भरतपुर. किन्नर नीतू मौसी को खुद की कोख से बच्चों को जन्म देने का सुख नसीब नहीं हुआ, लेकिन फिर भी आज वो 90 बेटियों की मां है. किन्नर नीतू मौसी बीते 9 साल में अब तक गरीब हिंदू-मुस्लिम 90 बेटियों का विवाह करा चुकी हैं और यही वजह है कि वो बेटियां भी नीतू मौसी को अपनी मां के समान मानती हैं.
नीतू मौसी ने बताया कि वह पहले आम किन्नरों की तरह ही लोगों की खुशियों में उनके घरों पर जाती थी, लेकिन इसी दौरान कई बार वो गरीब कन्या और उनकी परिस्थितियों को भी देखती थी. ऐसे में समय-समय पर वो कभी 1-2 गरीब कन्याओं की शादी करा देती थी, लेकिन आज से 9 वर्ष पहले उन्होंने एक संकल्प लिया और हर वर्ष हिंदू-मुस्लिम की 10 कन्याओं का विवाह कराने का अभियान छेड़ दिया. बीते 9 वर्ष में हिंदू और मुस्लिम समाज की 90 कन्याओं का अब तक पूरे रीति रिवाजों के साथ विवाह और निकाह करा चुकी हैं.
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एक ही परिसर में वैदिक मंत्र और कुरान की आयतें...
नीतू मौसी अपनी इस मुहिम के माध्यम से जहां बेटियों को समाज में बेटों के समान ही सम्मान और तवज्जो देने का संदेश देती हैं, तो वहीं हिंदू और मुस्लिम समाज की बेटियों का एक साथ विवाह और निकाह कराने के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव का उदाहरण भी प्रस्तुत करती हैं. किन्नर नीतू मौसी द्वारा आयोजित किए जाने वाले सामूहिक विवाह स्थल पर जहां एक तरफ पंडित वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हिंदू कन्याओं का विवाह संपन्न कराते हैं, तो वहीं कुरान की आयतों के बीच मुस्लिम बेटियों का निकाह भी संपन्न होता है.
ऐसे करती हैं कन्याओं का चुनाव...
किन्नर नीतू मौसी ने बताया कि हर वर्ष 10 गरीब कन्याओं के चयन के लिए रक्षाबंधन के अवसर पर आवेदन मांगे जाते हैं. आवेदन में भरी गई जानकारी के आधार पर सबसे गरीब 10 कन्याओं को चुना जाता है, इनमें 5 कन्याएं हिंदू और 5 कन्याएं मुस्लिम समाज की होती हैं. कई बार ऐसा भी होता है की यह संख्या कम और ज्यादा हो जाती है. इस बार 4 दिसंबर को आयोजित विवाह समारोह में 7 हिन्दू और 3 मुस्लिम कन्याओं का विवाह व निकाह कराया गया.
जेवरात व अन्य जरूरी सामान भी देती हैं...
नीतू मौसी के सामाजिक कार्यक्रमों के व्यवस्थापक शैलेंद्र उपाध्याय ने बताया कि गरीब कन्याओं के शादी और निकाह के दौरान नीतू मौसी ना केवल कन्याओं के लिए सोने और चांदी के जेवरात बनवा कर देती हैं बल्कि घर की जरूरतों का प्रत्येक सामान भी कन्यादान स्वरूप भेट करती हैं. आयोजन के दौरान गरीब कन्याओं के माता-पिता को किसी कमी का आभास तक नहीं होने देती. इतना ही नहीं सामूहिक विवाह समारोह के दौरान अन्य लोग भी आकर कन्यादान करते हैं.
हिन्दू परिवार में ली जन्म, फिर भी करती हैं हज यात्रा
शैलेंद्र उपाध्याय ने बताया कि नीतू मौसी का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ है, फिर भी सांप्रदायिक सद्भाव के तहत वो हर वर्ष हज यात्रा पर जाती हैं. इतना ही नहीं कई लोगों को खुद के खर्चे पर हज कराती हैं.
कोविड गाइडलाइन का किया जा रहा पालन
किन्नर नीतू मौसी ने बताया कि हर वर्ष सामूहिक विवाह समारोह के दौरान करीब 2 हजार लोगों और बारातियों को भोजन की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस बार कोविड की वजह से दूल्हा-दुल्हन समेत 6-6 लोगों को ही निमंत्रण दिया गया है. साथ ही समारोह में कोविड गाइडलाइन की पालना की पूरी पालना भी की गई.
लड़ चुकी हैं पार्षद का चुनाव
किन्नर नीतू मौसी को शहरवासियों ने नगर निगम के पार्षद का चुनाव भी लड़ाया था. उन्हें भाजपा की ओर से टिकट भी दे दिया गया था. वह नगर निगम के वार्ड 29 से पार्षद रह चुकी हैं. नीतू मौसी का कहना है कि समाज के लिए कुछ अच्छा कर पाना मेरी लिए सौभाग्य की बात है.