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Lumpy Skin Disease: लंपी रोग से दूध की आपूर्ति पर असर, 25 फीसदी की गिरावट - Milk production in Bikaner

प्रदेश की गायों में फैल रही लंपी स्किन डिजीज के चलते दूध उत्पादन पर भी काफी असर पड़ा (Milk production affected due to lumpy disease) है. इससे न केवल दूध की आपूर्ति प्रभावित हुई है, बल्कि दूध से बनने वाले अन्य उत्पादों का उत्पादन भी कम हुआ है. बीकानेर में इस महीने के शुरूआती चार दिनों में ही आपूर्ति में 25 फीसदी की गिरावट देखी गई है.

Milk production affected due to lumpy disease in Bikaner
लंपी रोग से दूध की आपूर्ति पर असर, आने वाले दिनों में हो सकती किल्लत
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Published : Aug 5, 2022, 4:36 PM IST

Updated : Aug 6, 2022, 12:36 AM IST

बीकानेर. लंपी रोग (Lumpy Skin Disease) के चलते बड़ी संख्या में गायों की मौत हो रही है, तो वहीं बड़ी संख्या में गाएं रोग के संक्रमण की जद में आ रही हैं. इस रोग से ग्रसित होने वाली गाय के दूध देने की क्षमता कम हो जाती है और यही कारण है कि आने वाले दिनों में दूध की किल्लत भी देखने को मिल सकती है. इस बीमारी के सामने आने के बाद दूध उत्पादन पर भी सीधा असर देखने को मिला (Milk production affected due to lumpy disease) है.

बीकानेर जिला राजस्थान के बड़े दूध उत्पादन वाले जिलों में शामिल है. बीकानेर स्थित उरमूल डेयरी को जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालक दूध की आपूर्ति करते हैं. बीकानेर में इस बीमारी का कितना असर हुआ है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डेयरी को आपूर्ति होने वाले दूध की मात्रा में 25 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. उरमूल डेयरी बीकानेर के प्रबंधक बीएल विश्नोई कहते हैं कि जून माह में डेयरी को हर दिन औसतन 78000 लीटर दूध की आपूर्ति हुई.

आने वाले दिनों में हो सकती है दूध की किल्लत, जानिए वजह...

पढ़ें: लंपी वायरस से अब तक जितनी गायों की मौत, 10 दिन में इस गौशाला में हो जाता है उससे ज्यादा गौवंश 'काल का शिकार'

वहीं जुलाई माह में इस महामारी के सामने आने के बाद यह घटकर 70000 लीटर पर रह गई (Milk production in Bikaner) है. अब अगस्त के 4 दिनों में यह और कम हो गई है. वे कहते हैं कि करीब 25 फीसदी की गिरावट इस महामारी के सामने आने के बाद देखने को मिली है. विश्नोई कहते हैं कि त्योहारी सीजन में दूध की आपूर्ति कम होने से देरी पर इसका असर होगा और आने वाले समय में इसकी दिक्कत भी देखने को मिलेगी.

पढ़ें: लंपी रोग का खतरा बढ़ा, 16 जिलों में गायों के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक: लालचंद कटारिया

दूध के अलावा अन्य पर असर: दरअसल उरमूल डेयरी से बाजार में बिक्री के लिए दूध के अलावा की घी, मिठाई, पनीर, छाछ, दही, श्रीखण्ड की आपूर्ति होती है. त्योहारों में इसकी बड़ी मांग रहती है. लेकिन इस बीमारी के सामने आने के बाद दूध की आपूर्ति में कमी के चलते डेयरी में बनने वाले अन्य उत्पादों पर भी असर देखने को मिल रहा है.

पढ़ें: Lumpy Disease in Cows : राजस्थान में फैला गायों में संक्रामक रोग लंपी, हजारों की हुई मौत...

आंकड़ों में कम: हालांकि लंपी बीमारी से बीकानेर में गायों की मौत के आंकड़ों की कहानी कुछ और है. दरअसल पशुपालन विभाग की ओर से जुलाई के अंतिम सप्ताह से ही आंकड़े जुटाने शुरू किए गए हैं. जबकि जिले में सबसे पहले इस बीमारी का मामला बज्जू में सामने आया और अब जिले के खाजूवाला छत्तरगढ़ में इसका ज्यादा असर है, तो वहीं पूगल श्रीडूंगरगढ़, कोलायत और लूणकरणसर में भी इस बीमारी की जद में बड़ी संख्या में गाय आई है. हालांकि पशुपालन विभाग की ओर से जिले में अब तक करीब 600-700 गायों की मौत की बात कही जा रही है. लेकिन जिस हिसाब से उरमूल डेयरी को होने वाली दूध की आपूर्ति में 25 फीसदी की गिरावट आई है. इससे साफ पता चलता है कि वास्तविकता और आंकड़ों में काफी अंतर है.

बीकानेर. लंपी रोग (Lumpy Skin Disease) के चलते बड़ी संख्या में गायों की मौत हो रही है, तो वहीं बड़ी संख्या में गाएं रोग के संक्रमण की जद में आ रही हैं. इस रोग से ग्रसित होने वाली गाय के दूध देने की क्षमता कम हो जाती है और यही कारण है कि आने वाले दिनों में दूध की किल्लत भी देखने को मिल सकती है. इस बीमारी के सामने आने के बाद दूध उत्पादन पर भी सीधा असर देखने को मिला (Milk production affected due to lumpy disease) है.

बीकानेर जिला राजस्थान के बड़े दूध उत्पादन वाले जिलों में शामिल है. बीकानेर स्थित उरमूल डेयरी को जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालक दूध की आपूर्ति करते हैं. बीकानेर में इस बीमारी का कितना असर हुआ है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डेयरी को आपूर्ति होने वाले दूध की मात्रा में 25 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. उरमूल डेयरी बीकानेर के प्रबंधक बीएल विश्नोई कहते हैं कि जून माह में डेयरी को हर दिन औसतन 78000 लीटर दूध की आपूर्ति हुई.

आने वाले दिनों में हो सकती है दूध की किल्लत, जानिए वजह...

पढ़ें: लंपी वायरस से अब तक जितनी गायों की मौत, 10 दिन में इस गौशाला में हो जाता है उससे ज्यादा गौवंश 'काल का शिकार'

वहीं जुलाई माह में इस महामारी के सामने आने के बाद यह घटकर 70000 लीटर पर रह गई (Milk production in Bikaner) है. अब अगस्त के 4 दिनों में यह और कम हो गई है. वे कहते हैं कि करीब 25 फीसदी की गिरावट इस महामारी के सामने आने के बाद देखने को मिली है. विश्नोई कहते हैं कि त्योहारी सीजन में दूध की आपूर्ति कम होने से देरी पर इसका असर होगा और आने वाले समय में इसकी दिक्कत भी देखने को मिलेगी.

पढ़ें: लंपी रोग का खतरा बढ़ा, 16 जिलों में गायों के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक: लालचंद कटारिया

दूध के अलावा अन्य पर असर: दरअसल उरमूल डेयरी से बाजार में बिक्री के लिए दूध के अलावा की घी, मिठाई, पनीर, छाछ, दही, श्रीखण्ड की आपूर्ति होती है. त्योहारों में इसकी बड़ी मांग रहती है. लेकिन इस बीमारी के सामने आने के बाद दूध की आपूर्ति में कमी के चलते डेयरी में बनने वाले अन्य उत्पादों पर भी असर देखने को मिल रहा है.

पढ़ें: Lumpy Disease in Cows : राजस्थान में फैला गायों में संक्रामक रोग लंपी, हजारों की हुई मौत...

आंकड़ों में कम: हालांकि लंपी बीमारी से बीकानेर में गायों की मौत के आंकड़ों की कहानी कुछ और है. दरअसल पशुपालन विभाग की ओर से जुलाई के अंतिम सप्ताह से ही आंकड़े जुटाने शुरू किए गए हैं. जबकि जिले में सबसे पहले इस बीमारी का मामला बज्जू में सामने आया और अब जिले के खाजूवाला छत्तरगढ़ में इसका ज्यादा असर है, तो वहीं पूगल श्रीडूंगरगढ़, कोलायत और लूणकरणसर में भी इस बीमारी की जद में बड़ी संख्या में गाय आई है. हालांकि पशुपालन विभाग की ओर से जिले में अब तक करीब 600-700 गायों की मौत की बात कही जा रही है. लेकिन जिस हिसाब से उरमूल डेयरी को होने वाली दूध की आपूर्ति में 25 फीसदी की गिरावट आई है. इससे साफ पता चलता है कि वास्तविकता और आंकड़ों में काफी अंतर है.

Last Updated : Aug 6, 2022, 12:36 AM IST
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