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स्पेशलः खानपान और दान का पर्व मकर सक्रांति को लेकर बीकानेर में रौनक

मकर सक्रांति का पर्व बीकानेर में भी धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन घेवर खाने और बांटने की परंपरा है. इस के साथ तिल और गुड़ से बनी गजक का भी वितरण किया जाता है.

Makar Sankranti celebtation in bikaner, बीकानेर में मकर संक्रांति
बीकानेर में मकर संक्रांति की रौनक
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Published : Jan 14, 2020, 4:32 PM IST

बीकानेर. सूर्य के उत्तरायण में चलित होकर मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है. एक महीने तक मलमास रहने के चलते बंद हुए वैवाहिक और मांगलिक कार्य मकर सक्रांति के साथ ही फिर से शुरू हो जाते हैं. शास्त्रों में मकर सक्रांति को महापर्व माना गया है.

बीकानेर में मकर संक्रांति की रौनक

बीकानेर में भी देश भर की तरह मकर सक्रांति को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. मकर सक्रांति के दिन दान पुण्य करने की भी पुरातन परंपरा है. पौराणिक रूप से मकर सक्रांति का खास महत्व है, वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मकर सक्रांति के दिन ही तिल और गुड़ का सेवन के फायदेमंद है. मकर सक्रांति के दिन घेवर खाना और दान करना ज्योतिषी दृष्टिकोण से संबंध रखता है.

यह भी पढ़ेंः Special: देश का पहला शौर्य उद्यान बना झुंझुनू में, रणबांकुरों के इतिहास और वीरता से हो सकेंगे रू-ब-रू

मकर सक्रांति को लेकर बड़ी संख्या में बीकानेर में घेवर बनाए जाते हैं. लगातार एक महीने से भी ज्यादा समय तक शहर में अलग-अलग जगह घेवर बनाकर स्टॉक किया जाता है, इस दिन बड़ी संख्या में लोग घेवर खरीदते हैं. एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर में मकर सक्रांति के उपलक्ष में करीब 5 लाख से ज्यादा घेवर बनाए जाते हैं.

साथ ही बीकानेर से देश के अन्य शहरों में भी भेजा जाता है. बीकानेर में इस दिन बहन बेटियों के ससुराल में घेवर भेजने की परंपरा है. घेवर के साथ ही तिल और गुड़ से बनी गजक की भी बीकानेर बड़ी मात्रा में मकर संक्रांति के दिन खपत होती है.

ये पढ़ेंः स्पेशल: 'झींगा' चली विदेश की ओर, 60 किसानों ने करीब 350 टन की पैदावार

मकर संक्रांति तन मन और धन से मनाया जाने वाला पर्व...

बीकानेर के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित अविनाश चंद्र व्यास कहते हैं, कि मकर सक्रांति तन मन और धन से मनाया जाने वाला पर्व है. दीपावली पर तन और धन खर्च होता है, वहीं होली तन और मन से मनाया जाने वाला पर्व है. लेकिन मकर सक्रांति तन मन और धन का पर्व है.

पंडित व्यास ने बताया कि सर्दियों में तिल गुड़ और घेवर शरीर के लिए लाभदायक है. वहीं पतंग उड़ाना मन की प्रसन्नता का परिचायक है और दान पुण्य से धन का खर्च होने का संबंध है. शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भागीरथी इसी दिन गंगा सागर में प्रविष्ट हुई थी. इसलिए इस दिन तीर्थ स्नान का भी महत्व है.

बीकानेर. सूर्य के उत्तरायण में चलित होकर मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है. एक महीने तक मलमास रहने के चलते बंद हुए वैवाहिक और मांगलिक कार्य मकर सक्रांति के साथ ही फिर से शुरू हो जाते हैं. शास्त्रों में मकर सक्रांति को महापर्व माना गया है.

बीकानेर में मकर संक्रांति की रौनक

बीकानेर में भी देश भर की तरह मकर सक्रांति को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. मकर सक्रांति के दिन दान पुण्य करने की भी पुरातन परंपरा है. पौराणिक रूप से मकर सक्रांति का खास महत्व है, वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मकर सक्रांति के दिन ही तिल और गुड़ का सेवन के फायदेमंद है. मकर सक्रांति के दिन घेवर खाना और दान करना ज्योतिषी दृष्टिकोण से संबंध रखता है.

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मकर सक्रांति को लेकर बड़ी संख्या में बीकानेर में घेवर बनाए जाते हैं. लगातार एक महीने से भी ज्यादा समय तक शहर में अलग-अलग जगह घेवर बनाकर स्टॉक किया जाता है, इस दिन बड़ी संख्या में लोग घेवर खरीदते हैं. एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर में मकर सक्रांति के उपलक्ष में करीब 5 लाख से ज्यादा घेवर बनाए जाते हैं.

साथ ही बीकानेर से देश के अन्य शहरों में भी भेजा जाता है. बीकानेर में इस दिन बहन बेटियों के ससुराल में घेवर भेजने की परंपरा है. घेवर के साथ ही तिल और गुड़ से बनी गजक की भी बीकानेर बड़ी मात्रा में मकर संक्रांति के दिन खपत होती है.

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मकर संक्रांति तन मन और धन से मनाया जाने वाला पर्व...

बीकानेर के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित अविनाश चंद्र व्यास कहते हैं, कि मकर सक्रांति तन मन और धन से मनाया जाने वाला पर्व है. दीपावली पर तन और धन खर्च होता है, वहीं होली तन और मन से मनाया जाने वाला पर्व है. लेकिन मकर सक्रांति तन मन और धन का पर्व है.

पंडित व्यास ने बताया कि सर्दियों में तिल गुड़ और घेवर शरीर के लिए लाभदायक है. वहीं पतंग उड़ाना मन की प्रसन्नता का परिचायक है और दान पुण्य से धन का खर्च होने का संबंध है. शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भागीरथी इसी दिन गंगा सागर में प्रविष्ट हुई थी. इसलिए इस दिन तीर्थ स्नान का भी महत्व है.

Intro:मकर सक्रांति का पर्व बीकानेर में भी धूमधाम से मनाने की तैयारियां की जा रही है बीकानेर में मकर सक्रांति के दिन घेवर खाने और बांटने की परंपरा है और इसी के साथ तिल और गुड़ से बनी गजक का भी वितरण किया जाता है।


Body:बीकानेर। भगवान सूर्य के उत्तरायण में चलित होकर मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है। एक महीने तक मलमास रहने के चलते बंद हुए वैवाहिक और मांगलिक कार्य मकर सक्रांति के साथ ही फिर से शुरू हो जाते हैं। शास्त्रों में मकर सक्रांति को महापर्व माना गया है बीकानेर में भी देश भर की तरह मकर सक्रांति को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है मकर सक्रांति के दिन दान पुण्य करने की भी पुरातन परंपरा है। मकर सक्रांति को लेकर बड़ी संख्या में बीकानेर में घेवर बनाए जाते हैं लगातार एक महीने से भी ज्यादा समय तक शहर में अलग-अलग जगह घेवर बनाकर स्टॉक किया जाता है और मकर सक्रांति के दिन बड़ी संख्या में लोग घेवर खरीदते हैं। एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर में मकर सक्रांति के उपलक्ष में करीब पांच लाख से ज्यादा घेवर बनाए जाते हैं साथ ही बीकानेर से देश के अन्य शहरों में भी भेजा जाता है। बीकानेर में इस दिन बहन बेटियों ससुराल में घेवर भेजने की परंपरा है।


Conclusion:घेवर के साथ ही तिल और गुड़ से बनी गजक की भी बीकानेर बड़ी मात्रा में मकर संक्रांति के दिन खपत होती है। पौराणिक रूप से मकर सक्रांति का खास महत्व है तो वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मकर सक्रांति के दिन ही तिल और गुड़ का सेवन के फायदेमंद है। मकर सक्रांति के दिन घेवर खाना और दान करना ज्योतिषी दृष्टिकोण से संबंध रखता है बीकानेर के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित अविनाश चंद्र व्यास कहते हैं कि मकर सक्रांति तन मन और धन से मनाया जाने वाला पर्व है। व्यास कहते हैं कि दीपावली पर तन और धन खर्च होता है तो वहीं होली तन और मन से मनाया जाने वाला पर्व है। वही मकर सक्रांति तन मन और धन का पर्व है। सर्दियों में तिल गुड़ और घेवर शरीर के लिए लाभदायक है वही पतंग उड़ाना मन की प्रसन्नता का परिचायक है और दान पुण्य से धन का खर्च होने का संबंध है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भागीरथी इसी दिन गंगा सागर में प्रविष्ट हुई थी इसलिए इस दिन तीर्थ स्नान का भी महत्व है।

बाइट अविनाश चन्द्र व्यास, ज्योतिषी
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