ETV Bharat / city

Dotasra As PCC Chief: 2 सालों में डोटासरा को कभी खुशी मिली कभी गम! - Congress in Rajasthan

गोविंद सिंह डोटासरा ने बतौर प्रदेश अध्यक्ष 2 साल आज पूरे कर लिए हैं (Dotasra As PCC Chief). कई मोर्चों पर सफल हुए हैं तो कई बार हाथ असफलता भी लगी है. मनपसंद और जुझारू टीम की शायद तलाश अब तक खत्म नहीं हो पाई है. एक्सटेंशन को लेकर कई बातें हवाओं में तैर रही हैं!

Dotasra As PCC Chief
डोटासरा को कभी खुशी मिली कभी गम!
author img

By

Published : Jul 29, 2022, 9:07 AM IST

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने 2 साल पहले 29 जुलाई को ही प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया था (Dotasra As PCC Chief). जिन विपरीत परिस्थितियों में डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी शायद इतिहास में कांग्रेस पार्टी में ऐसी विपरीत परिस्थितियां किसी अध्यक्ष को नहीं मिली. बगावत के चलते पूरे संगठन को भंग किया गया और उन्हें अध्यक्ष बनाया गया.

भले ही उनको पदभार ग्रहण करवाने पूरी सरकार, राष्ट्रीय पदाधिकारी और सभी विधायक प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे हों लेकिन सहयोग के लिए टीम 6 महीने बाद मिली. तब तक डोटासरा राजस्थान कांग्रेस संगठन के एकमात्र पदाधिकारी के तौर पर गाड़ी खींचते रहे (2 years of Govind Dotasra). किसी तरह 6 महीने बाद उनकी 39 की कार्यकारिणी को घोषित हुई लेकिन उस कार्यकारिणी पर भी गहलोत और पायलट कैंप का ठप्पा लगा रहा.

न ब्लॉक अध्यक्ष बने न जिला अध्यक्ष: कांग्रेस पार्टी में संगठन की सबसे छोटी और महत्वपूर्ण इकाई ब्लॉक को माना जाता है. प्रदेश में 200 विधानसभा में कुल 400 ब्लॉक हैं, लेकिन अब तक न तो ब्लॉक अध्यक्ष बनाया गया है न ही एक भी ब्लॉक कार्यकारिणी का गठन हुआ है. यही हालात कांग्रेस संगठन के सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले जिला अध्यक्ष और जिला कार्यकारिणी के साथ भी हुआ. भले ही गोविंद डोटासरा किसी तरह से 13 जिलों के जिला अध्यक्ष बनाने में कामयाब हुए. अब उसे लेकर भी एक और समस्या खड़ी हो गई है (Challenges For PCC Chief Dotasra).

दरअसल, कांग्रेस पार्टी की ओर से यह राइडर लगाया गया है कि 5 साल से ज्यादा कोई भी नेता एक पद पर नहीं रह सकेगा. अब ये भी चुनौती सरीखा ही है. इस नए फरमान से भी पांच जिला अध्यक्षों को पद छोड़ना पड़ेगा. ऐसे में भले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा एक के बाद एक धरने करते रहे हों लेकिन हकीकत यह रही कि बिना ब्लॉक और जिले के संगठन के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को सरकार के ऊपर पूरी तरह से निर्भर रहना पड़ा.

पढ़ें-कांग्रेस का मौन सत्याग्रहः डोटासरा ने कहा- दिल्ली में हो रही ईडी की कार्रवाई राजस्थान में भी होने की है आशंका...संघर्ष के लिए तैयार रहें

पंचायत चुनाव में हारे तो ,निकायों में पहली बार दिलाई जीत: अध्यक्ष भले ही कोई भी रहे लेकिन राजनीतिक पार्टी में किसी अध्यक्ष के परफॉर्मेंस को मापने के लिए चुनाव में मिली हार जीत को ही आधार माना जाता है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भले ही पंचायत चुनाव में उतनी सफलता नहीं मिली हो, जितनी कांग्रेस को गांवों की सरकार बनाने में मिलती है. उस प्रदर्शन को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने नगर निगम और निकाय चुनाव में बेहतरीन रणनीति बनाई. जिसका असर हुआ कि हमेशा शहरों में आगे रहने वाली भाजपा ने चुनाव में कांग्रेस के आगे घुटने टेक दिए. यही हाल उपचुनाव में भी रहा जहां प्रदेश में पांच उपचुनाव में से कांग्रेस ने चार उप चुनाव जीते.

पढ़ें.राजस्थानः सोनिया गांधी से पूछताछ के विरोध में प्रदर्शन, गहलोत-पायलट समेत कई नेता हिरासत में...

एक्सटेंशन का पेंच!: कांग्रेस में संगठन के चुनाव चल रहे हैं और 15 अगस्त तक प्रदेश अध्यक्ष समेत सभी चुनाव संपन्न कर लिए जाएंगे. ऐसे में कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर नहीं हुआ तो गोविंद डोटासरा को ही प्रदेश कांग्रेस का फिर से अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा. अगर डोटासरा ही अध्यक्ष बनते हैं तो फिर अगस्त महीने में ही डोटासरा को अपने नए पदाधिकारियों की टीम और जिला अध्यक्ष ,जिला कार्यकारिणी, ब्लॉक अध्यक्ष और ब्लॉक कार्यकारिणी मिल जाएगी.

पीसीसी अध्यक्ष का सफरनामा: प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत प्रधान पद से की थी और उसके बाद वो सीकर के लक्ष्मणगढ़ से लगातार तीसरी बार विधायक बने. गहलोत सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बने और अब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. गौरतलब है कि सियासी संकट के दौरान सचिन पायलट की बगावत के चलते कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को अध्यक्ष पद से बर्खास्त करके तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को 14 जुलाई 2020 को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था. गोविंद सिंह डोटासरा ने 29 जुलाई 2020 को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में अपना पदभार ग्रहण किया था.

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने 2 साल पहले 29 जुलाई को ही प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया था (Dotasra As PCC Chief). जिन विपरीत परिस्थितियों में डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी शायद इतिहास में कांग्रेस पार्टी में ऐसी विपरीत परिस्थितियां किसी अध्यक्ष को नहीं मिली. बगावत के चलते पूरे संगठन को भंग किया गया और उन्हें अध्यक्ष बनाया गया.

भले ही उनको पदभार ग्रहण करवाने पूरी सरकार, राष्ट्रीय पदाधिकारी और सभी विधायक प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे हों लेकिन सहयोग के लिए टीम 6 महीने बाद मिली. तब तक डोटासरा राजस्थान कांग्रेस संगठन के एकमात्र पदाधिकारी के तौर पर गाड़ी खींचते रहे (2 years of Govind Dotasra). किसी तरह 6 महीने बाद उनकी 39 की कार्यकारिणी को घोषित हुई लेकिन उस कार्यकारिणी पर भी गहलोत और पायलट कैंप का ठप्पा लगा रहा.

न ब्लॉक अध्यक्ष बने न जिला अध्यक्ष: कांग्रेस पार्टी में संगठन की सबसे छोटी और महत्वपूर्ण इकाई ब्लॉक को माना जाता है. प्रदेश में 200 विधानसभा में कुल 400 ब्लॉक हैं, लेकिन अब तक न तो ब्लॉक अध्यक्ष बनाया गया है न ही एक भी ब्लॉक कार्यकारिणी का गठन हुआ है. यही हालात कांग्रेस संगठन के सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले जिला अध्यक्ष और जिला कार्यकारिणी के साथ भी हुआ. भले ही गोविंद डोटासरा किसी तरह से 13 जिलों के जिला अध्यक्ष बनाने में कामयाब हुए. अब उसे लेकर भी एक और समस्या खड़ी हो गई है (Challenges For PCC Chief Dotasra).

दरअसल, कांग्रेस पार्टी की ओर से यह राइडर लगाया गया है कि 5 साल से ज्यादा कोई भी नेता एक पद पर नहीं रह सकेगा. अब ये भी चुनौती सरीखा ही है. इस नए फरमान से भी पांच जिला अध्यक्षों को पद छोड़ना पड़ेगा. ऐसे में भले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा एक के बाद एक धरने करते रहे हों लेकिन हकीकत यह रही कि बिना ब्लॉक और जिले के संगठन के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को सरकार के ऊपर पूरी तरह से निर्भर रहना पड़ा.

पढ़ें-कांग्रेस का मौन सत्याग्रहः डोटासरा ने कहा- दिल्ली में हो रही ईडी की कार्रवाई राजस्थान में भी होने की है आशंका...संघर्ष के लिए तैयार रहें

पंचायत चुनाव में हारे तो ,निकायों में पहली बार दिलाई जीत: अध्यक्ष भले ही कोई भी रहे लेकिन राजनीतिक पार्टी में किसी अध्यक्ष के परफॉर्मेंस को मापने के लिए चुनाव में मिली हार जीत को ही आधार माना जाता है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भले ही पंचायत चुनाव में उतनी सफलता नहीं मिली हो, जितनी कांग्रेस को गांवों की सरकार बनाने में मिलती है. उस प्रदर्शन को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने नगर निगम और निकाय चुनाव में बेहतरीन रणनीति बनाई. जिसका असर हुआ कि हमेशा शहरों में आगे रहने वाली भाजपा ने चुनाव में कांग्रेस के आगे घुटने टेक दिए. यही हाल उपचुनाव में भी रहा जहां प्रदेश में पांच उपचुनाव में से कांग्रेस ने चार उप चुनाव जीते.

पढ़ें.राजस्थानः सोनिया गांधी से पूछताछ के विरोध में प्रदर्शन, गहलोत-पायलट समेत कई नेता हिरासत में...

एक्सटेंशन का पेंच!: कांग्रेस में संगठन के चुनाव चल रहे हैं और 15 अगस्त तक प्रदेश अध्यक्ष समेत सभी चुनाव संपन्न कर लिए जाएंगे. ऐसे में कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर नहीं हुआ तो गोविंद डोटासरा को ही प्रदेश कांग्रेस का फिर से अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा. अगर डोटासरा ही अध्यक्ष बनते हैं तो फिर अगस्त महीने में ही डोटासरा को अपने नए पदाधिकारियों की टीम और जिला अध्यक्ष ,जिला कार्यकारिणी, ब्लॉक अध्यक्ष और ब्लॉक कार्यकारिणी मिल जाएगी.

पीसीसी अध्यक्ष का सफरनामा: प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत प्रधान पद से की थी और उसके बाद वो सीकर के लक्ष्मणगढ़ से लगातार तीसरी बार विधायक बने. गहलोत सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बने और अब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. गौरतलब है कि सियासी संकट के दौरान सचिन पायलट की बगावत के चलते कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को अध्यक्ष पद से बर्खास्त करके तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को 14 जुलाई 2020 को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था. गोविंद सिंह डोटासरा ने 29 जुलाई 2020 को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में अपना पदभार ग्रहण किया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.