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Herbal gulal in Bharatpur: भगवान के चढ़ावे से हर्बल गुलाल, यहां मंदिरों के फूलों को संजोया जाता है कुछ इस तरह! - Unique Effort by An organisation for Herbal gulal

मंदिर में भगवान के शीश पर चढ़ाए जाने वाला फूल कुछ समय बाद नालियों में बहा दिया जाता है. लेकिन भरतपुर की एक संस्था (Unique Effort by An organisation for Herbal gulal) इन फूलों को नालियों में बहने से रोक कर हर्बल गुलाल बनाने में काम ले रही है.

Herbal gulal in Bharatpur
भगवान के चढ़ावे से हर्बल गुलाल
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Published : Mar 16, 2022, 9:03 AM IST

भरतपुर. जिले का सोशल वेलफेयर रिसर्च ग्रुप ( स्वर्ग) संस्था (social group Swarg of Bharatpur) ने भगवान पर चढ़े चढ़ावे को जाया होने नहीं दिया. उसे बचाया और एक उदाहरण पेश किया. संस्था ने इस वर्ष मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों, सब्जी, हल्दी और चंदन से तीन प्रकार का 10 टन हर्बल गुलाल तैयार किया. ये गुलाल जहां पूरी तरह से हर्बल (Herbal gulal in Bharatpur ) है, वहीं बाजार में मिलने वाले रासायनिक गुलाल से सस्ता भी है.

ऐसे तैयार किया हर्बल गुलाल: संस्था के प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि सामान्य तौर पर मंदिरों में भगवान की मूर्ति पर चढ़ाए जाने वाला फूल बाद में गंदी नालियों में बहा दिया जाता है. हम भगवान पर चढ़ाए जाने वाले पवित्र फूलों को इकट्ठा करके उनको सुखाते हैं. फिर उनको उबालकर खुशबूयुक्त पानी को अलग कर लेते हैं. पंखुड़ियों को फिर से सुखाकर और उन्हें पीस लेते हैं. पंखुड़ियों के पाउडर में खुशबू के लिए खुशबू युक्त अर्क का इस्तेमाल किया जाता है.

यहां मंदिरों के फूलों को संजोया जाता है कुछ इस तरह!

पढ़ें-Special: विदेशी पक्षियों से चहचहाने लगा 'केवलादेव', सैलानियों की उमड़ने लगी भीड़

गोमूत्र और गुलाबजल: बलवीर ने बताया कि फूलों की पंखुड़ियों से तैयार कर गए पाउडर में खुशबू के लिए जहां खुशबूयुक्त अर्क का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं गोमूत्र और गुलाब जल को भी मिलाया जाता है. पीला गुलाल बनाने के लिए जहां गेंदा के फूल, हल्दी और चंदन का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं हरा गुलाल बनाने के लिए पालक, गुलाबी गुलाल के लिए चुकंदर और गुलाब के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.

दस टन गुलाल तैयार: प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि इस वर्ष उन्हें अजमेर समेत कई जिलों और संस्थाओं की ओर से हर्बल गुलाल की डिमांड आई थी. जिसके लिए पीला, गुलाबी और हरा तीनों प्रकार का कुल 10 टन गुलाल तैयार करके सप्लाई कर दिया गया है. गत वर्ष पूरे राजस्थान के सभी जिलों से हर्बल गुलाल की मांग आई थी.

बलबीर सिंह ने बताया कि यह गुलाल पूरी तरह से हर्बल है और होली खेलने पर त्वचा पर किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं (Holi Celebration 2022) होता है. यह गुलाल स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं से तैयार किया जाता है. इसमें महिलाओं को कच्चा माल उपलब्ध करा दिया जाता है और बाजार से मिलने वाली कीमत सीधी महिलाओं तक पहुंचाई जाती है ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें.

भरतपुर. जिले का सोशल वेलफेयर रिसर्च ग्रुप ( स्वर्ग) संस्था (social group Swarg of Bharatpur) ने भगवान पर चढ़े चढ़ावे को जाया होने नहीं दिया. उसे बचाया और एक उदाहरण पेश किया. संस्था ने इस वर्ष मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों, सब्जी, हल्दी और चंदन से तीन प्रकार का 10 टन हर्बल गुलाल तैयार किया. ये गुलाल जहां पूरी तरह से हर्बल (Herbal gulal in Bharatpur ) है, वहीं बाजार में मिलने वाले रासायनिक गुलाल से सस्ता भी है.

ऐसे तैयार किया हर्बल गुलाल: संस्था के प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि सामान्य तौर पर मंदिरों में भगवान की मूर्ति पर चढ़ाए जाने वाला फूल बाद में गंदी नालियों में बहा दिया जाता है. हम भगवान पर चढ़ाए जाने वाले पवित्र फूलों को इकट्ठा करके उनको सुखाते हैं. फिर उनको उबालकर खुशबूयुक्त पानी को अलग कर लेते हैं. पंखुड़ियों को फिर से सुखाकर और उन्हें पीस लेते हैं. पंखुड़ियों के पाउडर में खुशबू के लिए खुशबू युक्त अर्क का इस्तेमाल किया जाता है.

यहां मंदिरों के फूलों को संजोया जाता है कुछ इस तरह!

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गोमूत्र और गुलाबजल: बलवीर ने बताया कि फूलों की पंखुड़ियों से तैयार कर गए पाउडर में खुशबू के लिए जहां खुशबूयुक्त अर्क का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं गोमूत्र और गुलाब जल को भी मिलाया जाता है. पीला गुलाल बनाने के लिए जहां गेंदा के फूल, हल्दी और चंदन का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं हरा गुलाल बनाने के लिए पालक, गुलाबी गुलाल के लिए चुकंदर और गुलाब के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.

दस टन गुलाल तैयार: प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि इस वर्ष उन्हें अजमेर समेत कई जिलों और संस्थाओं की ओर से हर्बल गुलाल की डिमांड आई थी. जिसके लिए पीला, गुलाबी और हरा तीनों प्रकार का कुल 10 टन गुलाल तैयार करके सप्लाई कर दिया गया है. गत वर्ष पूरे राजस्थान के सभी जिलों से हर्बल गुलाल की मांग आई थी.

बलबीर सिंह ने बताया कि यह गुलाल पूरी तरह से हर्बल है और होली खेलने पर त्वचा पर किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं (Holi Celebration 2022) होता है. यह गुलाल स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं से तैयार किया जाता है. इसमें महिलाओं को कच्चा माल उपलब्ध करा दिया जाता है और बाजार से मिलने वाली कीमत सीधी महिलाओं तक पहुंचाई जाती है ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें.

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