जयपुर. प्रदेश में वर्षों से बेरोजगारी एक बड़ा संकट बना हुआ है, जो हर सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती होती है. इससे भी बड़ा संकट तब खड़ा होता है, जब बेरोजगार रोजगार की मांग को लेकर सड़कों पर उतरता है. चाहे भर्ती विज्ञप्ति निकलवानी हो या परिणाम या फिर नियुक्ति आदेश, हर भर्ती को पूरा करवाने के लिए बेरोजगार सड़कों पर नजर आते हैं.
हालांकि, इस साल कोरोना की वजह से ऐसे आंदोलन नहीं के बराबर देखने को मिले, लेकिन लंबित भर्तियों को लेकर अब बेरोजगारों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. इस बार भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी और फर्जी डिग्री के प्रकरणों को लेकर जांच की मांग भी सीएम अशोक गहलोत तक पहुंची.
17 दिसंबर को प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल के 2 साल पूरे करने जा रही है. इन 2 सालों में सरकार ने विभिन्न विभागों में प्रक्रियाधीन भर्तियों की समीक्षा करते हुए आरपीएससी और राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड कैलेंडर के अनुरूप भर्तियां कराना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.
सीएम अशोक गहलोत ने शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, कृषि, कार्मिक सहित अन्य विभागों में प्रक्रियाधीन भर्तियों की समीक्षा करते हुए इन्हें टाइम बाउंड फ्रेम में पूरा कर नियुक्तियां देने के निर्देश दिए, लेकिन ये भर्तियां ऊंट रूपी बेरोजगारों के मुंह में जीरा साबित हुई. कई भर्तियां तो ऐसी हैं, जिनमें नियुक्तियों के बाद भी सैकड़ों पद रिक्त हैं.
नियुक्तियों के बाद रिक्त पद वाली भर्ती :
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वो भर्तियां जिनका पूरे साल रहा इंतजार :
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हालांकि, सरकार का दावा है कि उनके कार्यकाल में अब तक 75 हजार से ज्यादा नियुक्तियां दी जा चुकी हैं और करीब 26 हजार पदों पर विज्ञप्ति जारी की जा चुकी है. लेकिन जिस तरह से हाल ही में हुई जेईएन भर्ती परीक्षा और नियुक्तियों में फर्जी डिग्री धारकों को लेकर सवाल उठे उससे बेरोजगारों में रोष व्याप्त है. अब इनकी जांच की मांग को लेकर सीएम तक को पत्र लिखा गया है. इस मामले में यदि सुनवाई नहीं होती है तो बेरोजगार कोरोना को भूल सड़कों पर उतरेंगे.
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बहरहाल, भर्तियां अटकने के मामले को लेकर पूरे साल मंत्री और अधिकारी बेरोजगारों के निशाने पर रहे. अब तो बेरोजगार सोशल मीडिया पर भी सरकार से दो-दो हाथ कर लेते हैं. ऐसे में 2 साल पूरे होने के बाद कांग्रेस सरकार से बेरोजगार पूरी तरह संतुष्ट नहीं है.