भीलवाड़ा. पाकिस्तान से यातनाएं झेलकर भारत आए परिवारों ने नागरिकता संशोधन कानून के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया है. भीलवाड़ा में पिछले 15 साल से रह रहे परिवारों ने CAA का विरोध कर रहे लोगों से ये अपील भी की है, कि उन्हें भारत में रहने दिया जाए.
CAA की खुशी
शरणार्थी ने कहा, कि वे साल 2010 में भीलवाड़ा में आए थे. पूरे 10 साल होने के बाद भी अबतक उन्हें भारत की नागरिकताता नहीं मिली है. उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया.
फैक्ट्री में करते हैं काम
शरणार्थी फैक्ट्री में नौकरी करते हैं. पूरा परिवार उनके साथ आया है. उनके परिवार में 5 सदस्य हैं. उन्होंने बताया, कि पाकिस्तान में उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा था. भारत की नागरिकताता नहीं मिलने से उन्हें परेशानी हो रही है. वे कोई व्यवसाय नहीं कर सकते हैं.
वहीं दूसरे शरणार्थी ने कहा, कि वह पाकिस्तान के सिंध प्रांत के भदीन जिले से आए हैं. वह साल 2004 में भीलवाड़ा में आकर रहने लगे थे. लेकिन 15 साल बाद भी नागरिकता नहीं मिली है. शरणार्थी ने उम्मीद जताई, कि नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी.
भारत में कोई टेंशन नहीं
शरणार्थी ने बताया, कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. भारत में कोई टेंशन नहीं है. यहां महिलाएं और बच्चियां आराम से घूम सकती हैं.
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शरणार्थियों ने CAA का विरोध कर रहे सियासी दल के साथ ही लोगों से भी उन्हें भारत में रहने देने की अपील की है. उनका कहना है, कि पाकिस्तान में बहुत तकलीफ थी. वे अपना सब कुछ छोड़कर यहां आए हैं. हमें पहले नागरिकता की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन बिल पास होने के बाद एक उम्मीद की किरण दिखाई दी है और इसके लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते हैं.
भारत मां की मिट्टी में रहने दो
एक और शरणार्थी ने कहा, कि हम विपक्षी पार्टियों को जवाब नहीं देना चाहते हैं. हम उनको भी हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहते हैं, कि मोदी जी ने जो बिल पास किया है, हम उनके शुक्रगुजार हैं और हमें भी भारत मां की मिट्टी में जीने का अवसर दो और जहां रहने दो.
बता दें, कि पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में गंभीर यातनाएं झेलने के बाद सरल जीवन जीने के लिए भारत में आकर बसे शरणार्थियों के लिए हाल ही में देश में CAA यानि नागरिकता संशोधन एक्ट लागू किया गया है. लेकिन विपक्षी पार्टियां CAA का विरोध कर रही हैं.