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Hindustan Zinc Limited : NGT तक मामला पहुंचाने वाले ओम पुरी बोले- HZLकी लापरवाही को जनता और किसान भुगत रहे - NGT On HZL

पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने के मामले में (Environmental Norm Violations at Bhilwara Villages) एनजीटी ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को 25 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि (Compensation Of 25 Crore On HZL) भीलवाड़ा जिला कलेक्टर को सुपुर्द करने के निर्देश दिए. इस मामले को एनजीटी तक पहुंचाने वाले ओमपुरी और सौभाग माली ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हिंदुस्तान जिंक की लापरवाही का दंश क्षेत्र की जनता व किसान भुगत रहे हैं.

Hindustan Zinc Limited Story
याचिकाकर्ताओं की जुबानी पूरी कहानी
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Published : Feb 8, 2022, 2:22 PM IST

Updated : Feb 8, 2022, 9:25 PM IST

भीलवाड़ा. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) की ओर से पर्यावरण नियमों का उल्लंघन (Environmental law Violations By HZL In Rajasthan) करने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) (NGT On HZL) ने 25 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति राशि भीलवाड़ा जिला कलेक्टर के समक्ष जमा करवाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही एनजीटी ने 3 सदस्य कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है. कमेटी इलाके की भूमि और जल को हुए नुकसान का आकलन करते हुए उसे दुरुस्त करने की योजना बनाएगा. साथ ही यह कमेटी इलाके के लोगों और उनके पशुओं के स्वास्थ्य को हुए नुकसान का आकलन कर उनमें सुधार करने का काम करेगी.

प्रदूषण की मार सब पर: इस पूरे मामले को एनजीटी तक ले जाने वाले ओमपुरी व सौभाग माली ने ईटीवी भारत से बातचीत की. मुख्य याचिकाकर्ता ओम पुरी ने कहा कि हमारे पास हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Vedanta Group Firm Hindustan Zinc Ltd.) स्थित है. हिंदुस्तान जिंक की ओर से पर्यावरण प्रदूषण ,जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण किया (Contamination of Source of Drinking Water Due To Mining By HZL) जा रहा है.

पढ़ें- वेदांता ग्रुप के हिंदुस्तान जिंक ने किया पर्यावरण नियमों का उल्लंघन, देने होंगे 25 करोड़ रुपए

पढ़ें- भीलवाड़ाः हिंदुस्तान जिंक आगूचा में कर्मचारी की मौत, परिजनों ने की मुआवजे की मांग...मोर्चरी के बाहर बैठे धरने पर

उन्होंने बताया कि प्रदूषण के कारण हमारी फसलों को भी नुकसान हुआ है. मवेशियों को भी हानि हुई है. उन्होंने बताया कि इसके बाद मन में ख्याल आया कि एनजीटी में मामला दर्ज करवाएं. जिससे हमें राहत मिलेगी. हम यह मामला हमारे निजी पैसा खर्च करके एनजीटी में लेकर गए. जिसके कारण न्यायमूर्ति ने हमारी बात सुनी और हमारे हक में फैसला देते हुए हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को 25 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति राशि जमा करवाने के निर्देश दिए.

याचिकाकर्ताओं की जुबानी HZL की पूरी कहानी

पर्यावरण नियमों की होती रही लगातार अनदेखी: सह याचिकाकर्ताओं सौभाग माली ने कहा की जब से हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड यहां शुरू हुई तब से लगातार पर्यावरण की अनदेखी की जा रही है. पहले यह केंद्र सरकार का उपक्रम रहा. तब भी नियमों की अवहेलना की जा रही थी. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में खनन के जरिए ब्लास्टिंग के दौरान जो धूल उड़ती है जिससे क्षेत्र में सिलिकोसिस की बीमारी फैलने के साथ ही फसलें व जमीन खराब हो गई.

यहां तक कि वाटर लेवल भी नीचे चला गया है. क्षेत्र में फ्लोराइड युक्त पानी हो गया है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड परिसर में बने कृत्रिम पहाड़ से प्रदूषित पानी का रिसाव होने से लगातार किसानों की जमीन बंजर हो रही है.

पढे़ं: दर्दनाक हादसा : हिंदुस्तान जिंक में काम करने के दौरान गिरा पत्थर, दो श्रमिकों की मौत

NGT Bhopal गए थे पहले: सौभाग माली ने बताया कि वर्ष 2019 में हम यह मामला एनजीटी कोर्ट भोपाल में लेकर गए. वहां से हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को फटकार लगने पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड यह मामला एनजीटी की दिल्ली न्यायलय में लेकर गए. वहां न्यायमूर्ति ने हमारा दर्द समझा और हमारी सुनी. जनहित को ध्यान में रखते हुए हमारे हक में फैसला दिया है.

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से पर्यावरण प्रदूषित (Environmental Norm Violations at Bhilwara Villages) करने का दंश हमारे क्षेत्र की जनता भुगत रही है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान जिंक की रॉयल्टी पूरे जिले में जाती है, जबकि परिधि में कम खर्चा होता है. सबसे ज्यादा नुकसान कंपनी के आसपास के लोगों को होता है. इसलिए सीएसआर फंड से यहां खर्च ज्यादा होना चाहिए. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड हमेशा यहां सीएसआर फंड से पैसा खर्च करने का दावा करता है. जबकि यह दावा बिल्कुल खोखला है.

अधिकारी जिम्मेदार, मिठाई की खनक में छुपा मुद्दा: माली कहते हैं- हमारे यहां नालियां तक नहीं बनी हुई हैं. अगर यहां अच्छा काम होता तो हमारा गांव भी इनकी परिधि क्षेत्र में आता है. ये भी बेहतर हो जाता. सौभाग माली ने क्षेत्र के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां के सरकारी अधिकारी की मिलीभगत के बगैर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की पर्यावरण प्रदूषण करने की हिमाकत नहीं होती. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी होली, दीपावली मिठाई के नीचे सोने की खनक लेते हैं, इसलिए क्षेत्र की जनता की नहीं सुनते.

धमकियां लगातार मिल रहीं: जब हम क्षेत्र में समस्या को लेकर आवाज बुलंद करते हैं तो जिंक प्रबंधन की ओर से धमकियां मिलती हैं. प्रदूषण से जमीन खराब हो गई है. पहले यहां अच्छी पैदावार होती थी, लेकिन अब न के बराबर उपज हो रही है. सौभाग माली ने कहा कि स्थानीय व जिला प्रशासन बिल्कुल सुनवाई नहीं कर रहा है, जबकि संविधान में इनको हमारे ऊपर बैठाया है. जनता का हित ध्यान रखना ही इनका सर्वोपरि काम है. लेकिन सरकारी अधिकारी जनता के हित का ख्याल नहीं रख कर सिर्फ कॉरपोरेट जगत का साथ दे रहे हैं.

मामला नया नहीं बरसों पुराना: याचिकाकर्ता कहते हैं कि पिछले 20 वर्ष से बहुत गड़बड़ है. वर्ष 2010-11 में जब हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने जमीन खरीद की थी तब सरकार को कर का नुकसान किया था. जबकि कोई भी निजी कंपनी किसानों की खातेदारी जमीन नहीं ले सकती है. उनकी जमीन अवाप्ति प्रक्रिया के बाद ही लेना पड़ता है. जबकि जिंक की ओर से अपने कर्मचारियों के नाम बोलने वाले किसान को अधिक पैसे और नहीं बोलने वाले किसान को कम पैसे देकर जमीन खरीदी थी. जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का कर चोरी किया है.

पर्यावरण के साथ जिंक हमेशा खिलवाड़ कर रहे है. सौभाग ने कहा कि भारत सरकार व राजस्थान सरकार विश्व पर्यावरण दिवस (Rajasthan Government On World Environment Day) पर पर्यावरण जागरूकता को लेकर काफी संदेश देती है. लेकिन जिंक प्रबंधन की ओर से क्षेत्र में ज्यादा पौधे नहीं लगाए हैं. पर्यावरण ग्लोबल समस्या बन चुकी है. आरोप है कि पौधा लगाने के लिए आरक्षित जमीन पर ही इन्होंने डंपिंग यार्ड बना दिया है.

भीलवाड़ा. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) की ओर से पर्यावरण नियमों का उल्लंघन (Environmental law Violations By HZL In Rajasthan) करने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) (NGT On HZL) ने 25 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति राशि भीलवाड़ा जिला कलेक्टर के समक्ष जमा करवाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही एनजीटी ने 3 सदस्य कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है. कमेटी इलाके की भूमि और जल को हुए नुकसान का आकलन करते हुए उसे दुरुस्त करने की योजना बनाएगा. साथ ही यह कमेटी इलाके के लोगों और उनके पशुओं के स्वास्थ्य को हुए नुकसान का आकलन कर उनमें सुधार करने का काम करेगी.

प्रदूषण की मार सब पर: इस पूरे मामले को एनजीटी तक ले जाने वाले ओमपुरी व सौभाग माली ने ईटीवी भारत से बातचीत की. मुख्य याचिकाकर्ता ओम पुरी ने कहा कि हमारे पास हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Vedanta Group Firm Hindustan Zinc Ltd.) स्थित है. हिंदुस्तान जिंक की ओर से पर्यावरण प्रदूषण ,जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण किया (Contamination of Source of Drinking Water Due To Mining By HZL) जा रहा है.

पढ़ें- वेदांता ग्रुप के हिंदुस्तान जिंक ने किया पर्यावरण नियमों का उल्लंघन, देने होंगे 25 करोड़ रुपए

पढ़ें- भीलवाड़ाः हिंदुस्तान जिंक आगूचा में कर्मचारी की मौत, परिजनों ने की मुआवजे की मांग...मोर्चरी के बाहर बैठे धरने पर

उन्होंने बताया कि प्रदूषण के कारण हमारी फसलों को भी नुकसान हुआ है. मवेशियों को भी हानि हुई है. उन्होंने बताया कि इसके बाद मन में ख्याल आया कि एनजीटी में मामला दर्ज करवाएं. जिससे हमें राहत मिलेगी. हम यह मामला हमारे निजी पैसा खर्च करके एनजीटी में लेकर गए. जिसके कारण न्यायमूर्ति ने हमारी बात सुनी और हमारे हक में फैसला देते हुए हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को 25 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति राशि जमा करवाने के निर्देश दिए.

याचिकाकर्ताओं की जुबानी HZL की पूरी कहानी

पर्यावरण नियमों की होती रही लगातार अनदेखी: सह याचिकाकर्ताओं सौभाग माली ने कहा की जब से हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड यहां शुरू हुई तब से लगातार पर्यावरण की अनदेखी की जा रही है. पहले यह केंद्र सरकार का उपक्रम रहा. तब भी नियमों की अवहेलना की जा रही थी. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में खनन के जरिए ब्लास्टिंग के दौरान जो धूल उड़ती है जिससे क्षेत्र में सिलिकोसिस की बीमारी फैलने के साथ ही फसलें व जमीन खराब हो गई.

यहां तक कि वाटर लेवल भी नीचे चला गया है. क्षेत्र में फ्लोराइड युक्त पानी हो गया है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड परिसर में बने कृत्रिम पहाड़ से प्रदूषित पानी का रिसाव होने से लगातार किसानों की जमीन बंजर हो रही है.

पढे़ं: दर्दनाक हादसा : हिंदुस्तान जिंक में काम करने के दौरान गिरा पत्थर, दो श्रमिकों की मौत

NGT Bhopal गए थे पहले: सौभाग माली ने बताया कि वर्ष 2019 में हम यह मामला एनजीटी कोर्ट भोपाल में लेकर गए. वहां से हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को फटकार लगने पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड यह मामला एनजीटी की दिल्ली न्यायलय में लेकर गए. वहां न्यायमूर्ति ने हमारा दर्द समझा और हमारी सुनी. जनहित को ध्यान में रखते हुए हमारे हक में फैसला दिया है.

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से पर्यावरण प्रदूषित (Environmental Norm Violations at Bhilwara Villages) करने का दंश हमारे क्षेत्र की जनता भुगत रही है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान जिंक की रॉयल्टी पूरे जिले में जाती है, जबकि परिधि में कम खर्चा होता है. सबसे ज्यादा नुकसान कंपनी के आसपास के लोगों को होता है. इसलिए सीएसआर फंड से यहां खर्च ज्यादा होना चाहिए. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड हमेशा यहां सीएसआर फंड से पैसा खर्च करने का दावा करता है. जबकि यह दावा बिल्कुल खोखला है.

अधिकारी जिम्मेदार, मिठाई की खनक में छुपा मुद्दा: माली कहते हैं- हमारे यहां नालियां तक नहीं बनी हुई हैं. अगर यहां अच्छा काम होता तो हमारा गांव भी इनकी परिधि क्षेत्र में आता है. ये भी बेहतर हो जाता. सौभाग माली ने क्षेत्र के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां के सरकारी अधिकारी की मिलीभगत के बगैर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की पर्यावरण प्रदूषण करने की हिमाकत नहीं होती. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी होली, दीपावली मिठाई के नीचे सोने की खनक लेते हैं, इसलिए क्षेत्र की जनता की नहीं सुनते.

धमकियां लगातार मिल रहीं: जब हम क्षेत्र में समस्या को लेकर आवाज बुलंद करते हैं तो जिंक प्रबंधन की ओर से धमकियां मिलती हैं. प्रदूषण से जमीन खराब हो गई है. पहले यहां अच्छी पैदावार होती थी, लेकिन अब न के बराबर उपज हो रही है. सौभाग माली ने कहा कि स्थानीय व जिला प्रशासन बिल्कुल सुनवाई नहीं कर रहा है, जबकि संविधान में इनको हमारे ऊपर बैठाया है. जनता का हित ध्यान रखना ही इनका सर्वोपरि काम है. लेकिन सरकारी अधिकारी जनता के हित का ख्याल नहीं रख कर सिर्फ कॉरपोरेट जगत का साथ दे रहे हैं.

मामला नया नहीं बरसों पुराना: याचिकाकर्ता कहते हैं कि पिछले 20 वर्ष से बहुत गड़बड़ है. वर्ष 2010-11 में जब हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने जमीन खरीद की थी तब सरकार को कर का नुकसान किया था. जबकि कोई भी निजी कंपनी किसानों की खातेदारी जमीन नहीं ले सकती है. उनकी जमीन अवाप्ति प्रक्रिया के बाद ही लेना पड़ता है. जबकि जिंक की ओर से अपने कर्मचारियों के नाम बोलने वाले किसान को अधिक पैसे और नहीं बोलने वाले किसान को कम पैसे देकर जमीन खरीदी थी. जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का कर चोरी किया है.

पर्यावरण के साथ जिंक हमेशा खिलवाड़ कर रहे है. सौभाग ने कहा कि भारत सरकार व राजस्थान सरकार विश्व पर्यावरण दिवस (Rajasthan Government On World Environment Day) पर पर्यावरण जागरूकता को लेकर काफी संदेश देती है. लेकिन जिंक प्रबंधन की ओर से क्षेत्र में ज्यादा पौधे नहीं लगाए हैं. पर्यावरण ग्लोबल समस्या बन चुकी है. आरोप है कि पौधा लगाने के लिए आरक्षित जमीन पर ही इन्होंने डंपिंग यार्ड बना दिया है.

Last Updated : Feb 8, 2022, 9:25 PM IST
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