भीलवाड़ा. प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया एक दिवसीय दौरे पर भीलवाड़ा आए. जहां ईटीवी भारत के सवाल पर कटारिया ने कहा कि कृषि कानून बिना सोचे-समझे लाया गया है. इस कानून को बनाने के दौरान ना आम आदमी- ना किसान-ना व्यापारी और अन्य सामाजिक संगठनों की राय ली गई है. यह कोई दलगत राजनीति का मामला नहीं है. अब किसान धीरे-धीरे इस कानून को समझ रहे हैं. उन किसानों को अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा है.
सरकार के 2 वर्ष की उपलब्धियां गिनाने कृषि मंत्री लालचंद कटारिया भीलवाड़ा पहुंचे. जहां कृषि कानून को लेकर ईटीवी भारत के सवाल पर मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि कृषि कानून बना है, इसमें सबसे बड़ी बात है कि किसान चाहते हैं कि एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में भारत सरकार क्लियर करें, कि इसकी स्थिति क्या रहेगी, भविष्य में क्या रहेगा, क्योंकि एमएसपी पर ही किसान का भविष्य है.
आज जितने भी किसान संघ आंदोलन कर रहे हैं. जहां भारत सरकार यह भी कह रहे हैं कि इसमें राजनीति हो रही है, लेकिन किसान होता है, जो गांव में खड़ा है. जिनको हम अन्नदाता भी कहते हैं. इस कानून को लेकर अन्न दाताओं की सामान्य सी मांग है कि इस बिल में सुधार किया जाए. कई किसानों ने तो यह भी कहा कि हमने इस कानून की मांग ही नहीं की तो क्यों यह कानून बनाया गया. अब किसानो की एक ही मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में सरकार क्लियर करें.
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अब भारत सरकार को भी सोचना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों को किस प्रकार अपनी राय व्यक्त करती है. क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही भाव तय होता है. वहीं दूसरी ओर मंडी प्रणाली खत्म हो जाएगी, तो पूरे देश में कृषि मंडी क्षेत्र में कितना इन्फ्रास्ट्रक्चर है. वहां व्यापारी , चाय की थडी वाले, हमाल और पल्लेदार को परेशानी होगी.