बीकानेर. प्रदेश के सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के बराबर प्रतिस्पर्धी बनाने को लेकर सक्रिय शिक्षा विभाग अब एक और नई कवायद करने जा रहा है. इसको लेकर राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. आने वाले दिनों में सरकार की मंजूरी के बाद यह कवायद धरातल पर साकार होती नजर आएगी. देखिये यह खास रिपोर्ट...
कोरोना काल में निजी स्कूलों के मुकाबले ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर लगातार सक्रिय रहा शिक्षा विभाग अब निजी स्कूलों के बराबर सक्रियता दिखाते हुए सरकारी स्कूलों को प्रतिस्पर्धी बनाने की कवायद में जुटा हुआ है. दरअसल निजी स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों के शैक्षिक स्तर को लेकर कई बार सवाल खड़े होते हैं. आमतौर पर अभिभावकों की पसंद भी सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूल होते हैं.
अब निजी स्कूलों में मिलने वाले शैक्षणिक माहौल की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी बेहतर शिक्षा व्यवस्था के साथ ही बेहतर सुविधाएं और नवाचार को लेकर शिक्षा विभाग सक्रिय हो गया है. सरकारी स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा नामांकन की कड़ी में किए जा रहे प्रयासों के बीच प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को अब विदेशी भाषा सिखाई जाएगी.
कोरोना काल में निजी स्कूलों ने जहां ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों की पढ़ाई को नियमित रखा तो वहीं सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने भी लगातार ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षण कार्य जारी रखा. निजी स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों की कमी होने के बात महसूस नहीं होने दी. लगातार नवाचार करते हुए शिक्षा विभाग अब विद्यार्थियों के लिए एक और नया नवाचार करने जा रहा है.
माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने अब प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे स्कूली बच्चों को प्रतिस्पर्धी मुकाबले में तैयार करने के साथ ही व्यक्तित्व विकास को लेकर एक नवाचार किया है. राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने बताया कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक पढ़ने वाले बच्चों को अब विदेशी भाषाओं का ज्ञान कराया जाएगा.
उन्होंने बताया कि शुरुआत में जर्मन, फ्रेंच, जापानी और रशियन भाषा को लेकर पारंगत किया जाएगा. इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है. शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने बताया कि कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को स्कूल समय के अलावा अन्य समय में ऑनलाइन इस भाषा की ट्रेनिंग दी जाएगी. उसके लिए पहले आओ पहले पाओ के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा.
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शुरुआत में 500 से ज्यादा विद्यार्थियों का इसके लिए चयन किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट सफल होने के बाद इसे आगे वृहद स्तर पर लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस कोर्स को करने के बाद दूतावास स्तर पर और संबंधित देशों के अधिकृत एजेंसियों से भी इसकी मान्यता होगी.
शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने बताया कि इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. ट्रेनिंग के बाद विदेशी दूतावास की ओर से सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे विद्यार्थियों का न सिर्फ व्यक्तिव विकास में मदद मिलेगी बल्कि रोजगार की दृष्टि से भी यह सहायक होगा. उन्होंने बताया कि राजस्थान पर्यटन क्षेत्र है और टूरिस्ट गाइड, भाषा अनुवादक, जैसे क्षेत्र में रोजगार की दृष्टि से काफी संभावनाएं हैं.