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भीलवाड़ाः हाईवे के किनारे चल रहा 'जर्जर विद्यालय', मौत के साए में पढ़ रहे मासूम

एक तरफ जहां सरकार बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. वहीं भीलवाड़ा जिले में सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले मासूम अपनी जान हथेली पर रखकर पढ़ाई कर रहे हैं. यही वजह है कि उनके अभिभावक स्कूल से अपने बच्चों का नाम कटा रहे हैं.

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Published : Feb 28, 2020, 11:52 PM IST

स्कूल भवन जर्जर, bhilwara news
हाईवे के किनारे चल रहा है 'जर्जर विद्यालय'

भीलवाड़ा. शहर से 8 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 79 के नजदीक हजारी खेड़ा के पास राजकीय प्राथमिक विद्यालय है. सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर विद्यालय की इमारत तो खड़ी कर दी थी, लेकिन देखरेख के अभाव में यह इमारत जर्जर हो गई है.

हाईवे के किनारे चल रहा है 'जर्जर विद्यालय'

यहां के क्लास रुम में जगह-जगह दरारें पड़ी हुईं हैं. हाईवे के नजदीक होने के कारण यहां के छात्र मौत के साए में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं.

इमारत पूरी तरह क्षतिग्रस्त

आलम यह है कि इमारत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. जिससे बारिश का पानी अंदर टपकता रहता है. मजबूरन यहां के अध्यापकों को बच्चों को खुले में पढ़ाना पड़ रहा है.

स्कूल भवन जर्जर, bhilwara news
इमारत पूरी तरह क्षतिग्रस्त

इस समस्या को लेकर कई बार शिक्षकों ने आला अधिकारी को भी अवगत करवाया, लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी ने सुध नहीं ली है.

पढ़ेंः अजमेर: पाक जायरीनों को रोकने की बनाई थी योजना, बदमाश गिरफ्तार

ट्रक ने स्कूल की इमारत को मारी थी टक्कर

जब ईटीवी भारत की टीम ने स्कूल का जायजा लिया तो अध्यापिका ने बताया कि साल 2001 में इस स्कूल का निर्माण किया गया था. लेकिन देखरेख के अभाव में स्कूल भवन जर्जर हो रहा है.

साल 2018 में बेकाबू ट्रक ने स्कूल की इमारत को टक्कर भी मार दी थी. जिसके कारण इमारत पूरी तरह से जर्जर हो गई है. गनीमत रही कि उस समय स्कूल में कोई भी विद्यार्थी मौजूद नहीं था.

अब डर की वजह से बच्चों को स्कूल के बाहर पढ़ाना पड़ता है, ताकि बच्चों के जीवन पर कोई आंच नहीं आए.

पढ़ेंः बांसवाड़ा: कंप्यूटर ऑपरेटर संघ का धरना चौथे दिन भी जारी, किया सद्बुद्धि यज्ञ

स्कूल के पास हाईवे 79 होने के कारण यहां से रोज निकलने वाले ट्रकों के शोर-शराबे के बीच पढ़ाई करना भी काफी मुश्किल होता है. कई बार आला अधिकारियों को भी सूचित किया, लेकिन अधिकारियों ने कोई भी कदम नहीं उठाया.

स्कूल की हालत जर्जर

स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि इस विद्यालय में हजारी खेड़ा के साथ आसपास के गांव के 21 विद्यार्थी पढ़ते हैं. इनमें 14 लड़कियां हैं और 7 लड़के हैं.

स्कूल के नाम पर यहां सामने जमीन अलॉट हुई है, लेकिन अबतक उस पर कोई निर्माण कार्य नहीं शुरू हुआ है.

पढ़ेंः जब अपनी ही सरकार पर सवाल उठाकर खुद संभलना पड़ा डिप्टी CM को...

स्कूल में आने वाले बच्चों के अभिभावक ने कहा कि हमारे बच्चों के अच्छे भविष्य बनाने के लिए स्कूल में भेजते हैं. लेकिन नेशनल हाईवे के पास होने के कारण और स्कूल की जर्जर हालत देखकर हमेशा यह डर सताता है कि बच्चे स्कूल तो गए हैं पर क्या वह स्कूल से वापस लौट आएंगे?

उच्च अधिकारियों को कराएंगे अवगत

जब जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी मोहब्बत तहसीन अली खान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हजारी खेड़ा प्राथमिक स्कूल के बारे में संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली गई है. हमें पता चला कि इसकी हालत काफी जर्जर है और इसके लिए पहले दो बार उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया था.

पढ़ेंः अनुदान मांगों पर बहस के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों पर भड़के राठौड़, कुछ यूं किया कटाक्ष

स्कूल के बाहर पढ़ने के सवाल पर तहसील अली खान ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिए जाएंगे कि मासूम बच्चों को स्कूल के बाहर ना पढ़ाकर किसी सुरक्षित स्थान पर पढ़ाई करवाई जाए.

जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी ने यह भी कहा कि वे खुद भी मौके पर जाकर विद्यालय का जायजा लेंगे और एक रिपोर्ट बनाकर जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को देंगे ताकि इस स्कूल की जर्जर अवस्था को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जा सके.

भीलवाड़ा. शहर से 8 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 79 के नजदीक हजारी खेड़ा के पास राजकीय प्राथमिक विद्यालय है. सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर विद्यालय की इमारत तो खड़ी कर दी थी, लेकिन देखरेख के अभाव में यह इमारत जर्जर हो गई है.

हाईवे के किनारे चल रहा है 'जर्जर विद्यालय'

यहां के क्लास रुम में जगह-जगह दरारें पड़ी हुईं हैं. हाईवे के नजदीक होने के कारण यहां के छात्र मौत के साए में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं.

इमारत पूरी तरह क्षतिग्रस्त

आलम यह है कि इमारत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. जिससे बारिश का पानी अंदर टपकता रहता है. मजबूरन यहां के अध्यापकों को बच्चों को खुले में पढ़ाना पड़ रहा है.

स्कूल भवन जर्जर, bhilwara news
इमारत पूरी तरह क्षतिग्रस्त

इस समस्या को लेकर कई बार शिक्षकों ने आला अधिकारी को भी अवगत करवाया, लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी ने सुध नहीं ली है.

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ट्रक ने स्कूल की इमारत को मारी थी टक्कर

जब ईटीवी भारत की टीम ने स्कूल का जायजा लिया तो अध्यापिका ने बताया कि साल 2001 में इस स्कूल का निर्माण किया गया था. लेकिन देखरेख के अभाव में स्कूल भवन जर्जर हो रहा है.

साल 2018 में बेकाबू ट्रक ने स्कूल की इमारत को टक्कर भी मार दी थी. जिसके कारण इमारत पूरी तरह से जर्जर हो गई है. गनीमत रही कि उस समय स्कूल में कोई भी विद्यार्थी मौजूद नहीं था.

अब डर की वजह से बच्चों को स्कूल के बाहर पढ़ाना पड़ता है, ताकि बच्चों के जीवन पर कोई आंच नहीं आए.

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स्कूल के पास हाईवे 79 होने के कारण यहां से रोज निकलने वाले ट्रकों के शोर-शराबे के बीच पढ़ाई करना भी काफी मुश्किल होता है. कई बार आला अधिकारियों को भी सूचित किया, लेकिन अधिकारियों ने कोई भी कदम नहीं उठाया.

स्कूल की हालत जर्जर

स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि इस विद्यालय में हजारी खेड़ा के साथ आसपास के गांव के 21 विद्यार्थी पढ़ते हैं. इनमें 14 लड़कियां हैं और 7 लड़के हैं.

स्कूल के नाम पर यहां सामने जमीन अलॉट हुई है, लेकिन अबतक उस पर कोई निर्माण कार्य नहीं शुरू हुआ है.

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स्कूल में आने वाले बच्चों के अभिभावक ने कहा कि हमारे बच्चों के अच्छे भविष्य बनाने के लिए स्कूल में भेजते हैं. लेकिन नेशनल हाईवे के पास होने के कारण और स्कूल की जर्जर हालत देखकर हमेशा यह डर सताता है कि बच्चे स्कूल तो गए हैं पर क्या वह स्कूल से वापस लौट आएंगे?

उच्च अधिकारियों को कराएंगे अवगत

जब जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी मोहब्बत तहसीन अली खान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हजारी खेड़ा प्राथमिक स्कूल के बारे में संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली गई है. हमें पता चला कि इसकी हालत काफी जर्जर है और इसके लिए पहले दो बार उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया था.

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स्कूल के बाहर पढ़ने के सवाल पर तहसील अली खान ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिए जाएंगे कि मासूम बच्चों को स्कूल के बाहर ना पढ़ाकर किसी सुरक्षित स्थान पर पढ़ाई करवाई जाए.

जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी ने यह भी कहा कि वे खुद भी मौके पर जाकर विद्यालय का जायजा लेंगे और एक रिपोर्ट बनाकर जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को देंगे ताकि इस स्कूल की जर्जर अवस्था को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जा सके.

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