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भरतपुरः सिलिकोसिस से मरने वालों के परिजनों को नहीं मिली अब तक कोई आर्थिक सहायता

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Published : Feb 13, 2020, 9:38 PM IST

भरतपुर में रूपवास थाना इलाके के खेड़ा ठाकुर के सिलिकोसिस से पिड़ित मृतकों के परिजनों को सरकारी लाभ अब तक नहीं मिला है. जिसके बाद गुरुवार को परिजनों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर जल्द आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की है.

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सरकारी लाभ नहीं मिला

भरतपुर. शहर के अधिकारियों के सुस्त रवैये के कारण रूपवास थाना इलाके के खेड़ा ठाकुर के कुछ सिलिकोसिस से पिड़ित मृतकों के परिजनों को सरकारी लाभ नहीं मिला है. जिसके बाद गुरुवार को मृतकों के परिजन जिला कलेक्टरेट पर पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया है. साथ ही जल्द से जल्द से आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की है.

जिला कलेक्टर को दिया ज्ञापन

सिलिकोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे व्यक्ति के अगर ये बीमारी हो जाए तो वह बड़ी मुश्किलों के बाद सही होती है और ज्यादात्तर मरीजों की मौत हो जाती है. साथ ही ये बीमारी ज्यादात्तर खानों में काम करने वाले मजदूरों और पत्थर पर डिजाइन बनाने वाले मजदूरों को होती है.

पढ़ेंः राष्ट्रीय महिला दिवस: अब महिलाएं अपने उद्योग के लिए 'महिला बाल विकास' विभाग से ले सकेंगी ऋण

साथ ही इस बीमारी से मरने वाले लोगों के परिजनों को राज्य सरकार करीब 06 लाख रुपये देती है. इसके अलावा ये बीमारी होने के बाद सरकार बीमारी से पीड़ित लोगों का फ्री में इलाज़ भी करवाती है.

मृतक के परिजनों ने बताया कि उनके गांव के आसपास पत्थरों की काफी खाने है, जिनको सरकार लीज पर ठेकेदारों को देती है. उन खानों में गांव के लोग मजदूरी करते है और ठेकेदारों द्बारा मजदूरों को कोई भी बीमारी से बचाव का साधन नहीं दिया जाता है. इसलिए काम करते समय सांस द्बारा पत्थरों की धूल उनके लंग्स पर जम जाती है और धीरे-धीरे लंग्स पत्थर का रूप ले लेते है.

पढ़ेंः खाली कुर्सियों के बीच शुरू हुआ घूमर फेस्ट, सिर्फ भूटान टीम ने लिया हिस्सा

जिसकी वजह से शरीर मे खून का दौड़ना और खून का बनना बंद हो जाता. जिससे उनकी जल्द ही उनकी मौत हो जाती है. इस बीमारी से मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए सरकार ने आर्थिक सहायता करीब 6 लाख रुपये दो किश्तों में देना तय किया था. लेकिन अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के कारण साल 2014 से मरने वाले लोगों के परिजनों को अभी तक सरकार की तरफ से कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिली है. जिसकी वजह से वे लोग भी खानों में मजदूरी करने को मजबूर है.

भरतपुर. शहर के अधिकारियों के सुस्त रवैये के कारण रूपवास थाना इलाके के खेड़ा ठाकुर के कुछ सिलिकोसिस से पिड़ित मृतकों के परिजनों को सरकारी लाभ नहीं मिला है. जिसके बाद गुरुवार को मृतकों के परिजन जिला कलेक्टरेट पर पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया है. साथ ही जल्द से जल्द से आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की है.

जिला कलेक्टर को दिया ज्ञापन

सिलिकोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे व्यक्ति के अगर ये बीमारी हो जाए तो वह बड़ी मुश्किलों के बाद सही होती है और ज्यादात्तर मरीजों की मौत हो जाती है. साथ ही ये बीमारी ज्यादात्तर खानों में काम करने वाले मजदूरों और पत्थर पर डिजाइन बनाने वाले मजदूरों को होती है.

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साथ ही इस बीमारी से मरने वाले लोगों के परिजनों को राज्य सरकार करीब 06 लाख रुपये देती है. इसके अलावा ये बीमारी होने के बाद सरकार बीमारी से पीड़ित लोगों का फ्री में इलाज़ भी करवाती है.

मृतक के परिजनों ने बताया कि उनके गांव के आसपास पत्थरों की काफी खाने है, जिनको सरकार लीज पर ठेकेदारों को देती है. उन खानों में गांव के लोग मजदूरी करते है और ठेकेदारों द्बारा मजदूरों को कोई भी बीमारी से बचाव का साधन नहीं दिया जाता है. इसलिए काम करते समय सांस द्बारा पत्थरों की धूल उनके लंग्स पर जम जाती है और धीरे-धीरे लंग्स पत्थर का रूप ले लेते है.

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जिसकी वजह से शरीर मे खून का दौड़ना और खून का बनना बंद हो जाता. जिससे उनकी जल्द ही उनकी मौत हो जाती है. इस बीमारी से मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए सरकार ने आर्थिक सहायता करीब 6 लाख रुपये दो किश्तों में देना तय किया था. लेकिन अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के कारण साल 2014 से मरने वाले लोगों के परिजनों को अभी तक सरकार की तरफ से कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिली है. जिसकी वजह से वे लोग भी खानों में मजदूरी करने को मजबूर है.

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