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भीलवाड़ा नगर परिषद की असली चेयरमैन जनता, इसलिए जनता चेयरमैन प्रतिनिधि का बोर्ड लगाया: राकेश पाठक

भीलवाड़ा चेयरमैन राकेश पाठक का कहना है कि असली चेयरमैन जनता है और मैं जनता का सभापति हूं. उन्होंने अपने चेंबर के बाहर भी जनता चेयरमैन प्रतिनिधि का बोर्ड लगा रखा है.

जनता का प्रतिनिधि बोर्ड लगाया
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Published : Jul 10, 2021, 6:34 PM IST

भीलवाड़ा. पद और कुर्सी के लिए छोटे-बड़े हर चुनाव में नेता तरह-तरह के जोड़तोड़ करते हैं लेकिन भीलवाड़ा नगर परिषद से भाजपा के सभापति राकेश पाठक ने खुद को 'जनता का प्रतिनिधि' मानते हुए पद में बदलाव किया है. उनके चेंबर में एक मुख्य कुर्सी पर भगवान चारभुजा नाथ को विराजित किया गया है और पास की दूसरी कुर्सी पर जिसपर सभापति बैठते हैं वहां उन्होंने अपने चेंबर के बाहर जनता चेयरमैन प्रतिनिधि का बोर्ड लगाया है.

राजनीति में पद प्राप्त करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है और पद प्राप्त होने के बाद राजनेता कई बार जनता को ही भूल जाते हैं, लेकिन भीलवाड़ा नगर परिषद से भाजपा के सभापति ने चुनाव में विजय प्राप्त करने के बाद वर्तमान में अपने आप के पद में बदलाव करते हुए 'जनता का चेयरमैन' का बोर्ड लगाया है.

जनता का प्रतिनिधि बोर्ड लगाया

पढ़ें: नगर परिषद सभापति ने शहर के शौचालय का किया औचक निरीक्षण, शौचालय बंद होने पर ठेकेदार के खिलाफ नोटिस जारी करने के दिए निर्देश

नगर परिषद के सभापति के मुख्य कक्ष में मुख्य कुर्सी पर भगवान श्री चारभुजा नाथ की तस्वीर विराजित की गई है व बगल की कुर्सी पर वह खुद बैठते हैं. नगर परिषद के सभापति राकेश पाठक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए अपने आप के पद में बदलाव के सवाल पर कहा कि लोकतंत्र में मैं हूं. लोकतंत्र में मुझे पढ़ाया गया है कि 'जनता के लिए, जनता की ओर से और जनता ही सर्वोपरि है'.

इसी लिए भीलवाड़ा नगर परिषद क्षेत्र से जनता ही सभापति है. भले ही व्यक्ति प्रतिनिधित्व कर सकता है. मुझसे श्रेष्ठ कार्यकर्ता व नागरिक भी हो सकते हैं जो इस पद को संभाल सकते हैं, लेकिन मौका एक व्यक्ति को मिलता है. वह व्यक्ति ही प्रतिनिधि हो सकता है और मुझे सभापति बनने का मौका मिला है. लेकिन असली सभापति तो भीलवाड़ा शहर की जनता है. इसलिए मैंने अपने कक्ष के बाहर भी जनता चेयरमैन प्रतिनिधि शब्द लिखा है और शहर की जनता बिना पर्ची के बेहिचक मुझसे से मिल सकती है जिससे मैं उनकी समस्या का निराकरण कर सकूं.

पढ़ें: भीलवाड़ा: नगर परिषद सभापति ने उपनगर पुर कस्बे वासियों को दी सौगात

लोकतंत्र में अंतिम कड़ी में जनता ही सर्वोपरि है. कोई भी राजनेता अगर जनता को सर्वोपरि नहीं मानता है और गलतफहमी पालता है तो उसे धोखा खाना पड़ेगा. जनता ही है जो अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर पहुंचा देती है. जनता जनार्दन है या तो जनार्दन भगवान को माना है या जनता को माना है और जनता की सेवा करना ही धर्म माना है.

भीलवाड़ा. पद और कुर्सी के लिए छोटे-बड़े हर चुनाव में नेता तरह-तरह के जोड़तोड़ करते हैं लेकिन भीलवाड़ा नगर परिषद से भाजपा के सभापति राकेश पाठक ने खुद को 'जनता का प्रतिनिधि' मानते हुए पद में बदलाव किया है. उनके चेंबर में एक मुख्य कुर्सी पर भगवान चारभुजा नाथ को विराजित किया गया है और पास की दूसरी कुर्सी पर जिसपर सभापति बैठते हैं वहां उन्होंने अपने चेंबर के बाहर जनता चेयरमैन प्रतिनिधि का बोर्ड लगाया है.

राजनीति में पद प्राप्त करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है और पद प्राप्त होने के बाद राजनेता कई बार जनता को ही भूल जाते हैं, लेकिन भीलवाड़ा नगर परिषद से भाजपा के सभापति ने चुनाव में विजय प्राप्त करने के बाद वर्तमान में अपने आप के पद में बदलाव करते हुए 'जनता का चेयरमैन' का बोर्ड लगाया है.

जनता का प्रतिनिधि बोर्ड लगाया

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नगर परिषद के सभापति के मुख्य कक्ष में मुख्य कुर्सी पर भगवान श्री चारभुजा नाथ की तस्वीर विराजित की गई है व बगल की कुर्सी पर वह खुद बैठते हैं. नगर परिषद के सभापति राकेश पाठक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए अपने आप के पद में बदलाव के सवाल पर कहा कि लोकतंत्र में मैं हूं. लोकतंत्र में मुझे पढ़ाया गया है कि 'जनता के लिए, जनता की ओर से और जनता ही सर्वोपरि है'.

इसी लिए भीलवाड़ा नगर परिषद क्षेत्र से जनता ही सभापति है. भले ही व्यक्ति प्रतिनिधित्व कर सकता है. मुझसे श्रेष्ठ कार्यकर्ता व नागरिक भी हो सकते हैं जो इस पद को संभाल सकते हैं, लेकिन मौका एक व्यक्ति को मिलता है. वह व्यक्ति ही प्रतिनिधि हो सकता है और मुझे सभापति बनने का मौका मिला है. लेकिन असली सभापति तो भीलवाड़ा शहर की जनता है. इसलिए मैंने अपने कक्ष के बाहर भी जनता चेयरमैन प्रतिनिधि शब्द लिखा है और शहर की जनता बिना पर्ची के बेहिचक मुझसे से मिल सकती है जिससे मैं उनकी समस्या का निराकरण कर सकूं.

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लोकतंत्र में अंतिम कड़ी में जनता ही सर्वोपरि है. कोई भी राजनेता अगर जनता को सर्वोपरि नहीं मानता है और गलतफहमी पालता है तो उसे धोखा खाना पड़ेगा. जनता ही है जो अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर पहुंचा देती है. जनता जनार्दन है या तो जनार्दन भगवान को माना है या जनता को माना है और जनता की सेवा करना ही धर्म माना है.

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