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विधायकों के आवास बने गले की फांस, नए पर खर्च होंगे 230 करोड़...फिर भी पुरानों के रेनोवेशन पर बहाया जा रहा पैसा

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Published : Feb 5, 2020, 9:09 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 11:21 PM IST

प्रदेश के विधायकों नए 4 बीएचके फ्लेट्स देने के लिए मल्टिस्टोरी बिल्डिंग का निर्माण विधायक नगर पश्चिम में किया जाएगा. यहां डेढ़ सौ से ज्यादा फ्लैट बनेंगे, जहां विधायकों को शिफ्ट किया जाना है. वहीं, सरकार पहले से जहां विधायक रह रहे हैं, उन आवासों को बेचने जा रही है लेकिन फिर भी उनका रेनोवेशन का काम समझ से परे है. पढ़ें से स्पेशल रिपोर्ट...

विधायकों के नए फ्लैट्स, MLA Housing
new flats for MLA

जयपुर. प्रदेश की सरकार सभी विधायकों के लिए सरकारी आवास की सुविधा मुहैया करवाती है. वर्तमान में बात करें तो विधायकों को गांधीनगर, विधायक नगर पूर्व, विधायक नगर पश्चिम, जालूपुरा और विधायक पुरी में सरकारी आवास आवंटित किए हैं. लेकिन अब सरकार चाहती है कि मंत्रियों के अलावा जितने भी विधायक हैं उन्हें एक ही बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाए.

विधायकों के लिए नए फ्लैट्स पर खर्च होंगे 230 करोड़, फिर बिकने वाले बंगलों के रेनोवेशन क्यों

सरकार ने हाल ही में विधायक नगर पश्चिम और जालूपुरा स्थित सरकारी बंगलों में रह रहे जनप्रतिनिधियों को मकान खाली करने के नोटिस दे दिए हैं. जहां विधायक नगर पश्चिम में 56 विधायकों और जालूपुरा में 28 विधायकों को आवंटित सरकारी आवास एक महीने में खाली करना है. इनमें से जालूपुरा के 28 सरकारी बंगले जो 1000 वर्ग गज से भी ज्यादा है, उन्हें बेचकर मिलने वाले पैसे से विधायक नगर पश्चिम में डेढ़ सौ से ज्यादा 4 बीएचके फ्लैट बनाए जाएंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट में करीब 230 करोड रुपए खर्च होने हैं, जो जालूपुरा के सरकारी आवासों को बेचकर ही चुकाए जाएंगे.

अब सवाल यह कि इधर तो विधायकों को आवास खाली करने के नोटिस दे दिए हैं और उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के लिए रेंट के तौर पर 30 हजार रुपए मासिक दिए जाएंगे जब तक कि नए फ्लैट्स बन नहीं जाते. वहीं, उधर जिन आवासों को खाली करवाने के आदेश सरकार ने दिए हैं, उनके रिनोवेशन पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. जबकि इन्हें बेचा जाएगा.

पढ़ेंः बीकानेर लैंड डील केस : मनमाफिक तारीख लेने के बावजूद रॉबर्ट वाड्रा के वकील नहीं पहुंचे कोर्ट, अब 5 मार्च को अगली सुनवाई

वहीं, अब विधायकों के लिए भी समस्या यह भी आ गई है कि अगर वे एक माह में आवास खाली करते हैं तो अचानक कहां शिफ्ट होंगे. हालांकि विधायकों से मौजूदा आवास खाली करने के साथ ही सरकार नए फ्लैट मिलने तक अपनी पसंद के आवास विकल्प भी बताने के लिए कहा है. सरकार के इस आदेश बाद भी ज्यादातर विधायक यह नहीं चाहते कि वे अपना वर्तमान आवास खाली करें.

इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि जालूपुरा में जो सरकारी आवास हैं वो बंगलानुमा हैं और अच्छा स्पेस भी है. वहीं, इनके रेनोवेशन का काम भी विधायक अपनी मर्जी से करवा रहे हैं. कई विधायकों ने तो अपने खर्च पर भी निर्माण कार्य कराए हैं. अब जब सरकार इन्हें बेचने जा रही है तो ऐसे में रिनोवेशन पर खर्च हुआ पैसा व्यर्थ होना तय है. हालात यह है कि कुछ बंगलों में तो अब भी रिनोवेशन का काम चल रहा है.

पढ़ेंः सरकार पर भारी अफसरशाही! अधिकारियों ने रिपोर्ट नहीं दी तो मंत्रिमंडल सब कमेटी ने समीक्षा करने से किया इनकार

अब यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि अगर जालूपुरा के बंगले बेचने ही हैं तो इनके रिनोवेशन पर खर्चा क्यों किया जा रहा है. इस मामले पर प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि रेनोवेशन के काम तो चलते रहते हैं. भले ही सरकार के मंत्री ने तो आसानी से कह दिया कि इस तरह के काम चलते रहते हैं लेकिन इन बंगलों पर इनोवेशन के नाम पर मोटा पैसा खर्च हुआ है. ऐसे में यह सरकारी पैसे की बर्बादी नहीं तो और क्या है.

जयपुर. प्रदेश की सरकार सभी विधायकों के लिए सरकारी आवास की सुविधा मुहैया करवाती है. वर्तमान में बात करें तो विधायकों को गांधीनगर, विधायक नगर पूर्व, विधायक नगर पश्चिम, जालूपुरा और विधायक पुरी में सरकारी आवास आवंटित किए हैं. लेकिन अब सरकार चाहती है कि मंत्रियों के अलावा जितने भी विधायक हैं उन्हें एक ही बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाए.

विधायकों के लिए नए फ्लैट्स पर खर्च होंगे 230 करोड़, फिर बिकने वाले बंगलों के रेनोवेशन क्यों

सरकार ने हाल ही में विधायक नगर पश्चिम और जालूपुरा स्थित सरकारी बंगलों में रह रहे जनप्रतिनिधियों को मकान खाली करने के नोटिस दे दिए हैं. जहां विधायक नगर पश्चिम में 56 विधायकों और जालूपुरा में 28 विधायकों को आवंटित सरकारी आवास एक महीने में खाली करना है. इनमें से जालूपुरा के 28 सरकारी बंगले जो 1000 वर्ग गज से भी ज्यादा है, उन्हें बेचकर मिलने वाले पैसे से विधायक नगर पश्चिम में डेढ़ सौ से ज्यादा 4 बीएचके फ्लैट बनाए जाएंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट में करीब 230 करोड रुपए खर्च होने हैं, जो जालूपुरा के सरकारी आवासों को बेचकर ही चुकाए जाएंगे.

अब सवाल यह कि इधर तो विधायकों को आवास खाली करने के नोटिस दे दिए हैं और उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के लिए रेंट के तौर पर 30 हजार रुपए मासिक दिए जाएंगे जब तक कि नए फ्लैट्स बन नहीं जाते. वहीं, उधर जिन आवासों को खाली करवाने के आदेश सरकार ने दिए हैं, उनके रिनोवेशन पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. जबकि इन्हें बेचा जाएगा.

पढ़ेंः बीकानेर लैंड डील केस : मनमाफिक तारीख लेने के बावजूद रॉबर्ट वाड्रा के वकील नहीं पहुंचे कोर्ट, अब 5 मार्च को अगली सुनवाई

वहीं, अब विधायकों के लिए भी समस्या यह भी आ गई है कि अगर वे एक माह में आवास खाली करते हैं तो अचानक कहां शिफ्ट होंगे. हालांकि विधायकों से मौजूदा आवास खाली करने के साथ ही सरकार नए फ्लैट मिलने तक अपनी पसंद के आवास विकल्प भी बताने के लिए कहा है. सरकार के इस आदेश बाद भी ज्यादातर विधायक यह नहीं चाहते कि वे अपना वर्तमान आवास खाली करें.

इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि जालूपुरा में जो सरकारी आवास हैं वो बंगलानुमा हैं और अच्छा स्पेस भी है. वहीं, इनके रेनोवेशन का काम भी विधायक अपनी मर्जी से करवा रहे हैं. कई विधायकों ने तो अपने खर्च पर भी निर्माण कार्य कराए हैं. अब जब सरकार इन्हें बेचने जा रही है तो ऐसे में रिनोवेशन पर खर्च हुआ पैसा व्यर्थ होना तय है. हालात यह है कि कुछ बंगलों में तो अब भी रिनोवेशन का काम चल रहा है.

पढ़ेंः सरकार पर भारी अफसरशाही! अधिकारियों ने रिपोर्ट नहीं दी तो मंत्रिमंडल सब कमेटी ने समीक्षा करने से किया इनकार

अब यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि अगर जालूपुरा के बंगले बेचने ही हैं तो इनके रिनोवेशन पर खर्चा क्यों किया जा रहा है. इस मामले पर प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि रेनोवेशन के काम तो चलते रहते हैं. भले ही सरकार के मंत्री ने तो आसानी से कह दिया कि इस तरह के काम चलते रहते हैं लेकिन इन बंगलों पर इनोवेशन के नाम पर मोटा पैसा खर्च हुआ है. ऐसे में यह सरकारी पैसे की बर्बादी नहीं तो और क्या है.

Intro:विधायकों को प्रदेश में मिलेंगे नई फ्लैट विधायक नगर पश्चिम में डेढ़ सौ से ज्यादा बनेंगे फ्लैट लेकिन सवाल यह कि जब योजना पहले से थी तैयार तो फिर विधायकों को अलॉट ही क्यों किए गए जालूपुरा और विधायक नगर पश्चिम में आवास जिसमें हुआ करोड़ों का रिनोवेशन में पैसा खर्च अब भी हालात है कि कई सरकारी आवासों में चल रहा है रिनोवेशन का काम ऐसे में टूटने वाले और बिकने वाले सरकारी आवासों पर रिनोवेशन का पैसा गया जाया


Body:प्रदेश की सरकार सभी विधायकों के लिए सरकारी आवास की सुविधा मुहैया करवाती है। वर्तमान में बात करें तो विधायकों को गांधीनगर, विधायक नगर पूर्व, विधायक नगर पश्चिम, जालूपुरा और विधायक पुरी में सरकारी आवास आवंटित किए गए हैं। लेकिन अब सरकार चाहती है कि मंत्रियों के अलावा जितने भी विधायक हो उन्हें एक ही बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाए ऐसे में विधायक नगर पश्चिम में डेढ़ सौ से ज्यादा फ्लैट बनाने का प्लान तैयार हो चुका है ।इसके लिए सरकार ने विधायक नगर पश्चिम और जालूपुरा के बंगलों में रह रहे जनप्रतिनिधियों को मकान खाली करने के नोटिस भी दे दिए हैं। विधायक नगर पश्चिम में रहने वाले 56 विधायकों और जालूपुरा में रहने वाले 28 विधायकों को अपने आवास 1 महीने में खाली करने का नोटिस भी इन विधायकों को विधान सभा सचिवालय की ओर से जारी कर दिया गया है ।इनमें से जालूपुरा के 28 सरकारी बंगले जो 1000 वर्ग गज से भी ज्यादा है उन्हें बेचा जाएगा और उनसे मिलने वाले पैसे से विधायक नगर पश्चिम में डेढ़ सौ से ज्यादा 4 बीएचके फ्लैट बनाए जाएंगे । इस पूरे प्रोजेक्ट में करीब 230 करोड रुपए खर्च होने हैं जो जालूपुरा के सरकारी आवासों को बेचकर ही मिलेंगे।

सवाल यह कि जब प्रोजेक्ट का विभागों को पता था तो फिर पहले ही विधायकों को क्यों नहीं दिया गया अभी जैसा ऑप्शन जिसके तहत विधायकों को सरकारी आवास नहीं मिलने पर दिए जाएंगे ₹30000 ऐसा पहले होता तो बस जाते रिनोवेशन में लगे करोड़ों रुपए अब भी जालूपुरा में कई मकानों का चल रहा है रिनोवेशन जो इन सरकारी मकानों के बिकने के बाद हो जाएगा पूरी तरीके से व्यर्थ
अब विधायकों के लिए भी समस्या यह आ गई है कि वह 1 महीने में अगर फ्लैट खाली करते हैं तो फिर अचानक वह शिफ्ट कहां होंगे ।विधायकों से मौजूदा आवास खाली करने के साथ ही सरकार ने विधायकों को नए फ्लैट मिलने तक आवास के लिए अपनी पसंद का विकल्प भी बताने के लिए कहा है। हालांकि ज्यादातर विधायक यह नहीं चाहते कि अपना वर्तमान आवास खाली करें, खासतौर पर जालूपुरा के विधायकों को मिलने वाले बड़े बंगले क्योंकि इन बंगलों पर विधायकों ने बड़े चाव से रिनोवेशन करवाया था कई विधायकों ने तो अपने खर्च पर भी निर्माण कार्य कराया था। लेकिन जब सरकार इन्हें बेचने जा रही है तो ऐसे में रिनोवेशन पर खर्च हुआ ऐसा व्यर्थ होना तय है। हालात यह है कि कुछ बंगलों में तो अब भी रिनोवेशन का काम चल रहा है जबकि आदेश इन बंगलों को खाली करने के चुके हैं। यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि अगर रिस्ट्रक्चर प्लान में जालूपुरा के बंगले बेच नहीं है तो इनके रिनोवेशन पर खर्चा क्यों किया जा रहा है? हालांकि मंत्री शांति धारीवाल ने इस मामले पर कहा की वो रेनोवेशन के काम तो चलते रहते हैं ।
वॉक थ्रू अजीत जालूपुरा के आवास से जहां पर अभी रिनोवेशन का काम चल रहा है
बाइट शांति धारीवाल यह बाइट मोजो से डिलीट हो गई थी ऐसे में मेल पर भेजी गई है


Conclusion:भले ही सरकार के मंत्री ने तो आसानी से कह दिया कि इस तरह के काम चलते रहते हैं लेकिन इन बंगलों पर इनोवेशन के नाम पर मोटा पैसा खर्च हुआ है जालूपुरा के 28 बंगले हैं तो साथ ही विधायक नगर पश्चिम में 56 विधायकों के आवास हैं जिन पर 2 लाख से लेकर 5 लाख रुपए रिनोवेशन के नाम पर खर्च हुआ है ऐसे में करीब ढाई करोड रुपए रिनोवेशन के नाम पर खर्च हुए हैं जो पूरी तरीके से व्यर्थ हो जाएंगे
Last Updated : Feb 5, 2020, 11:21 PM IST
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