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भरतपुर: 1 कैंपस में चल रहे 3 कॉलेज, 2 कॉलेज में इस साल एक भी स्टूडेंट का एडमिशन नहीं

भरतपुर संभाग मुख्यालय पर 3 इंजीनियरिंग कॉलेज एक ही परिसर में संचालित हैं. जिसकी वजह है वहां पर असुविधाओं का भंडार. जिस कारण इस वर्ष इन कॉलेजों में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया.

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भरतपुर में एक परिसर में संचालित हो रहे तीन इंजीनियरिंग कॉलेज
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Published : Jan 16, 2020, 11:05 AM IST

भरतपुर. जिला संभाग मुख्यालय पर एक ही परिसर में तीन इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित हैं, लेकिन इनमें से दो इंजीनियरिंग कॉलेज धौलपुर और करौली महज खानापूर्ति बनकर रह गए हैं. इनमें ना तो अलग से कोई पढ़ाने वाला स्टाफ है और ना ही सुविधा. यही वजह है, कि इस सत्र में दोनों कॉलेजों में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया. इतना ही नहीं इन तीनों कॉलेजों का जिम्मा संभालने के लिए सिर्फ एक प्राचार्य है.

भरतपुर में एक परिसर में संचालित हो रहे तीन इंजीनियरिंग कॉलेज

स्कूलों से भी कम छात्र संख्या

भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में संचालित धौलपुर और करौली के इंजीनियरिंग महाविद्यालय में स्कूलों से भी कम छात्रों की संख्या है. करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल, सिविल, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच और धौलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल, सिविल, माइनिंग, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच है.

प्रत्येक ब्रांच में 180-180 सीट

इन कॉलेजों की प्रत्येक ब्रांच में 180 -180 सीट हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है, कि करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में सिर्फ 11 विद्यार्थी और धौलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में मात्र 5 विद्यार्थी ही अध्यनरत हैं. इतना ही नहीं साल 2019- 20 सत्र में तो इन दोनों महाविद्यालयों में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया. वहीं भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में करीब 545 छात्र अध्ययनरत हैं.

एक साथ लगती है कक्षाएं

भरतपुर, धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय ना केवल एक ही परिसर में संचालित हो रहे हैं बल्कि धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय में पढ़ाने के लिए कोई स्टाफ नहीं है. यही वजह है, कि धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय के विद्यार्थियों की कक्षाएं भी भरतपुर महाविद्यालय के साथ ही संचालित होती हैं.

यह भी पढ़ें : स्पेशल रिपोर्ट: जेके लोन अस्पताल से कुछ सुकून भरी खबर, जनवरी माह में शिशुओं की मौत का औसत रह गया आधा

तीन कॉलेजों के एक प्राचार्य

धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में जहां अभी तक कोई स्टाफ नहीं है. वहीं इनके संचालन और प्रबंधन के लिए कोई प्राचार्य भी नहीं है. ऐसे में भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ रवि गुप्ता के पास ही तीनों कॉलेजों की जिम्मेदारी है.

बजट मिला, सुविधा नहीं

धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग कॉलेजों को बजट और जमीन मिली है. धौलपुर कॉलेज को 16 बीघा जमीन के साथ ही रूसा के तहत 13 करोड़ का बजट और करौली कॉलेज को 16 बीघा जमीन के साथ ही 1 करोड़ का बजट मिला है, लेकिन भवन और मूलभूत सुविधाओं के विस्तार का अब भी इन कॉलेजों को इंतजार है.

भरतपुर. जिला संभाग मुख्यालय पर एक ही परिसर में तीन इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित हैं, लेकिन इनमें से दो इंजीनियरिंग कॉलेज धौलपुर और करौली महज खानापूर्ति बनकर रह गए हैं. इनमें ना तो अलग से कोई पढ़ाने वाला स्टाफ है और ना ही सुविधा. यही वजह है, कि इस सत्र में दोनों कॉलेजों में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया. इतना ही नहीं इन तीनों कॉलेजों का जिम्मा संभालने के लिए सिर्फ एक प्राचार्य है.

भरतपुर में एक परिसर में संचालित हो रहे तीन इंजीनियरिंग कॉलेज

स्कूलों से भी कम छात्र संख्या

भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में संचालित धौलपुर और करौली के इंजीनियरिंग महाविद्यालय में स्कूलों से भी कम छात्रों की संख्या है. करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल, सिविल, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच और धौलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल, सिविल, माइनिंग, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच है.

प्रत्येक ब्रांच में 180-180 सीट

इन कॉलेजों की प्रत्येक ब्रांच में 180 -180 सीट हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है, कि करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में सिर्फ 11 विद्यार्थी और धौलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में मात्र 5 विद्यार्थी ही अध्यनरत हैं. इतना ही नहीं साल 2019- 20 सत्र में तो इन दोनों महाविद्यालयों में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया. वहीं भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में करीब 545 छात्र अध्ययनरत हैं.

एक साथ लगती है कक्षाएं

भरतपुर, धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय ना केवल एक ही परिसर में संचालित हो रहे हैं बल्कि धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय में पढ़ाने के लिए कोई स्टाफ नहीं है. यही वजह है, कि धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय के विद्यार्थियों की कक्षाएं भी भरतपुर महाविद्यालय के साथ ही संचालित होती हैं.

यह भी पढ़ें : स्पेशल रिपोर्ट: जेके लोन अस्पताल से कुछ सुकून भरी खबर, जनवरी माह में शिशुओं की मौत का औसत रह गया आधा

तीन कॉलेजों के एक प्राचार्य

धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में जहां अभी तक कोई स्टाफ नहीं है. वहीं इनके संचालन और प्रबंधन के लिए कोई प्राचार्य भी नहीं है. ऐसे में भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ रवि गुप्ता के पास ही तीनों कॉलेजों की जिम्मेदारी है.

बजट मिला, सुविधा नहीं

धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग कॉलेजों को बजट और जमीन मिली है. धौलपुर कॉलेज को 16 बीघा जमीन के साथ ही रूसा के तहत 13 करोड़ का बजट और करौली कॉलेज को 16 बीघा जमीन के साथ ही 1 करोड़ का बजट मिला है, लेकिन भवन और मूलभूत सुविधाओं के विस्तार का अब भी इन कॉलेजों को इंतजार है.

Intro:भरतपुर.
भरतपुर संभाग मुख्यालय पर एक ही परिसर में तीन इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित हैं। लेकिन इनमें से दो इंजीनियरिंग कॉलेज ( धौलपुर और करौली) तो महज खानापूर्ति बनकर रह गए हैं। इनमें ना तो अलग से कोई पढ़ाने वाला स्टाफ है और ना ही सुविधा। यही वजह है कि इस सत्र में उक्त दिनों कॉलेजों में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया। इतना ही नहीं इन तीनों कॉलेजों की जिम्मा संभालने के लिए सिर्फ एक प्राचार्य है।


Body:स्कूलों से भी कम छात्र संख्या
भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में संचालित धौलपुर और करौली के इंजीनियरिंग महाविद्यालय में स्कूलों से भी कम छात्र संख्या है। कहने को करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में मेकेनिकल, सिविल, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच और धौलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल, सिविल, माइनिंग, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच है। प्रत्येक ब्रांच में 180 -180 सीट है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में सिर्फ 11 विद्यार्थी और धौलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में मात्र 5 विद्यार्थी ही अध्यनरत है। इतना ही नहीं वर्ष 2019- 20 सत्र में तो इन दोनों महाविद्यालयों में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया। वहीं भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में करीब 545 छात्र अध्ययनरत हैं।

एक साथ लगती है कक्षाएं
भरतपुर, धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय ना केवल एक ही परिसर में संचालित हो रहे हैं बल्कि धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय में पढ़ाने के लिए कोई स्टाफ नहीं है। यही वजह है कि धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग महाविद्यालय के विद्यार्थियों की कक्षाएं भी भरतपुर महाविद्यालय के साथ ही संचालित होती हैं।

तीन कॉलेजों के एक प्राचार्य
धौलपुर और करौली इंजीनियरिंग कॉलेज में जहां अभी तक कोई स्टाफ नहीं है वहीं इनके संचालन और प्रबंधन के लिए कोई प्राचार्य भी नहीं है। ऐसे में भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ रवि गुप्ता के पास ही तीनों कॉलेजों की जिम्मेदारी है।



Conclusion:बजट है, विकास का इंतजार
धौलपुर ओर करौली इंजीनियरिंग कॉलेजों को बजट और जमीन मिली है। धौलपुर कॉलेज को 16 बीघा जमीन के साथ ही रूसा के तहत 13 करोड़ का बजट और करौली कॉलेज को 16 बीघा जमीन के साथ ही 1 करोड़ का बजट मिला है। लेकिन भवन और मूलभूत सुविधाओं के विस्तार का अभी भी इंतजार है।

बाईट- डॉ रवि गुप्ता, प्राचार्य, इंजीनियरिंग कॉलेज, भरतपुर।
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