भरतपुर. जिले में वाहन क्रय-विक्रय कर उन्हें खुर्द-बुर्द कर फायनेंस कंपनियों को करोड़ों का चूना लगाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा किया है. पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के खिलाफ भुसावर, अलवर, दौसा, करौली समेत प्रदेश के कई जिलों में धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं.
थाना प्रभारी राजेश खटाना ने बताया कि पुलिस थाने पर वाहनों को खुर्द बुर्द कर वाहन चोरी की झूठी रिपोट दर्ज कराकर बीमा कंपनी से बीमा राशि उठाने के कई मामले दर्ज हुए थे. मामले की गंभीरता को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक डॉ.अमनदीप सिंह कपूर ने आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए और धरपकड़ के लिए भुसावर और डीएसटी की टीम गठित की गई.
पुलिस टीम ने आरोपियों की तलाश में गांव पैण्डका समेत कई स्थानों पर दबिश दी लेकिन आरोपी भाग निकलते थे. जिस पर पुलिस ने इलाके में निगरानी बढ़ाई और 26 अगस्त को नगर थाना क्षेत्र के गांव पैण्डका में दबिश दी. पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपी और मुख्य सरगना पैण्डका निवासी दलवीर सिंह गुर्जर पुत्र गोविंद सिंह और उसके भाई हुकुम सिंह गुर्जर को धर दबोचा. आरोपियों के खिलाफ अकेले भुसावर थाने पर 7 मामले दर्ज हैं.
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पूछताछ में सामने आया कि दोनों साल 2011 से आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होकर धोखाधड़ी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. इसके लिए वो भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसा कर वाहन खरीद करवाते हैं और बाद में उसे चोरी करवा कर बीमा उठा लेते हैं. पूछताछ में सामने आया कि आरोपी करीब 10-11 जेसीबी मशीन, 40 ट्रैक्टर, 20 बोलेरो गाड़ी समेत अन्य वाहन फायनेंस कंपनियों के जरिए डाउन पेमेंट पर खरीद कर उन्हें बेच चुके हैं. गिरोह में नगर थाने के गांव बरखेड़ा निवासी भरतलाल उर्फ भरती जाट पुत्र रघुनाथ जाट, गांव सिरथला निवासी हसंराम उर्फ हंसा पुत्र दाताराम गुर्जर, मथुरा जिला के बरसाना थाना के गांव लोहरवाड़ी लक्ष्मण उर्फ पटवारी गुर्जर पुत्र प्रहलाद गुर्जर शामिल है.
ऐसे देता था वारदात को अंजाम
थाना प्रभारी ने बताया कि सरगना दलवीर और उसका भाई शातिर अपराधी हैं और गिरोह बना कर फायनेंस कम्पनियों के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे. आरोपी भोले-वाले व्यक्ति और किसानों को धन कमाने का लालच देते और फिर फायनेंस कंपनियों से कर्ज पर वाहन उपलब्ध करा वाहन को खुर्द-बुर्द कर देते थे. ऐसे वाहनों को राजस्थान के विभिन्न जिला सहित अन्य प्रदेशों में सस्ते में बेच देते हैं. गिरोह फिर इस्तगासे के जरिए झूठे मुकदमे दर्ज कराते हैं और फायनेंस कंपनियां को चपत लगाते हैं.