जयपुर. प्रदेश में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड की कमी पड़ने लगी है. केंद्र सरकार की ओर से पिछले वर्ष रेलवे के साथ मिलकर एक बड़ा कदम उठाते हुए देश के अंतर्गत कई ट्रेनों को आइसोलेशन कोच बनाए गए थे. उत्तर-पश्चिम रेलवे की ओर से ट्रेनों की बोगियों को बदलकर 202 आइसोलेशन वार्ड भी बनाए गए थे, जो अभी धूल फांक रहे हैं.
केबिन में यह है व्यवस्था
प्रत्येक केबिन के अंतर्गत डस्टबिन, डिस्पोजल, बेड, चादर ,तौलिया, थाली, प्लेट, गिलास आदि की व्यवस्था की गई है. गेट, खिड़की को मच्छरदानी से पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. एक कोच में डॉक्टर और नर्स के अलावा 16 बेड की व्यवस्था भी की गई है, जिससे किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हो.
4000 से अधिक रख सकते हैं मरीज
कोरोना संक्रमण के बढ़ने के कारण रेल मंत्रालय ने देश के विभिन्न रेलवे जोनों को 20,000 से ज्यादा ट्रेन के कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील का निर्णय लिया था. उत्तर-पश्चिम रेलवे जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर को आइसोलेशन वार्ड की जिम्मेदारी दी थी. ऐसे में उत्तर-पश्चिम रेलवे ने 202 आइसोलेशन वार्ड बना लिए थे, जिसमें करीब 4000 से अधिक मरीजों को आइसोलेट करने के इंतजाम किए गए थे.
202 कोच राजस्थान में लेकिन उपयोग में एक भी नहीं
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर-पश्चिम रेलवे में 202 कोच तैयार खड़े हैं. जयपुर में 22, गोदाम और गोविंदगढ़ में 41, जोधपुर में 33, अजमेर में 83 और बीकानेर मंडल में 39 कोच खड़े हैं. इस बार इन्हें यात्रियों का नहीं बल्कि मरीजों का इंतजार है. फिलहाल, राज्य सरकार ने रेलवे से मांग तो दूर बैठक तक नहीं की है.
बीते साल एसएमएस अस्पताल की टीम ने ड्रेनेज सिस्टम मैनपावर प्लेसमेंट जैसे कई मुद्दों पर असहमति जताई थी. इन्हें उपयोगी नहीं होना बताया गया था. ऐसे में सरकार ने इसे ही आधार मान लिया है, जबकि उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित कई राज्य सरकारों ने कोरोना के गंभीर मरीजों को रेलवे की ओर से बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती भी किए गए थे.
ऑक्सीजन की भी गंभीर समस्या
बता दें कि इन कोचों के अंतर्गत ऑक्सीजन की सप्लाई और उचित जगह खड़ा करना भी एक बड़ी समस्या है. सरकार की ओर से अस्पतालों में ही ऑक्सीजन की आपूर्ति करना एक बड़ी चुनौती है. वहीं, इन कोचों को उन्ही जगह खड़ा किया जा सकता है, जहां चार्जिंग और पानी भरे जाने की उपयुक्त व्यवस्था भी हो. जयपुर के अलावा यह व्यवस्था बड़े स्टेशनों पर संभव है. ऐसे में रेलवे इसकी उपयुक्त व्यवस्था करता है तो कोरोना वायरस के माइल्ड पेशेंट को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के माध्यम से भी ऑक्सिजन की पूर्ति की जा सकती है.