भरतपुर. जिले के जनाना अस्पताल की लापरवाही से हुई बच्चे की मौत के मामले में कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह खुल के मैदान में आ गए हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रशासन और सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया. मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि डिलीवरी के लिए भर्ती परवीना को अस्पताल प्रशासन ने जयपुर के लिए रेफर कर दिया. जिससे रास्ते में ही डिलीवरी हो गई और बच्चे की मौत हो गई. लेकिन सरकारी मशीनरी इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जनाना अस्पताल से परवीना को रेफर किया गया, लेकिन रेफर कागज पर कोई भी अस्पताल की मोहर नहीं है. इसके अलावा अस्पताल प्रशासन ने परवीना को रेफर किया तो उसको एम्बुलेंस क्यों नहीं उपलब्ध करवाई. परवीना को सीकरी से भरतपुर के जनाना अस्पताल के लिए रेफर किया था. सीकरी के अस्पताल के मुताबिक बच्चा 08 माह का था, लेकिन जनाना अस्पताल 06 माह 15 दिन बता रहा है.
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अगर जनाना अस्पताल प्रशासन अगर परवीना को समय पर एंबुलेंस उपलब्ध करवाता तो मान सकते थे कि अस्पताल प्रशासन ने उसकी मदद की. खबर मीडिया में चलने के बाद परवीना को भर्ती किया गया. इस मामले के बाद प्रशासन पीड़ित के बयान लेने के लिए अस्पताल पहुंचा और पीड़ित की भाभी का वीडियो बनाया, लेकिन उसको बोलने नहीं दिया गया. इससे साफ होता है कि प्रशासन द्वारा मामले को दबाया जा रहा है.
साथ ही उन्होंने कहा कि जमात के खिलाफ सभी हैं, लेकिन जमात के नाम पर किसी मुस्लिम महिला को इलाज के लिए रेफर कर दिया जाए तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती. उन्होंने प्रशासन द्वारा बनाए गए वीडियो को जबरन बनवाया गया वीडियो बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की बात करती है, लेकिन अफसरों द्वारा इसकी धज्जियां उड़ाई जाती हैं.
कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के सरकार और प्रशासन से सवाल
- खून की कमी के चलते उसको रेफर किया तो कुछ घंटे बाद उसी अस्पताल में उसको खून क्यों चढ़ाया गया? हादसे से पहले क्यों नहीं ?
- जब महिला को रेफर किया तो अस्पताल ने उसके लिए एंबुलेंस उपलब्ध क्यों नहीं कराई ?
- सीएचसी के मुताबिक महिला 8 माह की गर्भवती थी और ब्लीडिंग हो रही थी तो उसका इलाज पहले यहां क्यों नहीं किया गया?
- जो इलाज आज अस्पताल में हो रहा है, उस इलाज को हादसे से पहले क्यों शुरू नहीं किया गया?
- चिकित्सकों के मुताबिक जब उसको कॉम्प्लीकेशन्स थी तो फिर आज यहां उसका इलाज संभव कैसे हुआ?