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Bhilwara news: सरकारी स्कूल में सरस्वती मूर्ति की स्थापना को लेकर मांगी सूचना, विभाग का लेटर वायरल हुआ तो अधिकारियों ने किया निरस्त

भीलवाड़ा में सरकारी स्कूलों में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने के लेकर मांगी गई एक (Person enquired from education department) सूचना से जुड़ा लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसके वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने लेटर में मांगी गई जानकारी को निरस्त कर दिया है.

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शिक्षा विभाग का लेटर वायरल.
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Published : Apr 26, 2022, 8:51 PM IST

भीलवाड़ा. अलवर जिले में मंदिर तोड़ने का विवाद अभी थमा नहीं है. इस बीच भीलवाड़ा जिले के सरकारी विद्यालय (Person enquired from education department) में सरस्वती मंदिर स्थापना को लेकर आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर शिक्षा विभाग का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसकी भनक मिलने के साथ ही शिक्षा विभाग ने पत्र के जरिए मांगी की सूचना को निरस्त कर दिया है.

जानकारी के मुताबिक भीलवाड़ा शिक्षा विभाग से मोतीलाल सिंघानिया नाम के व्यक्ति ने सूचना के (Order got viral on social media) अधिकार के तहत एक सूचना मांगी थी. सिंघानिया ने जिले के सरकारी विद्यालय में कहां-कहां सरस्वती मंदिर स्थित हैं और मंदिर की स्थापना को लेकर राजस्थान सरकार एवं शिक्षा विभाग बीकानेर की ओर से जारी आदेश के बारे में सूचना चाही थी. इस संबंध में एक पत्र लिखकर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले के ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से जानकारी मांगी. विभाग की ओर से ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से मांगी गई सूचना का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. लेटर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी बैकफुट पर आते हुए मांगी की सूचना को निरस्त कर दिया.

स्कूल में सरस्वती मूर्ति की स्थापना को लेकर मांगी गई सूचना

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ब्रह्मा राम चौधरी ने कहा कि एक फॉर्मेट बनाकर जिले के तमाम ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से सूचना चाही गई थी. इसका लेटर वायरल होने के बाद इस लेटर को निरस्त कर दिया गया है. साथ ही मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि विद्यालय में सरस्वती मंदिर की स्थापना के लिए शिक्षा विभाग व सरकार कोई आदेश जारी नहीं करती है न ही विभाग कोई बजट जारी करता है. अगर कोई भामाशाह विद्यालय में सरस्वती मंदिर स्थापित करना चाहता है तो उस भामाशाह को विद्यालय में प्रार्थना पत्र पेश करना होता है. उस प्रार्थना पत्र पर एसडीएमसी व एसएमसी में प्रस्ताव लिया जाता है फिर भामाशाह की ओर से विद्या की देवी सरस्वती की मूर्ति की स्थापना की जाती है. विद्यालय में सरस्वती मंदिर की स्थापना न विभाग करता है न सरकार करती है. यह सिर्फ स्थानीय स्तर पर होता है.

भीलवाड़ा. अलवर जिले में मंदिर तोड़ने का विवाद अभी थमा नहीं है. इस बीच भीलवाड़ा जिले के सरकारी विद्यालय (Person enquired from education department) में सरस्वती मंदिर स्थापना को लेकर आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर शिक्षा विभाग का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसकी भनक मिलने के साथ ही शिक्षा विभाग ने पत्र के जरिए मांगी की सूचना को निरस्त कर दिया है.

जानकारी के मुताबिक भीलवाड़ा शिक्षा विभाग से मोतीलाल सिंघानिया नाम के व्यक्ति ने सूचना के (Order got viral on social media) अधिकार के तहत एक सूचना मांगी थी. सिंघानिया ने जिले के सरकारी विद्यालय में कहां-कहां सरस्वती मंदिर स्थित हैं और मंदिर की स्थापना को लेकर राजस्थान सरकार एवं शिक्षा विभाग बीकानेर की ओर से जारी आदेश के बारे में सूचना चाही थी. इस संबंध में एक पत्र लिखकर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले के ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से जानकारी मांगी. विभाग की ओर से ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से मांगी गई सूचना का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. लेटर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी बैकफुट पर आते हुए मांगी की सूचना को निरस्त कर दिया.

स्कूल में सरस्वती मूर्ति की स्थापना को लेकर मांगी गई सूचना

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ब्रह्मा राम चौधरी ने कहा कि एक फॉर्मेट बनाकर जिले के तमाम ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से सूचना चाही गई थी. इसका लेटर वायरल होने के बाद इस लेटर को निरस्त कर दिया गया है. साथ ही मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि विद्यालय में सरस्वती मंदिर की स्थापना के लिए शिक्षा विभाग व सरकार कोई आदेश जारी नहीं करती है न ही विभाग कोई बजट जारी करता है. अगर कोई भामाशाह विद्यालय में सरस्वती मंदिर स्थापित करना चाहता है तो उस भामाशाह को विद्यालय में प्रार्थना पत्र पेश करना होता है. उस प्रार्थना पत्र पर एसडीएमसी व एसएमसी में प्रस्ताव लिया जाता है फिर भामाशाह की ओर से विद्या की देवी सरस्वती की मूर्ति की स्थापना की जाती है. विद्यालय में सरस्वती मंदिर की स्थापना न विभाग करता है न सरकार करती है. यह सिर्फ स्थानीय स्तर पर होता है.

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