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13 साल से जारी बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग, हर महीने एक दिन कार्य बहिष्कार - Rajasthan Hindi News

बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर 13 साल पहले शुरू हुआ आंदोलन (Demand of Highcourt Bench in Bikaner) आज भी जारी है. हर महीने 17 तारीख को बीकानेर में अधिवक्ता कार्य बहिष्कार करते हुए बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर राज्यपाल तक अपनी बात का ज्ञापन पहुंचाते हैं.

Advocates demands for Bikaner Highcourt
13 साल से बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग
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Published : Sep 17, 2022, 5:59 PM IST

Updated : Sep 17, 2022, 6:12 PM IST

बीकानेर. हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर बीकानेर में लंबे समय से आवाज उठ रही है. 13 साल पहले बीकानेर के अधिवक्ताओं ने एक आंदोलन शुरू किया था. लगातार 120 दिन तक लंबा आंदोलन चला और इस दौरान पूरी तरह कार्य का बहिष्कार किया गया. वहीं क्रमिक अनशन भी लगातार जारी रहा. हालांकि इसपर कोई फैसला नहीं हुआ. लेकिन बीकानेर के अधिवक्ताओं ने इस आंदोलन को खत्म नहीं किया. हर महीने की 17 तारीख को बीकानेर के अधिवक्ता कार्य बहिष्कार करते हुए राज्यपाल के नाम बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर ज्ञापन देते हैं.

इसलिए बीकानेर कर रहा दावा: बीकानेर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्रपाल शर्मा ने बताया कि (Demand of Highcourt Bench in Bikaner) बीकानेर रियासत की ओर से भी बीकानेर हाईकोर्ट स्थापित थी. आजादी के बाद हाईकोर्ट का केंद्रीकरण हुआ और जोधपुर में मुख्य पीठ स्थापित हुई. वो कहते हैं कि बीकानेर संभाग सीमावर्ती जिलों के साथ ही रेगिस्तानी इलाका है और भौगोलिक दृष्टि से थोड़ा भिन्न है. बीकानेर संभाग का आखिरी गांव हिंदूमलकोट से जोधपुर की दूरी 550 किलोमीटर है. ऐसे में किसी को सस्ते न्याय की उम्मीद कैसे हो सकती है.

13 साल से जारी बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग

निचले स्तर पर विकेंद्रीकरण से और देरी : बार एसोसिएशन बीकानेर के अध्यक्ष सुरेंद्र पाल शर्मा (Bikaner Advocates boycott work) कहते हैं कि निचले स्तर पर न्याय व्यवस्था का विकेंद्रीकरण किया गया है. जो अच्छी बात है. न्याय व्यवस्था में कुछ रिफॉर्म हुए. लेकिन उन मामलों में निचले स्तर पर हुए निर्णय के विरुद्ध जिला स्तर पर डीजे और एडीजे स्तर पर सुनवाई का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि फैमिली कोर्ट और सिविल मामलों में अब अपील की सुनवाई इन न्यायालय में नहीं हो पाती है. वह मामला सीधे हाईकोर्ट रेफर होता है. हाईकोर्ट में मामलों की संख्या और पेंडिंग केस दोनों ही बढ़ रहे हैं. जिससे न्याय मिलने में देरी हो रही है. ऐसे में हमारा यह मानना है सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भी विकेंद्रीकरण होना चाहिए.

पढ़ें. Advocates protest in udaipur: अधिवक्ताओं का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, कहा- उदयपुर में 40 साल से हाईकोर्ट की मांग जारी

4 जिलों में अधिकांश मामले : बीकानेर संभाग मुख्यालय बीकानेर के साथ ही हनुमानगढ़, गंगानगर (Advocates demands for Bikaner Highcourt) चूरू शामिल है. इन सभी जिलों के मामलों की सुनवाई जोधपुर हाईकोर्ट में होती है. जोधपुर हाई कोर्ट में हर रोज लगने वाले मामलों में जोधपुर के बाद अधिकांश मामले बीकानेर संभाग के होते हैं. ऐसे में बीकानेर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र पाल शर्मा का कहना है कि हम चाहते हैं कि अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को भी सस्ता और सुलभ न्याय मिले और इसके लिए हम विकेंद्रीकरण की बात कर रहे हैं.

केंद्र और राज्य तक पहुंचाई बात : सुरेंद्र पाल शर्मा कहते हैं कि राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हमें इस बारे में आश्वासन दिया था. इसपर तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी मामले में गंभीरता दिखाई थी. हम लोग लगातार दिल्ली और जयपुर तक इस बात को उठा चुके हैं.

बीकानेर. हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर बीकानेर में लंबे समय से आवाज उठ रही है. 13 साल पहले बीकानेर के अधिवक्ताओं ने एक आंदोलन शुरू किया था. लगातार 120 दिन तक लंबा आंदोलन चला और इस दौरान पूरी तरह कार्य का बहिष्कार किया गया. वहीं क्रमिक अनशन भी लगातार जारी रहा. हालांकि इसपर कोई फैसला नहीं हुआ. लेकिन बीकानेर के अधिवक्ताओं ने इस आंदोलन को खत्म नहीं किया. हर महीने की 17 तारीख को बीकानेर के अधिवक्ता कार्य बहिष्कार करते हुए राज्यपाल के नाम बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर ज्ञापन देते हैं.

इसलिए बीकानेर कर रहा दावा: बीकानेर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्रपाल शर्मा ने बताया कि (Demand of Highcourt Bench in Bikaner) बीकानेर रियासत की ओर से भी बीकानेर हाईकोर्ट स्थापित थी. आजादी के बाद हाईकोर्ट का केंद्रीकरण हुआ और जोधपुर में मुख्य पीठ स्थापित हुई. वो कहते हैं कि बीकानेर संभाग सीमावर्ती जिलों के साथ ही रेगिस्तानी इलाका है और भौगोलिक दृष्टि से थोड़ा भिन्न है. बीकानेर संभाग का आखिरी गांव हिंदूमलकोट से जोधपुर की दूरी 550 किलोमीटर है. ऐसे में किसी को सस्ते न्याय की उम्मीद कैसे हो सकती है.

13 साल से जारी बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग

निचले स्तर पर विकेंद्रीकरण से और देरी : बार एसोसिएशन बीकानेर के अध्यक्ष सुरेंद्र पाल शर्मा (Bikaner Advocates boycott work) कहते हैं कि निचले स्तर पर न्याय व्यवस्था का विकेंद्रीकरण किया गया है. जो अच्छी बात है. न्याय व्यवस्था में कुछ रिफॉर्म हुए. लेकिन उन मामलों में निचले स्तर पर हुए निर्णय के विरुद्ध जिला स्तर पर डीजे और एडीजे स्तर पर सुनवाई का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि फैमिली कोर्ट और सिविल मामलों में अब अपील की सुनवाई इन न्यायालय में नहीं हो पाती है. वह मामला सीधे हाईकोर्ट रेफर होता है. हाईकोर्ट में मामलों की संख्या और पेंडिंग केस दोनों ही बढ़ रहे हैं. जिससे न्याय मिलने में देरी हो रही है. ऐसे में हमारा यह मानना है सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भी विकेंद्रीकरण होना चाहिए.

पढ़ें. Advocates protest in udaipur: अधिवक्ताओं का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, कहा- उदयपुर में 40 साल से हाईकोर्ट की मांग जारी

4 जिलों में अधिकांश मामले : बीकानेर संभाग मुख्यालय बीकानेर के साथ ही हनुमानगढ़, गंगानगर (Advocates demands for Bikaner Highcourt) चूरू शामिल है. इन सभी जिलों के मामलों की सुनवाई जोधपुर हाईकोर्ट में होती है. जोधपुर हाई कोर्ट में हर रोज लगने वाले मामलों में जोधपुर के बाद अधिकांश मामले बीकानेर संभाग के होते हैं. ऐसे में बीकानेर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र पाल शर्मा का कहना है कि हम चाहते हैं कि अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को भी सस्ता और सुलभ न्याय मिले और इसके लिए हम विकेंद्रीकरण की बात कर रहे हैं.

केंद्र और राज्य तक पहुंचाई बात : सुरेंद्र पाल शर्मा कहते हैं कि राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हमें इस बारे में आश्वासन दिया था. इसपर तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी मामले में गंभीरता दिखाई थी. हम लोग लगातार दिल्ली और जयपुर तक इस बात को उठा चुके हैं.

Last Updated : Sep 17, 2022, 6:12 PM IST
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