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बजट 2020 : सरकार से ठोस कदम उठाने की आस...किसान बजट पर लगाए बैठे टकटकी - बीकानेर न्यूज

केंद्र सरकार की ओर से एक फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट में हर वर्ग को सरकार से कुछ बेहतर होने की उम्मीद है. देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और किसानों को सरकार से राहत की उम्मीदें हैं.

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बजट से आस
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Published : Jan 29, 2020, 8:30 PM IST

बीकानेर. केंद्र सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले आम बजट 2020 को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. मोदी सरकार से वैसे तो आमजन को भी खासी उम्मीदें हैं लेकिन, देश की अर्थव्यवस्था की मुख्य धुरी कही जाने वाली कृषि सुधार और कृषि के प्रति किसानों की धीरे-धीरे कम हो रही रूचि को रोकने के लिए भी इस आम बजट में किसानों को सरकार से खासी उम्मीदें हैं.

बजट से किसानों की आस

इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने बीकानेर अनाज मंडी में आए किसानों से बात कर उनकी उम्मीदों को जाना. किसान सरकार से ठोस कदम उठाने की बात कहते नजर आए. बीकानेर अनाज मंडी में आए किसान भागीरथ ओझा का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर टिकी हुई है. लेकिन, अब किसान के लिए खेती करना घाटे का सौदा बन गया है.

प्राकृतिक आपदाओं से किसान को जहां फसल के पूरा नहीं होने और नष्ट होने से नुकसान हो रहा है, वहीं सरकार की ओर से दिए जाने वाला मुआवजा भी महज ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यवसाय में प्राकृतिक आपदा में सरकार की ओर से दिया जाने वाला मुआवजा उस घाटे की भरपाई करने के लिए पर्याप्त हो सकता है. लेकिन, किसानों के लिए दिया जाने वाला मुआवजा बहुत कम होता है.

इसलिए सरकार को किसानों के लिए कुछ राहत भरे कदम उठाने चाहिए. साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी एक ठोस सिस्टम बनाया जाना चाहिए ताकि किसान को इससे नुकसान न हो.

यह भी पढ़ें- बजट स्पेशल : 'शिक्षा नगरी' को बजट से काफी उम्मीदें, देखें- ईटीवी भारत की खास पेशकश

वहीं दूसरे किसान रामेश्वर सारण का कहना है कि समर्थन मूल्य पर सरकार की ओर से की जाने वाली खरीद की बजाय सरकार को सीधे किसान के खाते में उस फसल के बाजार भाव और समर्थन मूल्य के अंतर को खाते में जमा करा देना चाहिए.

सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद की प्रक्रिया को वापस लें, जिससे किसान को किसी भी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं होगा. इससे पूरी तरह से कालाबाजारी भी खत्म हो जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीद का पूरा सिस्टम अफसरशाही के हाथ में है, जिसके चलते किसान को खासी परेशानी होती है और उसे अपनी लागत का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता है.

किसान भंवर ने कहा कि किसी भी तरह से सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर आगजनी या आपदा में किसान के खेत में ढाणी को नुकसान हो जाता है तो चाहे उसमें फिर कितनी भी फसल हो, उसे मुआवजे के रूप में महज ढाई हजार रुपए ही मिलता है. इसलिए सरकार को बजट में किसानों के लिए ठोस प्लान बनाकर उन्हें लाभ देना चाहिए.

यह भी पढ़ें- बजट 2020-21: मेडीकल, मकान और मूलभुत सुविधाएं....कुछ ऐसी हैं वकीलों को बजट से आशाएं

बीकानेर अनाज मंडी में व्यापारी और भाजपा नेता मोहन सुराणा का कहना था कि सरकार को किसानों को एमएसपी पर खरीद को लेकर कुछ सब्सिडी सीधे खाते में देनी चाहिए. साथ ही किसानों के लिए तय की गई न्यूनतम समर्थन सीमा को बढ़ाकर चार गुणा कर देना चाहिए. इससे किसानों को उससे लाभ मिलेगा. इसके साथ ही खेती में काम आने वाले उपकरण यंत्रों पर भी टैक्स में कमी करने से किसान को सीधा लाभ होगा.

केंद्र सरकार खुद भी जानती है कि किसान किस तरह बजट पर टकटकी लगाए बैठे हैं. इसके बाद भी अब सरकार कितनी राहत दे पाती है, ये तो 1 फरवरी को बजट आने के बाद ही पता चल पाएगा.

बीकानेर. केंद्र सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले आम बजट 2020 को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. मोदी सरकार से वैसे तो आमजन को भी खासी उम्मीदें हैं लेकिन, देश की अर्थव्यवस्था की मुख्य धुरी कही जाने वाली कृषि सुधार और कृषि के प्रति किसानों की धीरे-धीरे कम हो रही रूचि को रोकने के लिए भी इस आम बजट में किसानों को सरकार से खासी उम्मीदें हैं.

बजट से किसानों की आस

इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने बीकानेर अनाज मंडी में आए किसानों से बात कर उनकी उम्मीदों को जाना. किसान सरकार से ठोस कदम उठाने की बात कहते नजर आए. बीकानेर अनाज मंडी में आए किसान भागीरथ ओझा का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर टिकी हुई है. लेकिन, अब किसान के लिए खेती करना घाटे का सौदा बन गया है.

प्राकृतिक आपदाओं से किसान को जहां फसल के पूरा नहीं होने और नष्ट होने से नुकसान हो रहा है, वहीं सरकार की ओर से दिए जाने वाला मुआवजा भी महज ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यवसाय में प्राकृतिक आपदा में सरकार की ओर से दिया जाने वाला मुआवजा उस घाटे की भरपाई करने के लिए पर्याप्त हो सकता है. लेकिन, किसानों के लिए दिया जाने वाला मुआवजा बहुत कम होता है.

इसलिए सरकार को किसानों के लिए कुछ राहत भरे कदम उठाने चाहिए. साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी एक ठोस सिस्टम बनाया जाना चाहिए ताकि किसान को इससे नुकसान न हो.

यह भी पढ़ें- बजट स्पेशल : 'शिक्षा नगरी' को बजट से काफी उम्मीदें, देखें- ईटीवी भारत की खास पेशकश

वहीं दूसरे किसान रामेश्वर सारण का कहना है कि समर्थन मूल्य पर सरकार की ओर से की जाने वाली खरीद की बजाय सरकार को सीधे किसान के खाते में उस फसल के बाजार भाव और समर्थन मूल्य के अंतर को खाते में जमा करा देना चाहिए.

सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद की प्रक्रिया को वापस लें, जिससे किसान को किसी भी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं होगा. इससे पूरी तरह से कालाबाजारी भी खत्म हो जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीद का पूरा सिस्टम अफसरशाही के हाथ में है, जिसके चलते किसान को खासी परेशानी होती है और उसे अपनी लागत का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता है.

किसान भंवर ने कहा कि किसी भी तरह से सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर आगजनी या आपदा में किसान के खेत में ढाणी को नुकसान हो जाता है तो चाहे उसमें फिर कितनी भी फसल हो, उसे मुआवजे के रूप में महज ढाई हजार रुपए ही मिलता है. इसलिए सरकार को बजट में किसानों के लिए ठोस प्लान बनाकर उन्हें लाभ देना चाहिए.

यह भी पढ़ें- बजट 2020-21: मेडीकल, मकान और मूलभुत सुविधाएं....कुछ ऐसी हैं वकीलों को बजट से आशाएं

बीकानेर अनाज मंडी में व्यापारी और भाजपा नेता मोहन सुराणा का कहना था कि सरकार को किसानों को एमएसपी पर खरीद को लेकर कुछ सब्सिडी सीधे खाते में देनी चाहिए. साथ ही किसानों के लिए तय की गई न्यूनतम समर्थन सीमा को बढ़ाकर चार गुणा कर देना चाहिए. इससे किसानों को उससे लाभ मिलेगा. इसके साथ ही खेती में काम आने वाले उपकरण यंत्रों पर भी टैक्स में कमी करने से किसान को सीधा लाभ होगा.

केंद्र सरकार खुद भी जानती है कि किसान किस तरह बजट पर टकटकी लगाए बैठे हैं. इसके बाद भी अब सरकार कितनी राहत दे पाती है, ये तो 1 फरवरी को बजट आने के बाद ही पता चल पाएगा.

Intro:केंद्र सरकार की ओर से एक फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट में हर वर्ग को सरकार से कुछ बेहतर होने की उम्मीद है। देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और किसानों को भी सरकार से कुछ न कुछ उम्मीदें हैं।


Body:बीकानेर। केंद्र सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले आम बजट 2020 को लेकर लोगों में खासा उत्साह है मोदी सरकार वैसे तो आमजन को भी खासी उम्मीदें हैं लेकिन देश की अर्थव्यवस्था की मुख्य धुरी कही जाने वाली कृषि सुधार और किसी के प्रति किसानों की धीरे धीरे कम हो रही ऊंची को रोकने के लिए भी इस आम बजट में किसानों को सरकार से खासी उम्मीदें हैं। बीकानेर अनाज मंडी में आए किसान भागीरथ ओझा का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर टिकी हुई है लेकिन अब किसान के लिए खेती करना घाटे का सौदा बन गया है। प्राकृतिक आपदाओं से किसान को जहां फसल के पूरा नहीं होने और नष्ट होने से नुकसान हो रहा है वहीं सरकार की ओर से दिए जाने वाला मुआवजा भीम महज ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यवसाय में प्राकृतिक आपदा में सरकार की ओर से दिया जाने वाला मुआवजा उस घाटे की भरपाई करने के लिए पर्याप्त हो सकता है लेकिन किसानों के लिए दिया जाने वाला मुआवजा बहुत कम होता है। इसलिए सरकार को किसानों के लिए कुछ राहत भरे कदम उठाने चाहिए साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी एक ठोस सिस्टम बनाया जाना चाहिए ताकि किसान को इससे नुकसान न हो। किसान रामेश्वर सारण का कहना है कि समर्थन मूल्य पर सरकार की ओर से की जाने वाली खरीद की बजाय सरकार को सीधे किसान के खाते में उस फसल के बाजार भाव और समर्थन मूल्य के अंतर को खाते में जमा करा देना चाहिए और सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद की प्रक्रिया को वापस ले लेवे जिससे किसान को किसी भी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं होगा और इससे पूरी तरह से कालाबाजारी भी खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीद का पूरा सिस्टम अफसरशाही के हाथ में है जिसके चलते किसान को खासी परेशानी होती है और उसे अपनी लागत का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता है।


Conclusion:किसान भंवर ने कहा कि किसी भी तरह से सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए उन्होंने कहा कि अगर आगजनी या आपदा में किसान के खेत में ढाणी को नुकसान हो जाता है और चाहे उसमें फिर कितनी भी फसल हो लेकिन उसे मुआवजे के रूप में महज ढाई हजार रुपए ही मिलता है। इसलिए सरकार को बजट में किसानों के लिए ठोस प्लान बनाकर उन्हें लाभ देना चाहिए। बीकानेर अनाज मंडी में व्यापारी और भाजपा नेता मोहन सुराणा का कहना था कि सरकार को किसानों को एमएसपी पर खरीद को लेकर कुछ सब्सिडी सीधे खाते में देनी चाहिए साथ ही किसानों के लिए सरकार तय की गई न्यूनतम समर्थन सीमा को बढ़ाकर चार गुणा कर देना चाहिए ताकि किसानों को उससे लाभ मिले इसके साथ ही की खेती में काम आने वाले उपकरण यंत्रों पर भी टैक्स में कमी करने से किसान को सीधा लाभ होगा।


बाइट भागीरथ ओझा किसान

बाइट रामेश्वर सारण किसान

बाइट भंवर किसान

बाइट मोहन सुराणा, अनाज व्यापारी भाजपा नेता
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