेकर सरकार के सामने विरोध दर्ज कराया. कर्मचारियों के बढ़ते विरोध के बीच सरकार ने 3 नवम्बर 2017 को 7वें वेतनमान में विसंगतियों को दूर करने के लिए डीसी सामंत कमेटी को इसकी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी.
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पूर्व मुख्य सचिव डीसी सामंत की अध्यक्षता में पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने 7वें वेतन आयोग को लागू करने के लिए 23 फरवरी 2017 को 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही 17 अक्टूबर 2017 को तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने प्रदेश के कर्मचारियों को 7वें वेतनमान का लाभ देने की घोषणा की थी. यही वजह थी कि इसमें आई विसंगतियों को लेकर दूर करने की जिम्मेदारी भी डीसी सामंत कमेटी को ही दी गई. उस वक्त डीसी सामंत कमेटी को 3 महीने के भीतर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था. लेकिन उसके बाद कमेटी का सात बार कार्यकाल बढ़ाया गया. अब 31 जुलाई को कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार करके सौंप दी है.
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सामंत कमेटी द्वारा राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपने के साथ ही प्रदेश के कर्मचारियों में खुशी की लहर है. कर्मचारी नेताओं के अनुसार रिपोर्ट कंप्लायंस होने के साथ ही प्रदेश के कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. कमर्चारी एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि देर आए दुरस्त आए लेकिन सामंत कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है. अब उम्मीद है कि गहलोत सरकार कमेटी की सिफारिशों को जल्द लागू कर कर्मचारियों को लाभ देगी.
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दरअसल गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में विभिन्न कैडर के कर्मचारियों को एडिशनल प्रमोशन के लिए ग्रेड पर रिवाइज की गई थी. इसके बाद सत्ता में आई राजे सरकार ने वित्त विभाग में कुछ मामलों में प्रमोशन के पद कम कर दिए थे. वहीं कुछ मामलों में ग्रेड पर रिवाइज के फैसले को यह कहते हुए बदल दिया था कि इसमें नियमों की पालना नहीं की गई थी. बदलती सरकारों के बीच कर्मचारियों के कैडर और पे स्केल में बदलाव होते रहे. इसकी वजह से वेतन विसंगति भर्ती चली गई. डीसी सामंत कमेटी से कर्मचारियों को बहुत कुछ उम्मीदें हैं. ऐसे में अब देखना होगा डीसी सामंत कमेटी की रिपोर्ट में कर्मचारियों की डिमांड कितनी पूरी होती है.