बीकानेर. प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल स्टूडेंट के प्रवेश के लिए एनआरआई कोटे से प्रवेश की प्रक्रिया के लिए कुछ सीटें आरक्षित करने और एमबीबीएस में फीस बढ़ोतरी को को लेकर विरोध के स्वर शुरू हो गए हैं. बुधवार से बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के यूजी स्टूडेंट ने कॉलेज के मुख्य द्वार पर विरोध प्रदर्शन करते हुए अनिश्चितकालीन धरना फिर से शुरू कर दिया.
गौरतलब है कि बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में चार दिन पहले एक इंटर्न छात्रा के आत्महत्या करने के चलते मेडिकोज ने अपना धरना स्थगित कर दिया था, लेकिन अब बुधवार से इस धरने को फिर से शुरू कर दिया और साथ ही पूरे प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में भी इन स्टूडेंट्स में अपना अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है.
इन स्टूडेंट्स का कहना था कि सरकारी कॉलेजों में कोटे से सीटें भरने का सरकार का फैसला पूरी तरह से गलत है और अगर सरकार को एनआरआई कोटे से सीटें भरनी है तो सोसायटी के अधीन संचालित होने वाले कॉलेजों में यह प्रक्रिया करनी चाहिए. इसके अलावा मेडिकल स्टूडेंट्स की फीस में एकाएक सरकार ने कई गुना फीस बढ़ा दी जो कि बिल्कुल गलत है, क्योंकि एक ओर सरकार सबको शिक्षित करने और उच्च शिक्षा में सुविधाएं बढ़ाने की बात करती है. वहीं, दूसरी और अचानक फीस बढ़ोतरी कर दी. इसके अलावा मेडिकोज ने स्टाइपेंड बढ़ाने की भी मांग रखी.
यूजी स्टूडेंट्स यूनियन के धर्मेंद्र भांभू ने कहा कि ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्र आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम नहीं होते हैं और सरकार ने अचानक ही फीस में भारी बढ़ोतरी की है, जिसके चलते ऐसे परिवार से आने वाले विद्यार्थियों के लिए परेशानी हो गई है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा हॉस्टल में स्टूडेंट्स को मिलने वाली सुविधाएं सही नहीं हैं और मेडिकल स्टूडेंट्स हॉस्टल की जगह अस्पताल में रहता हुआ नजर आता है.
धर्मेंद्र भांभू ने कहा कि प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों (अजमेर, कोटा जोधपुर, उदयपुर के मेडिकल कॉलेज) में भी मेडिकल स्टूडेंट्स धरने पर बैठ गए हैं. अब हमने प्रदेश स्तर पर एक मेडिकल कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन कर लिया है और अब कमेटी आंदोलन के अगले रूप का निर्णय करेगी. जरूरत पड़ने पर हम कक्षाओं का बहिष्कार और भूख हड़ताल के कदम को भी उठा सकते हैं. हमारे अनिश्चितकालीन धरने के बावजूद भी सरकार की ओर से बातचीत को लेकर कोई रुख सामने नहीं आया है. इसलिए अब मजबूरन हमें आंदोलन को उग्र करना पड़ेगा. जरूरत पड़ने पर रेजिडेंट्स और अन्य डाक्टर्स संगठन भी हमारे समर्थन में आएंगे.