बीकानेर: ज्यादा वक्त नहीं बीता जब दुनिया ने अपनी आंखों के सामने लोगों को एक-एक सांस के लिए जद्दोजहद करते देखा, उन्हें तड़प तड़प कर मरते देखा. किसी भी संवेदनशील इंसान के लिए ये न भूलने वाले मंजर थे. ऐसा ही कुछ बीकानेर के रवि व्यास के साथ हुआ. इस साल नहीं बल्कि आज से लगभग 2 साल पहले. एक फोन ने उनकी जिन्दगी बदल कर रख दी. खुद को तैयार किया और मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया.
रवि को दोस्तों का साथ मिला और जिन्दगी को एक नया मकसद मिल गया. एक स्टडी के मुताबिक भारत में हर साल लाखों लोगों की जान समय पर रक्त मिलने बच जाती है तो वहीं कई लोगों की जान समय पर खून न मिलने से चली जाती है. रक्तदान को लेकर सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कई अभियान भी चलाए जाते हैं. कोरोना की महामारी के दौर में प्लाज्मा की जरूरत पड़ी तो कई लोगों को रक्तदान का मतलब भी समझ आया.
बीकानेर में ब्लड डोनेशन
बात करें बीकानेर की तो हर साल बीकानेर में भी तकरीबन 15 से 20000 यूनिट ब्लड डोनेशन होता है और जरूरत 40000 ब्लड यूनिट की रहती है. रक्तदान को लेकर बीकानेर के शिक्षा विभाग के एक सरकारी कार्मिक ने अपने दोस्तों के साथ ब्लड डोनेशन को लेकर मुहिम शुरू की और 5 लोगों से शुरू की मुहिम में आज 14000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. नेक नीयत से शुरू किए गए मकसद का दायरा बढ़ा और आज ये एक रजिस्टर्ड संस्था का रूप ले चुका है.
दोस्तों के साथ से बन गई बात
फिलहाल रवि व्यास बीकानेर के इंदिरा गांधी नहर परियोजना कॉलोनी के विद्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम कर रहे हैं. अपनी दिली ख्वाहिश का जिक्र इन्होंने अपने दोस्तों इंद्र कुमार चांडक, विक्रम इच्छपुलियानी और कुछ दोस्तों से किया था. उनका साथ मिला तो रक्तदान को लेकर मुहिम शुरू की. इससे जुड़ा एक किस्सा भी रवि बताते हैं. कहते हैं एक परिचित को ब्लड की जरूरत थी और उस वक्त अरेंज करने में खासी परेशानी हुई. इसके बाद सब दोस्तों ने मिलकर ब्लड डोनेशन (Blood Donation) को लेकर काम करने का निर्णय लिया. 1 दिसंबर 2018 से ब्लड डोनेशन (Blood Donation In Bikaner) की कवायद को अमली जामा पहनाया और बीकाणा ब्लड सेवा समिति ने जन्म लिया.
शुरुआती दौर में लोगों को साथ जोड़ने में थोड़ी परेशानी हुई लेकिन यार दोस्तों के साथ ने मुश्किलों पर काबू पाना सिखा दिया. उसका परिणाम है कि बीकानेर शहर में दो हजार और पूरे जिले में 14 से 15,000 लोगों की ब्लड डोनेशन की टीम काम कर रही है. बीकाणा ब्लड सेवा समिति की 30 लोगों की टीम समिति के बैनर तले काम कर रही है. कोरोना काल में प्लाज्मा और अब डेंगू के बढ़ते प्रकोप के बीच एस डी पी डोनेशन को लेकर बीकाणा ब्लड सेवा समिति के लोग काम कर रहे हैं
सीमित नहीं बिकाणो का दायरा
समिति के पदाधिकारी और संस्थापक सदस्य इंद्र कुमार चांडक कहते हैं- हमारी संस्था का नाम भले ही बीकानेर से जुड़ा हो लेकिन अब काम पूरे देश में है. देश में किसी भी शहर में किसी भी जरूरतमंद को ब्लड की जरूरत हो या फिर प्लाज्मा या फिर एसडीपी हम हर संभव मदद करने का प्रयास करते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए संभव है कि हर शहर में कोई ना कोई संस्था ब्लड डोनेशन को लेकर काम कर रही है और बीकानेर में जब किसी को जरूरत होती है तो एक संबंध बन जाता है और ऐसे में भविष्य में किसी और शहर में जरूरतमंद को जरूरत होती है तो हम वहां से लोगों से संपर्क कर व्यवस्था करवाने का प्रयास करते हैं.
अब तक संस्था गरीब 25 से ज्यादा ब्लड डोनेशन कैंप बीकानेर शहर के अलग-अलग जगहों पर आयोजित कर चुकी है और भविष्य में बीकानेर शहर के हर वार्ड में ब्लड डोनेशन कैंप लगाने की इच्छा है. इसके अलावा संस्था का फोकस लाइव डोनर पर ज्यादा रहता है जिसमें जरूरतमंद को तुरन्त ब्लड मिल जाता है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को ब्लड डोनेशन की प्रेरणा भी मिलती है. वे कहते हैं कि तकरीबन चार हजार से ज्यादा लाइव डोनेशन पूरे साल में हो जाते हैं.
'रक्तदान-महादान, जरूर करें'
अब तक 85 बार ब्लड डोनेशन के साथ ही एसडीपी डोनेट कर चुके इंदर कुमार चांडक कहते हैं कि ब्लड डोनेशन को लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं. लेकिन मैं व्यक्तिगत तौर पर इतनी बार ब्लड डोनेशन कर चुका हूं मुझे आज तक किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई है. संस्था के सक्रिय सदस्य और तकरीबन 35 बार ब्लड डोनेट कर चुके युवा विक्रम इच्छपुलियानी कहते हैं कि बीकानेर के पीबीएम अस्पताल हो या फिर कोठारी अस्पताल डेंगू के इस दौर में तकरीबन 300 से ज्यादा एसडीपी डोनेशन अब तक संस्था के माध्यम से हो चुका है.
कहते हैं कि कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि पूरी रात अस्पताल में ही इस काम के लिए गुजारनी पड़ती है, लेकिन इस बात का संतोष मिलता है कि किसी जरूरतमंद की मदद में काम आए. बीकानेर के कोठारी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ कर्मवीर गोदारा भी संस्था के काम की तारीफ करते हुए कहते हैं कि रक्तदान सबसे बड़ा दान है लेकिन लोगों में इसको लेकर जागरूकता जरूरी है और संस्था के पदाधिकारी मानवीय मूल्यों को तरजीह देते हुए लोगों के जीवन को बचाने के लिए बेहतर काम कर रहे हैं.