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जयपुरः ऑपरेशन के लिए रिश्वत लेने वाले चिकित्सक को 3 साल की सजा, 40 हजार का जुर्माना - ऑपरेशन के लिए रिश्वत

एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 ने बच्ची के ऑपरेशन के लिए रिश्वत मांगने वाले जेके लोन अस्पताल के तत्कालीन सर्जिकल यूनिट हेड डॉ. श्यामबिहारी शर्मा को तीन साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त चिकित्सक पर 40 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : Apr 1, 2021, 10:09 PM IST

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 ने बच्ची के ऑपरेशन के लिए रिश्वत मांगने वाले जेके लोन अस्पताल के तत्कालीन सर्जिकल यूनिट हेड डॉ. श्यामबिहारी शर्मा को तीन साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त चिकित्सक पर 40 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त पेशे से चिकित्सक है, जिसका काम लोगों का जीवन बचाना है, लेकिन उसने रुपए के लालच में ऑपरेशन को स्थगित किया, जो अपराध की गंभीरता को दर्शाता है.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL : असम चुनाव में अलवर के कांग्रेस नेताओं का दबदबा...भंवर जितेंद्र सिंह पर है बड़ी जिम्मेदारी

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि रामस्वरूप जाट ने 5 अक्टूबर 2009 को एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उसके मामा की पोती के लीवर में गांठ के इलाज के लिए वह अभियुक्त चिकित्सक से मिला था. अभियुक्त ने एक अक्टूबर को उसे बुलाकर ऑपरेशन करना बताया और बदले में 4 हजार रुपए रिश्वत मांगी, इस पर परिवादी ने एक हजार रुपए दे दिए. परिवादी की ओर से शेष तीन हजार रुपए नहीं देने पर अभियुक्त ने बच्ची का ऑपरेशन टाल दिया. वहीं, रिपोर्ट पर एसीबी ने कार्रवाई करते हुए 6 अक्टूबर को अभियुक्त को दो हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 ने बच्ची के ऑपरेशन के लिए रिश्वत मांगने वाले जेके लोन अस्पताल के तत्कालीन सर्जिकल यूनिट हेड डॉ. श्यामबिहारी शर्मा को तीन साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त चिकित्सक पर 40 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त पेशे से चिकित्सक है, जिसका काम लोगों का जीवन बचाना है, लेकिन उसने रुपए के लालच में ऑपरेशन को स्थगित किया, जो अपराध की गंभीरता को दर्शाता है.

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अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि रामस्वरूप जाट ने 5 अक्टूबर 2009 को एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उसके मामा की पोती के लीवर में गांठ के इलाज के लिए वह अभियुक्त चिकित्सक से मिला था. अभियुक्त ने एक अक्टूबर को उसे बुलाकर ऑपरेशन करना बताया और बदले में 4 हजार रुपए रिश्वत मांगी, इस पर परिवादी ने एक हजार रुपए दे दिए. परिवादी की ओर से शेष तीन हजार रुपए नहीं देने पर अभियुक्त ने बच्ची का ऑपरेशन टाल दिया. वहीं, रिपोर्ट पर एसीबी ने कार्रवाई करते हुए 6 अक्टूबर को अभियुक्त को दो हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

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