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देव दर्शन यात्रा में कई सियासी संदेश दे गईं वसुंधरा, भाजपा में फिर तेज होगा घमासान

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Published : Oct 10, 2022, 8:35 PM IST

दो दिन बीकानेर में देव दर्शन यात्रा के लिए आए पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे देव दर्शन यात्रा के लिए बीकानेर आईं थी. इस दौरान कई मंदिरों में दर्शन भी किए लेकिन संकेतों में ही सही राजे कई सियासी संदेश इस यात्रा के दौरान छोड़ गईं.

वसुंधरा की देव दर्शन यात्रा
वसुंधरा की देव दर्शन यात्रा

बीकानेर. पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे दो दिन बीकानेर दौरे पर रहीं. विधानसभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे का यह दौरा कई मायनों में उस लिहाज से महत्वपूर्ण रहा जब भाजपा में 2023 में विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री के कई दावेदार प्रचारित किए (political messages in Dev darshan Yatra) जा रहे हैं. वैसे बीकानेर संभाग इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इस संभाग से अभी तक प्रदेश में कोई मुख्यमंत्री नहीं बना. वसुंधरा राजे ने देव दर्शन यात्रा के दौरान यहां कोई जनसभा नहीं की थी, बावजूद उसके देशनोक और बीकानेर में ठीक देवदर्शन (Vasundhara political message in dev darshan Yatra) के बाद रखी गई जनसभा बिना राजे की सहमति के नहीं हो सकती थी. इन दोनों ही सभाओं में राजे भले ही कुछ मिनट के लिए बोली हों लेकिन उसमें भी वे कई सियासी संदेश छोड़ गईं.

देशनोक में कहा- संघर्ष से मिलता है मुकाम
देशनोक की जनसंवाद सभा में वसुंधरा राजे ने इस बात की ओर इशारा किया कि समय कभी एक सा नहीं रहता है और उतार-चढ़ाव आता रहता है. उन्हें जीवन में कभी भी बिना मेहनत के सफलता नहीं मिली है. राजे ने इस दौरान कार्यकर्ताओं को भी मजबूत होते हुए एकता के साथ काम करने की नसीहत दी और कहा कि उन्हें भगवान का आशीर्वाद है, ऐसे में कोई उनका रास्ता नहीं रोक सकता. हालांकि इस पूरे संदेश को अगर दूसरे नजरिए से देखा जाए तो यह साफ तौर पर राजे की ओर से इशारा था कि वे पार्टी के भीतर चल रहे वर्तमान द्वंद्व में संघर्ष कर रही हैं और उन्हें इसका परिणाम भी मिलेगा.

पढ़ें. राजे का गहलोत और पायलट पर व्यंग्य, एक कुर्सी पर बैठना चाहता है तो दूसरा उतरना नहीं चाहता

खुद की सरकार नहीं बन पाने की कही बात
आमतौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने भाषणों में सरकार को रिपीट कराने के लिए कहते नजर आते हैं और एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की परिपाटी को तोड़ने के लिए जनता से अपील भी करते दिखते हैं लेकिन नगर के सामने हुई सभा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत को आड़े हाथ लिया. उन्होंने गहलोत पर विकास कार्यों को ठप करने का आरोप लगाया और खुद की सरकार के समय हुए विकास के कार्यों को लोगों को गिनाया बल्कि बीकानेर में हुए कार्यों को लेकर भी लोगों से हामी भरवाई. साथ ही वो यह कहने से भी नहीं चूकीं कि मेरी सरकार चली गई और काम रुक गए. अगर सरकार दोबारा आती तो विकास के काम बंद नहीं होते.

जयपुर से दिल्ली तक दिया संदेश
कहने को तो यह वसुंधरा की देवदर्शन यात्रा थी और कहीं भी जनसंवाद और संपर्क जैसा कोई जिक्र नहीं था. लेकिन बावजूद इसके वे लोगों से लगातार मिलीं और देशनोक में अपने भाषण में भी उन्होंने भारी भीड़ की मौजूदगी से जुड़ते हुए कहा कि इसकी आवाज जयपुर तक जाएगी. इस पूरे 2 दिन के दौरे में मुख्य रूप से बीकानेर में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के पास कमान रही जो फिलहाल भाजपा में नहीं हैं. ऐसे में शहर और देहात भाजपा संगठन इस पूरी यात्रा से दूरी बनाए हुए रहा. बावजूद उसके देशनोक और बीकानेर में जिस तरह से लोगों की मौजूदगी रही उससे कहीं न कहीं राजे पार्टी के मंच पर इस बात का मैसेज देने की कोशिश करेंगी कि आज भी राजस्थान भाजपा में भीड़ जुटाने में उनसे बड़ा कोई चेहरा नहीं है,वह भी तब जब अधिकांश संगठन के पदाधिकारी उनके दौरे से दूरी बनाए हुए हैं. हालांकि जनता की नब्ज टटोलने के साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ मजबूत करने की भी बात मंच से कहकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से पटरी नहीं बैठने की चर्चाओं पर विराम लगा दिया.

पढ़ें- Vasundhara Bikaner Tour : राजे ने सीएम गहलोत को कहा 'विश्वासघाती'...इशारों-इशारों में कही यह बड़ी बात

दूसरे जिलों के नेता सक्रिय लेकिन जिले के चुप
वसुंधरा राजे के बीकानेर दौरे के दौरान प्रदेश सरकार के कई पूर्व मंत्री और राजे के खास माने जाने वाले नेता पूरी तरह से बीकानेर में सक्रिय रहे, जिनमें बीकानेर संभाग के श्रीगंगानगर से सांसद निहालचंद और चूरू सांसद राहुल कंस्वा भी सक्रिय रहे. इसके इतर बीकानेर जिले के नेताओं की दौरे से दूरी भी चर्चा का विषय रही. बीकानेर जिले से भाजपा के तीन विधायक हैं जिनमें सिद्धि कुमारी पूरी तरह से राजे के दौरे में साथ रहीं तो वहीं नोखा से विधायक बिहारीलाल बिश्नोई अपने विधानसभा क्षेत्र मुकाम में राजे के स्वागत में नजर आए.

मेघवाल समर्थक महापौर और विधायक सुमित की दूरी
राजे के दौरे में बीकानेर सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल गुट से माने जाने वाले सभी नेताओं ने कमोबेश दूरी बनाए रखी. भाजपा की महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित और लूणकरणसर विधायक सुमित गोदारा की दूरी जिले के भाजपाइयों में चर्चा का विषय रहे. वहीं दूसरे दिन सर्किट हाउस में शहर जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह और पूर्व अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य जरूर नजर आए. देहात अध्यक्ष ताराचंद सारस्वत पूरे दौरे में नजर नहीं आए.

पढ़ें- चार साल कैसे निकले पता ही नहीं चला, क्योंकि ईश्वर, संत और जनता का साथ था -वसुंधरा राजे

इन नेताओं के हाथ में कमान
भाजपा से बाहर होने के बावजूद पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी जहां राजे के पूरे बीकानेर दौरे की अगुवाई करते नजर आए, वहीं खाजूवाला से पूर्व विधायक डॉ. विश्वनाथ, यूआईटी के पूर्व चेयरमैन महावीर रांका, पूर्व विधायक गोपाल जोशी के पुत्र विजय मोहन जोशी, भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष भागीरथ मूंड, नोखा प्रधान प्रतिनिधि आत्माराम तरड़, शिवराज विश्नोई सहित कई नेता राजे के दौरे को सफल बनाने के लिए कई दिनों से सक्रिय थे.

भाटी की वापसी पर सवाल
हालांकि राजे के 2 दिन के इस दौरे के दौरान पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के समर्थकों को उम्मीद थी कि दौरे में वसुंधरा राजे की मौजूदगी में भाटी फिर से भाजपा का दामन थामेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. बावजूद उसके इस बात को तय माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भाटी की वापसी भाजपा में जरूर होगी और उसमें मुख्य भूमिका वसुंधरा राजे की ही होगी.

अब आगे क्या
राजे के इस 2 दिन के दौरे में पार्टी की गुटबाजी भी पूरी तरह से सामने आई है. क्योंकि राजे के दौरे में जो लोग सक्रिय नजर आए वह पूरी तरह से अर्जुन मेघवाल के विरोधी कहे जा सकते हैं. जो लोग नहीं आए वे पूरी तरह से अर्जुन मेघवाल के साथ खड़े होने का मेसेज दे रहे. ऐसे में यह साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भाटी की भाजपा में वापसी भले ही हो जाए लेकिन पार्टी दो गुटों में ही बंटी नजर आएगी.

बीकानेर. पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे दो दिन बीकानेर दौरे पर रहीं. विधानसभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे का यह दौरा कई मायनों में उस लिहाज से महत्वपूर्ण रहा जब भाजपा में 2023 में विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री के कई दावेदार प्रचारित किए (political messages in Dev darshan Yatra) जा रहे हैं. वैसे बीकानेर संभाग इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इस संभाग से अभी तक प्रदेश में कोई मुख्यमंत्री नहीं बना. वसुंधरा राजे ने देव दर्शन यात्रा के दौरान यहां कोई जनसभा नहीं की थी, बावजूद उसके देशनोक और बीकानेर में ठीक देवदर्शन (Vasundhara political message in dev darshan Yatra) के बाद रखी गई जनसभा बिना राजे की सहमति के नहीं हो सकती थी. इन दोनों ही सभाओं में राजे भले ही कुछ मिनट के लिए बोली हों लेकिन उसमें भी वे कई सियासी संदेश छोड़ गईं.

देशनोक में कहा- संघर्ष से मिलता है मुकाम
देशनोक की जनसंवाद सभा में वसुंधरा राजे ने इस बात की ओर इशारा किया कि समय कभी एक सा नहीं रहता है और उतार-चढ़ाव आता रहता है. उन्हें जीवन में कभी भी बिना मेहनत के सफलता नहीं मिली है. राजे ने इस दौरान कार्यकर्ताओं को भी मजबूत होते हुए एकता के साथ काम करने की नसीहत दी और कहा कि उन्हें भगवान का आशीर्वाद है, ऐसे में कोई उनका रास्ता नहीं रोक सकता. हालांकि इस पूरे संदेश को अगर दूसरे नजरिए से देखा जाए तो यह साफ तौर पर राजे की ओर से इशारा था कि वे पार्टी के भीतर चल रहे वर्तमान द्वंद्व में संघर्ष कर रही हैं और उन्हें इसका परिणाम भी मिलेगा.

पढ़ें. राजे का गहलोत और पायलट पर व्यंग्य, एक कुर्सी पर बैठना चाहता है तो दूसरा उतरना नहीं चाहता

खुद की सरकार नहीं बन पाने की कही बात
आमतौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने भाषणों में सरकार को रिपीट कराने के लिए कहते नजर आते हैं और एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की परिपाटी को तोड़ने के लिए जनता से अपील भी करते दिखते हैं लेकिन नगर के सामने हुई सभा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत को आड़े हाथ लिया. उन्होंने गहलोत पर विकास कार्यों को ठप करने का आरोप लगाया और खुद की सरकार के समय हुए विकास के कार्यों को लोगों को गिनाया बल्कि बीकानेर में हुए कार्यों को लेकर भी लोगों से हामी भरवाई. साथ ही वो यह कहने से भी नहीं चूकीं कि मेरी सरकार चली गई और काम रुक गए. अगर सरकार दोबारा आती तो विकास के काम बंद नहीं होते.

जयपुर से दिल्ली तक दिया संदेश
कहने को तो यह वसुंधरा की देवदर्शन यात्रा थी और कहीं भी जनसंवाद और संपर्क जैसा कोई जिक्र नहीं था. लेकिन बावजूद इसके वे लोगों से लगातार मिलीं और देशनोक में अपने भाषण में भी उन्होंने भारी भीड़ की मौजूदगी से जुड़ते हुए कहा कि इसकी आवाज जयपुर तक जाएगी. इस पूरे 2 दिन के दौरे में मुख्य रूप से बीकानेर में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के पास कमान रही जो फिलहाल भाजपा में नहीं हैं. ऐसे में शहर और देहात भाजपा संगठन इस पूरी यात्रा से दूरी बनाए हुए रहा. बावजूद उसके देशनोक और बीकानेर में जिस तरह से लोगों की मौजूदगी रही उससे कहीं न कहीं राजे पार्टी के मंच पर इस बात का मैसेज देने की कोशिश करेंगी कि आज भी राजस्थान भाजपा में भीड़ जुटाने में उनसे बड़ा कोई चेहरा नहीं है,वह भी तब जब अधिकांश संगठन के पदाधिकारी उनके दौरे से दूरी बनाए हुए हैं. हालांकि जनता की नब्ज टटोलने के साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ मजबूत करने की भी बात मंच से कहकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से पटरी नहीं बैठने की चर्चाओं पर विराम लगा दिया.

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दूसरे जिलों के नेता सक्रिय लेकिन जिले के चुप
वसुंधरा राजे के बीकानेर दौरे के दौरान प्रदेश सरकार के कई पूर्व मंत्री और राजे के खास माने जाने वाले नेता पूरी तरह से बीकानेर में सक्रिय रहे, जिनमें बीकानेर संभाग के श्रीगंगानगर से सांसद निहालचंद और चूरू सांसद राहुल कंस्वा भी सक्रिय रहे. इसके इतर बीकानेर जिले के नेताओं की दौरे से दूरी भी चर्चा का विषय रही. बीकानेर जिले से भाजपा के तीन विधायक हैं जिनमें सिद्धि कुमारी पूरी तरह से राजे के दौरे में साथ रहीं तो वहीं नोखा से विधायक बिहारीलाल बिश्नोई अपने विधानसभा क्षेत्र मुकाम में राजे के स्वागत में नजर आए.

मेघवाल समर्थक महापौर और विधायक सुमित की दूरी
राजे के दौरे में बीकानेर सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल गुट से माने जाने वाले सभी नेताओं ने कमोबेश दूरी बनाए रखी. भाजपा की महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित और लूणकरणसर विधायक सुमित गोदारा की दूरी जिले के भाजपाइयों में चर्चा का विषय रहे. वहीं दूसरे दिन सर्किट हाउस में शहर जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह और पूर्व अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य जरूर नजर आए. देहात अध्यक्ष ताराचंद सारस्वत पूरे दौरे में नजर नहीं आए.

पढ़ें- चार साल कैसे निकले पता ही नहीं चला, क्योंकि ईश्वर, संत और जनता का साथ था -वसुंधरा राजे

इन नेताओं के हाथ में कमान
भाजपा से बाहर होने के बावजूद पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी जहां राजे के पूरे बीकानेर दौरे की अगुवाई करते नजर आए, वहीं खाजूवाला से पूर्व विधायक डॉ. विश्वनाथ, यूआईटी के पूर्व चेयरमैन महावीर रांका, पूर्व विधायक गोपाल जोशी के पुत्र विजय मोहन जोशी, भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष भागीरथ मूंड, नोखा प्रधान प्रतिनिधि आत्माराम तरड़, शिवराज विश्नोई सहित कई नेता राजे के दौरे को सफल बनाने के लिए कई दिनों से सक्रिय थे.

भाटी की वापसी पर सवाल
हालांकि राजे के 2 दिन के इस दौरे के दौरान पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के समर्थकों को उम्मीद थी कि दौरे में वसुंधरा राजे की मौजूदगी में भाटी फिर से भाजपा का दामन थामेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. बावजूद उसके इस बात को तय माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भाटी की वापसी भाजपा में जरूर होगी और उसमें मुख्य भूमिका वसुंधरा राजे की ही होगी.

अब आगे क्या
राजे के इस 2 दिन के दौरे में पार्टी की गुटबाजी भी पूरी तरह से सामने आई है. क्योंकि राजे के दौरे में जो लोग सक्रिय नजर आए वह पूरी तरह से अर्जुन मेघवाल के विरोधी कहे जा सकते हैं. जो लोग नहीं आए वे पूरी तरह से अर्जुन मेघवाल के साथ खड़े होने का मेसेज दे रहे. ऐसे में यह साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भाटी की भाजपा में वापसी भले ही हो जाए लेकिन पार्टी दो गुटों में ही बंटी नजर आएगी.

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