ETV Bharat / city

स्पेशल स्टोरी: भीलवाड़ा का एकमात्र क्षय रोग निवारण अस्पताल खुद 'बीमार' - भीलवाड़ा का क्षय रोग निवारण अस्पताल

भीलवाड़ा जिले का एकमात्र क्षय रोग निवारण अस्पताल खुद ही बीमार अवस्था में है. गांव-गांव, ढाणी-ढाणी से रोजाना सैकड़ों मरीज यहां अपना टीबी का इलाज कराने आते हैं. परंतु यहां इस अस्पताल की दुर्दशा देखकर मरीज ठीक होने की बजाय ज्यादा बीमार हो जाते हैं. पढ़ें विस्तृत खबर....

Tuberculosis Prevention Hospital of Bhilwara, भीलवाड़ा का क्षय रोग निवारण अस्पताल, राजस्थान न्यूज, भीलवाड़ा न्यूज, Rajasthan news
क्षय रोग निवारण अस्पताल में भारी अव्यवस्थाएं
author img

By

Published : Feb 24, 2020, 2:02 PM IST

भीलवाड़ा. जिले का एकमात्र क्षय रोग निवारण अस्पताल खुद ही बीमार अवस्था में है. गांव-गांव, ढाणी-ढाणी से रोजाना सैकड़ों मरीज यहां अपना टीबी का इलाज कराने आते हैं. परंतु यहां इस अस्पताल की दुर्दशा देखकर मरीज ठीक होने की बजाय ज्यादा बीमार हो जाते हैं.

यहां पर मरीजों का इलाज तो होता है, मगर साथ ही साथ वो खुद और उनके परिजन यहां से मुफ्त में अनेकों बीमारियां साथ ले जाते हैं. विकास के नाम पर ढिंढोरा पीटने वाली सरकार भी इस अस्पताल को इसकी दिनोंदिन बिगड़ती हालत से निजात नहीं दिला पा रही है.

क्षय रोग निवारण अस्पताल में भारी अव्यवस्थाएं

देखी नहीं जाती अस्पताल की ऐसी दुर्दशा....

अस्पताल परिसर में जगह-जगह गंदा पानी भरा है, जिससे गंदगी बढ़ रही है. दीवारों पर सीलन की वजह से अस्पताल के कमरों में बदबू फैली हुई है. जगह-जगह कचरा फैला पड़ा है जो खुलेआम बीमारियों को न्यौता दे रहा है. शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से अस्पताल आने वाले लोग खुले में ही शौच करते हैं जिससे गंदगी बढ़ती ही जा रही है. आलम ये है कि इस अस्पताल की सुध लेने वाला कोई नहीं है. यहां हालात लगातार बिगड़ते ही जा रहे हैं.

गंदगी तो परेशानी की एक वजह है ही इसके अलावा यहां मरीजों के साथ आने वाले परिजनों के सामान तक सुरक्षित नहीं है. आए दिन अस्पताल में चोरी की वारदात सामने आती रहती है. शाम ढलने के बाद यहां असामाजिक तत्व भी आ धमकते हैं, जो रात में जुआ खेलते हैं और सरेआम शराब का सेवन करते हैं. हैरानी की बात तो ये है कि इतना बड़ा अस्पताल होने के बाद भी इसमें सुरक्षा के नाम पर एक भी गार्ड नहीं है.

यह भी पढ़ेंः दौसा में शर्मसार हुई मानवता, शराबी ने नाबालिग मूक बधिर को बनाया हवस का शिकार

मरीज के परिजन रवि कुमार खटीक ने कहा कि टीबी अस्पताल में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. यहां पर अस्पताल की बाउंड्री और सिक्योरिटी नहीं होने से कई बार नशेड़ी वार्ड तक पहुंच जाते हैं. कई बार तो मरीजों और परिजनों के मोबाइल और अन्य कीमती सामान तक चोरी हो जाते हैं.

अस्पताल परिसर में मरीजों के बैठने के लिए भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. बीचों-बीच पेड़ के नीचे एक टूटा-फूटा चबूतरा है, उसी पर मरीजों के परिजनों को भोजन व विश्राम करना होता है. वार्ड में खिड़कियां व दरवाजे भी क्षतिग्रस्त हैं. यहां तक कि जिस बेड पर मरीज होता है उसकी हालत भी काफी बिगड़ी हुई होती है. वहीं अस्पताल से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ भी शाम के समय खुलेआम ही जलाया जाता है.

गौरतलब है कि जिले के एकमात्र टीबी अस्पताल में इस साल 2 माह के भीतर ही 276 टीबी के मरीज भर्ती हो चुके हैं. वहीं अस्पताल के आउटडोर का हाल देखा जाए तो यहां भी स्थिति चिंताजनक है. गत 2 माह में अब तक 5620 मरीज यहां पर अपना चेकअप करवा चुके हैं. अगर पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो साल 2019 में टीबी के 1823 मरीज भर्ती हुए थे. इस दौरान अस्पताल में 27,328 लोग इलाज के लिए आए थे.

जिम्मेदारों का यह कहना....

इस बारे में ईटीवी भारत ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मुस्ताक खान से बात की. उनका कहना है कि हमनें इस अस्पताल की समस्याओं को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को सूचित कर दिया है. जो भी समस्याएं हैं उन्हें जल्द से जल्द दूर कर दिया जाएगा. अस्पताल में असामाजिक तत्वों के आने के सवाल पर मुस्ताक खान ने कहा कि अगर ऐसा कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, दूसरी ओर महात्मा गांधी अस्पताल के प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अरुण गौड ने कहा कि असामाजिक तत्वों के लिए हमनें परिसर में स्थित पुलिस चौकी को निर्देशित कर दिया है. उन्हें कहा गया है कि वे समय-समय पर गश्त लगाते रहें. गौड़ ने कहा कि हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि जिस तरह महात्मा गांधी अस्पताल में मरीजों को इलाज मिलता है, उसी तरह टीबी अस्पताल में भी मरीजों को उत्तम इलाज मिले.

भीलवाड़ा. जिले का एकमात्र क्षय रोग निवारण अस्पताल खुद ही बीमार अवस्था में है. गांव-गांव, ढाणी-ढाणी से रोजाना सैकड़ों मरीज यहां अपना टीबी का इलाज कराने आते हैं. परंतु यहां इस अस्पताल की दुर्दशा देखकर मरीज ठीक होने की बजाय ज्यादा बीमार हो जाते हैं.

यहां पर मरीजों का इलाज तो होता है, मगर साथ ही साथ वो खुद और उनके परिजन यहां से मुफ्त में अनेकों बीमारियां साथ ले जाते हैं. विकास के नाम पर ढिंढोरा पीटने वाली सरकार भी इस अस्पताल को इसकी दिनोंदिन बिगड़ती हालत से निजात नहीं दिला पा रही है.

क्षय रोग निवारण अस्पताल में भारी अव्यवस्थाएं

देखी नहीं जाती अस्पताल की ऐसी दुर्दशा....

अस्पताल परिसर में जगह-जगह गंदा पानी भरा है, जिससे गंदगी बढ़ रही है. दीवारों पर सीलन की वजह से अस्पताल के कमरों में बदबू फैली हुई है. जगह-जगह कचरा फैला पड़ा है जो खुलेआम बीमारियों को न्यौता दे रहा है. शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से अस्पताल आने वाले लोग खुले में ही शौच करते हैं जिससे गंदगी बढ़ती ही जा रही है. आलम ये है कि इस अस्पताल की सुध लेने वाला कोई नहीं है. यहां हालात लगातार बिगड़ते ही जा रहे हैं.

गंदगी तो परेशानी की एक वजह है ही इसके अलावा यहां मरीजों के साथ आने वाले परिजनों के सामान तक सुरक्षित नहीं है. आए दिन अस्पताल में चोरी की वारदात सामने आती रहती है. शाम ढलने के बाद यहां असामाजिक तत्व भी आ धमकते हैं, जो रात में जुआ खेलते हैं और सरेआम शराब का सेवन करते हैं. हैरानी की बात तो ये है कि इतना बड़ा अस्पताल होने के बाद भी इसमें सुरक्षा के नाम पर एक भी गार्ड नहीं है.

यह भी पढ़ेंः दौसा में शर्मसार हुई मानवता, शराबी ने नाबालिग मूक बधिर को बनाया हवस का शिकार

मरीज के परिजन रवि कुमार खटीक ने कहा कि टीबी अस्पताल में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. यहां पर अस्पताल की बाउंड्री और सिक्योरिटी नहीं होने से कई बार नशेड़ी वार्ड तक पहुंच जाते हैं. कई बार तो मरीजों और परिजनों के मोबाइल और अन्य कीमती सामान तक चोरी हो जाते हैं.

अस्पताल परिसर में मरीजों के बैठने के लिए भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. बीचों-बीच पेड़ के नीचे एक टूटा-फूटा चबूतरा है, उसी पर मरीजों के परिजनों को भोजन व विश्राम करना होता है. वार्ड में खिड़कियां व दरवाजे भी क्षतिग्रस्त हैं. यहां तक कि जिस बेड पर मरीज होता है उसकी हालत भी काफी बिगड़ी हुई होती है. वहीं अस्पताल से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ भी शाम के समय खुलेआम ही जलाया जाता है.

गौरतलब है कि जिले के एकमात्र टीबी अस्पताल में इस साल 2 माह के भीतर ही 276 टीबी के मरीज भर्ती हो चुके हैं. वहीं अस्पताल के आउटडोर का हाल देखा जाए तो यहां भी स्थिति चिंताजनक है. गत 2 माह में अब तक 5620 मरीज यहां पर अपना चेकअप करवा चुके हैं. अगर पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो साल 2019 में टीबी के 1823 मरीज भर्ती हुए थे. इस दौरान अस्पताल में 27,328 लोग इलाज के लिए आए थे.

जिम्मेदारों का यह कहना....

इस बारे में ईटीवी भारत ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मुस्ताक खान से बात की. उनका कहना है कि हमनें इस अस्पताल की समस्याओं को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को सूचित कर दिया है. जो भी समस्याएं हैं उन्हें जल्द से जल्द दूर कर दिया जाएगा. अस्पताल में असामाजिक तत्वों के आने के सवाल पर मुस्ताक खान ने कहा कि अगर ऐसा कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, दूसरी ओर महात्मा गांधी अस्पताल के प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अरुण गौड ने कहा कि असामाजिक तत्वों के लिए हमनें परिसर में स्थित पुलिस चौकी को निर्देशित कर दिया है. उन्हें कहा गया है कि वे समय-समय पर गश्त लगाते रहें. गौड़ ने कहा कि हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि जिस तरह महात्मा गांधी अस्पताल में मरीजों को इलाज मिलता है, उसी तरह टीबी अस्पताल में भी मरीजों को उत्तम इलाज मिले.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.