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रियासत काल में निवेश के लिए व्यापारियों को प्रोत्साहित करने की योजना जयपुर रियासत में की गई थी शुरू, आज भी सुरक्षित है आमंत्रण पत्र

निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारों की ओर से विभिन्न स्कीम और छूट के प्रयास दिए जाते हैं. इसी तरह का नवाचार 300 साल पहले राजस्थान के जयपुर में भी किया गया था. निवेशकों को छूट और सुविधा देने का ये नवाचार जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह ने विक्रम संवत 1794 में किया था. इससे जुड़ा एक पत्र आज भी बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेखागार में सहेज कर रखा हुआ (Original copy of inviting investor by Sawai Jai Singh) है.

Old letter of inviting investors from Sawai Jai Singh
व्यापारियों को प्रोत्साहित करने की योजना जयपुर रियासत में की गई थी शुरू, आज भी सुरक्षित है आमंत्रण पत्र
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Published : May 3, 2022, 10:54 AM IST

बीकानेर. अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए उद्योगों को स्थापित करने के लिए सरकारी स्तर पर कई बार प्रयास किए जाते हैं. बदलते समय में सरकारों के स्तर पर निवेश को बढ़ावा देने के लिए एकल खिड़की योजना सहित अन्य छूट जैसे योजनाओं से निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाता है. इस तरह देश-विदेश से आमंत्रित निवेश से आम लोगों को रोजगार, अर्थव्यवस्था में तेजी और राजस्व में भी बढ़ोतरी होती है. रियासतकालीन समय में भी इस तरह का नवाचार का उदाहरण 300 साल पहले राजस्थान में भी देखने को मिलता है.

बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक आईएएस डॉ महेंद्र खडगावत कहते हैं कि जयपुर शहर की बसावट के बाद तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह ने विक्रम संवत 1794 में जयपुर शहर में व्यापारियों को आमंत्रित किया (Old letter of inviting investors from Sawai Jai Singh) था. उन्हें कई तरह की छूट देने का आश्वासन भी दिया गया था. खडगावत कहते हैं कि तत्कालीन समय में सवाई जयसिंह ने व्यापारियों को कर माफी के अलावा अन्य छूट देने को लेकर पत्र लिखा गया और उन्हें व्यापार करने के लिए आमंत्रित किया.

आज भी सुरक्षित है आमंत्रण पत्र

पढ़ें: Special : बीकानेर अभिलेखागार में सुरक्षित है बापू के हाथ से लिखा मूल पत्र..बिजौलिया आंदोलन के अगुवा पथिक को लिखी थी चिट्ठी

खडगावत कहते हैं कि गुलाबी शहर की बसावट के बाद इस तरह का नवाचार संभवत पहली बार रियासतकालीन समय में जयपुर में हुआ था और इसका असर उस वक्त देखने को मिला. सवाई जय सिंह की ओर से एक व्यापारी रामकिशन को लिखे गए इस पत्र की मूल प्रति आज भी बीकानेर स्थित राज्य अभिलेखागार में सुरक्षित (Original copy of inviting investor by Sawai Jai Singh) है. खडगावत कहते हैं कि वर्तमान समय में तो सरकारें इस तरह का आयोजन करती ही हैं, लेकिन रियासतकालीन समय में इस तरह के रियासत की ओर से लिखे गए किसी भी पत्र का अपना महत्व है. वह इस बात को बताने के लिए पर्याप्त है कि रियासतकालीन समय में भी उद्योग धंधों के लिए तत्कालीन महाराजा की सोच रही.

पढ़ें: SPECIAL : रियासतकालीन 5 लाख पट्टे हुए डिजिटल...कियोस्क से 1 मिनट में निशुल्क मिलेगी जानकारी

अभिलेखागार ने बनवाई लेमिनेशन प्रतियां: सवाई राजा जयसिंह की ओर से इस परवाना (पत्र) की प्रतियां लेमिनेशन करवा राज्य अभिलेखागार ने प्रिंट भी करवाई हैं ताकि आम लोग भी इस मूल प्रति के प्रिंट को अपने घर में रख सकें. इसके लिए न्यूनतम शुल्क लेकर इसे दिया जाता है. वैसे तो राजस्थान प्रदेश की राजधानी के साथ ही गुलाबी नगरी की अपनी एक अलग पहचान है लेकिन उद्योग क्षेत्र में भी जयपुर एक खास महत्व रखता है. चाहे बात सांगानेरी प्रिंट की हो या हीरे जवाहरात के कारोबार की. जयपुर में आज भी कई बड़ी इंडस्ट्रीज हैं.

बीकानेर. अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए उद्योगों को स्थापित करने के लिए सरकारी स्तर पर कई बार प्रयास किए जाते हैं. बदलते समय में सरकारों के स्तर पर निवेश को बढ़ावा देने के लिए एकल खिड़की योजना सहित अन्य छूट जैसे योजनाओं से निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाता है. इस तरह देश-विदेश से आमंत्रित निवेश से आम लोगों को रोजगार, अर्थव्यवस्था में तेजी और राजस्व में भी बढ़ोतरी होती है. रियासतकालीन समय में भी इस तरह का नवाचार का उदाहरण 300 साल पहले राजस्थान में भी देखने को मिलता है.

बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक आईएएस डॉ महेंद्र खडगावत कहते हैं कि जयपुर शहर की बसावट के बाद तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह ने विक्रम संवत 1794 में जयपुर शहर में व्यापारियों को आमंत्रित किया (Old letter of inviting investors from Sawai Jai Singh) था. उन्हें कई तरह की छूट देने का आश्वासन भी दिया गया था. खडगावत कहते हैं कि तत्कालीन समय में सवाई जयसिंह ने व्यापारियों को कर माफी के अलावा अन्य छूट देने को लेकर पत्र लिखा गया और उन्हें व्यापार करने के लिए आमंत्रित किया.

आज भी सुरक्षित है आमंत्रण पत्र

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खडगावत कहते हैं कि गुलाबी शहर की बसावट के बाद इस तरह का नवाचार संभवत पहली बार रियासतकालीन समय में जयपुर में हुआ था और इसका असर उस वक्त देखने को मिला. सवाई जय सिंह की ओर से एक व्यापारी रामकिशन को लिखे गए इस पत्र की मूल प्रति आज भी बीकानेर स्थित राज्य अभिलेखागार में सुरक्षित (Original copy of inviting investor by Sawai Jai Singh) है. खडगावत कहते हैं कि वर्तमान समय में तो सरकारें इस तरह का आयोजन करती ही हैं, लेकिन रियासतकालीन समय में इस तरह के रियासत की ओर से लिखे गए किसी भी पत्र का अपना महत्व है. वह इस बात को बताने के लिए पर्याप्त है कि रियासतकालीन समय में भी उद्योग धंधों के लिए तत्कालीन महाराजा की सोच रही.

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अभिलेखागार ने बनवाई लेमिनेशन प्रतियां: सवाई राजा जयसिंह की ओर से इस परवाना (पत्र) की प्रतियां लेमिनेशन करवा राज्य अभिलेखागार ने प्रिंट भी करवाई हैं ताकि आम लोग भी इस मूल प्रति के प्रिंट को अपने घर में रख सकें. इसके लिए न्यूनतम शुल्क लेकर इसे दिया जाता है. वैसे तो राजस्थान प्रदेश की राजधानी के साथ ही गुलाबी नगरी की अपनी एक अलग पहचान है लेकिन उद्योग क्षेत्र में भी जयपुर एक खास महत्व रखता है. चाहे बात सांगानेरी प्रिंट की हो या हीरे जवाहरात के कारोबार की. जयपुर में आज भी कई बड़ी इंडस्ट्रीज हैं.

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