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नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को 20 साल का कारावास - अयोग्य निदेशकों की सूची

पॉक्सो न्यायालय ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को 20 साल की कठोर सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत में मानसरोवर निवासी इस अभियुक्त पर एक लाख 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

जयपुर समाचार, jaipur news
पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत
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Published : Aug 11, 2020, 8:18 PM IST

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 महानगर द्वितीय ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त रिंकू चौधरी को 20 साल की कठोर सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत में मानसरोवर निवासी इस अभियुक्त पर एक लाख 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि साल 2015 में पीड़िता गोपालपुरा बाईपास स्थित एक कोचिंग सेंटर में जाती थी. एक दिन रास्ते में उसके मकान मालिक का लड़का अभियुक्त रिंकू मिला और उसे घुमाने के बहाने चांदपोल ले गया. यहां एक होटल में अभियुक्त ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया.

वहीं, बाद में भी अभियुक्त ने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया, जिसके चलते वह गर्भवती हो गई. 7 अक्टूबर 2015 को पीड़िता के परिजनों को घटना की जानकारी मिली. इस पर परिजनों की ओर से मानसरोवर थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को 8 अक्टूबर को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.

जयपुर समाचार, jaipur news
हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

अयोग्य निदेशकों की सूची में पूर्व आईएएस का नाम शामिल करने हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

राजस्थान हाईकोर्ट ने कंपनीज रजिस्ट्रार की ओर से जारी की गई अयोग्य निदेशकों की सूची में पूर्व आईएएस श्रीमत पांडे का नाम शामिल किया गया था, जिस पर राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने रजिस्ट्रार के आदेश पर अंतरिम रोक भी लगा दी है. यह आदेश न्यायाधीश महेंद्र गोयल ने श्रीमत पांडे की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें- बसपा विधायकों के दल-बदल मामले में बहस अधूरी, अब 13 को होगी सुनवाई

याचिका में अधिवक्ता संदीप तनेजा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को राज्य सरकार ने साल 2006 से साल 2010 तक जयपुर मेटल में निदेशक पद पर तैनात किया था. वहीं, कंपनी की ओर से रिटर्न फाइल नहीं करने के आधार पर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने साल 2017 में याचिकाकर्ता को अयोग्य निदेशकों की सूची शामिल कर दिया, जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि राज्य सरकार के आदेश पर उसे जयपुर मेटल में निदेशक लगाया गया था.

इसके अलावा साल 2010 में वह पद से हट भी गया था. इसके बावजूद 7 साल बाद उसे अयोग्य निदेशकों की सूची में शामिल करना गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रजिस्ट्रार के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 महानगर द्वितीय ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त रिंकू चौधरी को 20 साल की कठोर सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत में मानसरोवर निवासी इस अभियुक्त पर एक लाख 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि साल 2015 में पीड़िता गोपालपुरा बाईपास स्थित एक कोचिंग सेंटर में जाती थी. एक दिन रास्ते में उसके मकान मालिक का लड़का अभियुक्त रिंकू मिला और उसे घुमाने के बहाने चांदपोल ले गया. यहां एक होटल में अभियुक्त ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया.

वहीं, बाद में भी अभियुक्त ने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया, जिसके चलते वह गर्भवती हो गई. 7 अक्टूबर 2015 को पीड़िता के परिजनों को घटना की जानकारी मिली. इस पर परिजनों की ओर से मानसरोवर थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को 8 अक्टूबर को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.

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हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

अयोग्य निदेशकों की सूची में पूर्व आईएएस का नाम शामिल करने हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

राजस्थान हाईकोर्ट ने कंपनीज रजिस्ट्रार की ओर से जारी की गई अयोग्य निदेशकों की सूची में पूर्व आईएएस श्रीमत पांडे का नाम शामिल किया गया था, जिस पर राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने रजिस्ट्रार के आदेश पर अंतरिम रोक भी लगा दी है. यह आदेश न्यायाधीश महेंद्र गोयल ने श्रीमत पांडे की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें- बसपा विधायकों के दल-बदल मामले में बहस अधूरी, अब 13 को होगी सुनवाई

याचिका में अधिवक्ता संदीप तनेजा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को राज्य सरकार ने साल 2006 से साल 2010 तक जयपुर मेटल में निदेशक पद पर तैनात किया था. वहीं, कंपनी की ओर से रिटर्न फाइल नहीं करने के आधार पर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने साल 2017 में याचिकाकर्ता को अयोग्य निदेशकों की सूची शामिल कर दिया, जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि राज्य सरकार के आदेश पर उसे जयपुर मेटल में निदेशक लगाया गया था.

इसके अलावा साल 2010 में वह पद से हट भी गया था. इसके बावजूद 7 साल बाद उसे अयोग्य निदेशकों की सूची में शामिल करना गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रजिस्ट्रार के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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