जयपुर. पाकिस्तान में हमारे बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. हमारी बच्चियों को आए दिन उठा लिया जाता था और स्कूलों में भी हिंदुओं के बच्चों के साथ भेदभाव होता था. उन्हें स्कूलों में धर्म परिवर्तन और इस्लाम की शिक्षा दी जाती थी. इसीलिए हम लोगों ने भारत आने का निर्णय किया ताकि बच्चों को अच्छे संस्कार दे सकें. यह कहना है पाक विस्थापितों का जिन्हें शुक्रवार को जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में भारतीय नागरिकता दी गई.
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जयपुर जिला प्रशासन ने 7 पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता दी. पाक विस्थापितों ने भारतीय नागरिकता नहीं मिलने से आने वाली समस्याओं के बारे में भी बताया. भारतीय नागरिकता पाने वाले गोवर्धन दास ने बताया कि वह पिछले 9 साल से भारत में रह कर भारतीय नागरिकता पाने का प्रयास कर रहा था. वह पंजाब के रहीमयार खान डिस्ट्रिक्ट में रहता था. वहां हिंदू के बच्चे किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं थे.
बच्चों के साथ होता था भेदभाव
गोवर्धन दास ने बताया कि आए दिन हिंदुओं की बच्चियों को उठा लिया जाता था और धर्म परिवर्तन करवा दिया जाता था. स्कूलों में भी हिंदुओं के बच्चों के साथ भेदभाव होता था. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से हिंदू धर्म के बीच पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं है, इसीलिए हम लोग भारत आए थे ताकि अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित कर सकें और उन्हें अच्छे संस्कार दे सकें.
नागरिकता मिलने से परेशानियां दूर होगी
उन्होंने बताया कि अब तक जयपुर में 170 पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता दी जा चुकी है और इसमें निमित्तेकम संस्था का एक अहम योगदान रहा है. उसने बताया कि अभी उनके परिवार में पति और पत्नी को ही भारतीय नागरिकता मिली है, अभी बच्चों को भारतीय नागरिकता मिलना शेष है. भारतीय नागरिकता नहीं मिलने के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था. अब वही परेशानियां दूर हो सकेगी.
सरकार का जताया आभार
पाकिस्तान के खानपुर तहसील डिस्ट्रिक्ट रहीमयार से भारत आए जवाहर राम ने बताया कि वे 2006 में भारत आए थे और अभी मानसरोवर में रह रहे हैं. उन्होंने भारतीय नागरिकता मिलने पर भारत सरकार का आभार जताया. जवाहर राम ने कहा कि भारतीय नागरिकता नहीं मिलने के कारण उन्हें कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. बच्चों की पढ़ाई, मकान मिलने और वीजा अवधि बढ़ाने को लेकर परेशानियां आ रही थी अब यह सभी परेशानियां दूर हो जाएगी.
पाकिस्तान में सबसे बड़ी परेशानी बच्चों की पढ़ाई
जवाहर राम ने कहा कि अभी उनके बच्चों को भारतीय नागरिकता मिलना बाकी है और जल्द ही उनके लिए भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया जाएगा. भारतीय नागरिकता पाने वाले गणेश चंद्र ने कहा मैं रहीम यार खान से भारत आया था और आज भारतीय नागरिकता पाकर बहुत खुश हूं. वहां सबसे बड़ी परेशानी बच्चों की पढ़ाई को लेकर था.
धर्म परिवर्तन की दी जाती थी शिक्षा
गणेश चंद्र ने कहा कि वहां बच्चों को धर्म परिवर्तन की शिक्षा दी जाती थी, जिसके कारण हमें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा. उन्होंने बताया कि अभी हमारे परिवार में भी बच्चों को भारतीय नागरिकता मिलना बाकी है. भारतीय नागरिकता मिलने के बाद भी बच्चे अच्छे से पढ़ सकेंगे और मकान सहित अन्य जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.