जयपुर. राजस्थान विधानसभा का इसे अजीब संयोग माने या कुछ और लेकिन एक बार फिर 5 साल पूरे होने से पहले राजस्थान विधानसभा के सदस्यों का आंकड़ा 200 से कम हो गया है. सहाड़ा विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद अब 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 199 सदस्य ही रह गए हैं. राजस्थान विधानसभा के मौजूदा भवन में ये स्थिति आज से नहीं बल्कि करीब 20 साल से है.
राजस्थान विधानसभा में किसी भी कार्यकाल में निर्वाचित सभी 200 सदस्यों ने पूरे 5 साल नहीं पूरे किए हैं. मतलब किसी ना किसी कारण से 200 सदियों की संख्या कम होती रही है. मौजूदा कार्यकाल में पिछले लोकसभा चुनाव में दो सीटे विधानसभा की खाली हो गई थी. 2 विधायकों के लोकसभा चुनाव जीतने के कारण सदन की संख्या 198 रह गईं. जिसके बाद उपचुनाव के जरिए यह सीटें भरी तो अब मौजूदा विधायक त्रिवेदी के निधन के बाद फिर सीट खाली हो गई है. जो आगे 6 महीने के भीतर उपचुनाव के जरिए भरी जाएगी.
2018 में बसपा प्रत्याशी की मौत से 199 सदस्य रह गए
साल 2018 में विधानसभा चुनाव हुआ था. उस दौरान रामगढ़ सीट के बसपा प्रत्याशी की मौत के कारण 199 सीटों पर ही चुनाव हुए और विधानसभा का पहला सत्र हुआ, उसमे भी 199 सदस्य बैठे. हालांकि, बाद में रामगढ़ सीट पर बाद में हुए चुनाव पर कांग्रेस ने बाजी मारते हुए साफिया जुबेर को विधानसभा तक पहुंचाया लेकिन उसके बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल और भाजपा के नरेंद्र कुमार संसद पहुंच गए. जिससे सीट 200 सदस्य की संख्या 198 रह गई. हालांकि, बाद में उपचुनाव के बाद इन सीट पर सदस्य चुने गए लेकिन अब एक बार फिर मौजूदा कार्यकाल में ही विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद विधानसभा में 200 सदस्यों का आंकड़ा कम होकर 198 गया.
बीते दो दशक का रहा इतिहास, इस्तीफा या निधन के बाद खाली होती रही सीट
राजस्थान विधानसभा के मौजूदा भवन का बीते दो दशकों का इतिहास रहा है कि यहां शुरुआत में जीत कर आने वाले सभी विधायक पूरे 5 साल तक एक साथ सदन में नहीं बैठ पाए. मतलब किसी ना किसी कारणों से इनकी संख्या कम होती रही.
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कभी विधायकों की मौत के कारण तो कभी सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण 200 विधायक 5 साल तक एक साथ विधानसभा में नहीं बैठ पाए. इस दौरान कुछ मौके ऐसे भी आए जब विधायकों को जेल भी जाना पड़ा. जिसके चलते भी सीट भरी होने के बावजूद सदन में खाली रही.
साल 2001 से ज्योति नगर नए भवन में संचालित विधानसभा, ये रहा है इतिहास -
साल 2001 में ज्योति नगर में विधानसभा का नया भवन तैयार हुआ और तब से यहां विधानसभा भी शिफ्ट हो गई लेकिन इसके साथ ही शुरू हुआ एक अजीब संयोग, जो पिछले करीब 20 साल से जारी है. यहां एक साथ दो सौ विधायक पूरे 5 साल मौजूदा भवन में नहीं बैठ पाए. नए भवन में शिफ्टिंग के दौरान ही तत्कालिक दो विधायकों की मौत हो गई. जिसमें भीमसेन चौधरी और भीखाभाई शामिल थे.
साल 2002 में कांग्रेस विधायक किशन मोटवानी और विधायक जगत सिंह दायमा का निधन हो गया. साल 2004 में तत्कालिक गहलोत सरकार में मंत्री रहे रामसिंह विश्नोई की भी मृत्यु हो गई. साल 2005 में विधायक अरुण सिंह और 2006 में नाथूराम आहारी स्वर्गवासी हो गए. इसी तरह 2008 से 2013 के सदन का कार्यकाल तो कई विधायकों के लिए खराब ही रहा. उस समय मौजूदा भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ और दारा सिंह एनकाउंटर मामले में जेल गए.
वहीं तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री महिपाल मदेरणा चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड के चलते जेल पहुंच गए. कुछ ही समय बीता की गहलोत सरकार के मंत्री बाबूलाल नागर भी दुष्कर्म के मामले में जेल चले गए. कुछ लोग इसे मौजूदा विधानसभा भवन के वास्तु दोष भी मानते हैं तो कुछ मौजूदा विधायकों के उनके कर्मों का फल बताते हैं.
2014 में फिर इतिहास दोहराया
साल 2014 के आम चुनाव में प्रदेश के कुछ मौजूद विधायक सांसद का चुनाव लड़े और जिसके चलते विधानसभा सदन में मौजूदा सदस्यों की संख्या कम हो गई. हालांकि, उपचुनाव में वापस सीटें भर गई लेकिन बसपा के तत्कालीन विधायक बाबूलाल कुशवाह जेल चले गए.
राजस्थान विधानसभा का पिछला इतिहास बताता है चाहे भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी हो या धर्मपाल चौधरी और कल्याण सिंह इनका भी विधायक रहते हुए ही निधन हुआ. इसके चलते विधानसभा में 200 विधायकों की संख्या कम हो गई.
सदन में भी उठी मांग हो विधानसभा परिसर की शुद्धि
कई बार राजस्थान विधानसभा में सदन के सदस्यों ने ही यह मांग भी उठाई कि नए विधानसभा भवन में वास्तु दोष है तो कोई यहां भूतों के और आत्माओं के साया होने की चर्चा भी हुआ है. यह चर्चा विधानसभा के बाहर ही नहीं बल्कि सदन के भीतर भी हुई और मीडिया की सुर्खियां भी बनी विधानसभा परिसर के वास्तु दोष और आत्माओं के सहायक की बात करने वाले कुछ विधायक अभी भी सदन के सदस्य हैं.