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Shardiya Navratri 2022 : शारदीय नवरात्र का 7वां दिन आज, मां कालरात्रि की पूजा करने करने से भक्तों को होगा ये लाभ!

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती (Shardiya Navratri 2022) है. मां को संकट हरणी भी कहा जाता है. कहते हैं काल नाशी देवी के पूजन से शत्रु से मुक्ति के साथ सौभाग्य की प्राप्ती होती है. आइए जानते हैं पूजा विधि जिससे मां होती हैं प्रसन्न.

Shardiya Navratri 2022
मां कालरात्रि
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Published : Oct 2, 2022, 7:51 AM IST

बीकानेर. महासप्तमी को (Shardiya Navratri 2022) मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा होती है. मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है. पंचागकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि काल सबका भक्षण करता है, लेकिन उसका भी दमन करने की शक्ति मां कालरात्रि में है. मां का स्वरूप उग्र है. ऐसा जो दैत्यों का विनाश करने के लिए हुआ.

उन्होंने बताया अपने भक्तों के लिए मां कालरात्रि बहुत फलदायी है और उनकी पूजा आराधना करने से किसी भी प्रकार का भय, कष्ट, संकट नहीं रहता है. पंडित जी कहते हैं दैत्यों के विनाश के लिए भगवती मां दुर्गा ने कालरात्रि के रूप का रूप धरा. दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय में दैत्यों का विनाश करने के लिए मां दुर्गा के इस रूप में प्रकट होने का उल्लेख मिलता है. उन्होंने बताया कि मां चामुंडा के नाम से भी इनकी पूजा की जाती है.

पंडित राजेंद्र किराडू

दुर्गा सप्तशती के अनुसार...: कालरात्रि का रूप मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए धारण किया. मां कालरात्रि महादुष्टों का सर्वनाश करने के लिए जानी जाती हैं. चूंकि ये उनके विनाश से काल का दमन करती हैं इसलिए इनका नाम कालरात्रि है. मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं. इस कारण इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होने के साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से छुटकारा मिलता है.

पढ़ें: Sharadiya Navratri 2022: मारवाड़ की रक्षक मेहरानगढ़ की चामुंडा माता...राव जोधा ने स्थापित की थी मूर्ति

गर्दभ की सवारी, नीलकमल पुष्प प्रिय: पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि की सवारी गर्दभ है और हाथ में खडग, वज्र और अन्य शस्त्र धारण किए हुए हैं. मां कालरात्रि को नील कमल का पुष्प अति प्रिय है और इनकी पूजा में नील कमल के पुष्प का अर्चन करने से विशेष लाभ प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ और उड़द से बने पदार्थों का भोग लगाना उत्तम होता है. ज्ञानी जनों के मुताबिक कालरात्रि को ये अति प्रिय है.

बीकानेर. महासप्तमी को (Shardiya Navratri 2022) मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा होती है. मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है. पंचागकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि काल सबका भक्षण करता है, लेकिन उसका भी दमन करने की शक्ति मां कालरात्रि में है. मां का स्वरूप उग्र है. ऐसा जो दैत्यों का विनाश करने के लिए हुआ.

उन्होंने बताया अपने भक्तों के लिए मां कालरात्रि बहुत फलदायी है और उनकी पूजा आराधना करने से किसी भी प्रकार का भय, कष्ट, संकट नहीं रहता है. पंडित जी कहते हैं दैत्यों के विनाश के लिए भगवती मां दुर्गा ने कालरात्रि के रूप का रूप धरा. दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय में दैत्यों का विनाश करने के लिए मां दुर्गा के इस रूप में प्रकट होने का उल्लेख मिलता है. उन्होंने बताया कि मां चामुंडा के नाम से भी इनकी पूजा की जाती है.

पंडित राजेंद्र किराडू

दुर्गा सप्तशती के अनुसार...: कालरात्रि का रूप मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए धारण किया. मां कालरात्रि महादुष्टों का सर्वनाश करने के लिए जानी जाती हैं. चूंकि ये उनके विनाश से काल का दमन करती हैं इसलिए इनका नाम कालरात्रि है. मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं. इस कारण इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होने के साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से छुटकारा मिलता है.

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गर्दभ की सवारी, नीलकमल पुष्प प्रिय: पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि की सवारी गर्दभ है और हाथ में खडग, वज्र और अन्य शस्त्र धारण किए हुए हैं. मां कालरात्रि को नील कमल का पुष्प अति प्रिय है और इनकी पूजा में नील कमल के पुष्प का अर्चन करने से विशेष लाभ प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ और उड़द से बने पदार्थों का भोग लगाना उत्तम होता है. ज्ञानी जनों के मुताबिक कालरात्रि को ये अति प्रिय है.

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