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क्या है चमत्कारी त्रिनेत्र गणेश जी की सच्ची कहानी...दर्शन से दूर होते हैं सारे कष्ट - त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा

गणपति को देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है. किसी भी काम को शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करना शुभ होता है. यही वजह है कि भरतपुर जिले की स्थापना से पहले यहां बप्पा को स्थापित किया गया. यहां दक्षिण दिशा में स्थापित त्रिनेत्र गणेश जी की प्रतिमा के दर्शन मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. जानिए भगवान गणेश को कहां से मिली तीसरी आंख...

गणेश चतु्र्थी स्पेशल,  भरतपुर के त्रिनेत्र गणेश,  Trinetra Ganesh of Bharatpur
लोहागढ़ किले की स्थापना गणेश की प्रतिमा की हुई स्थापना
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Published : Aug 22, 2020, 10:47 AM IST

भरतपुर. कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है और उनका आह्वान किया जाता है. भादों महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान 11 दिन तक बप्पा घरों में विराजते हैं और अंतिम दिन विधि-विधान से उनका विसर्जन कर दिया जाता है. गणेश जी अपने भक्तों के सारे कष्टों को हरते हैं. यही वजह है कि भरतपुर की स्थापना और लोहागढ़ किले की नींव रखने से पहले यहां त्रिनेत्र गणेश जी की स्थापना की गई.

लोहागढ़ किले की स्थापना गणेश की प्रतिमा की हुई स्थापना

क्यों हुई त्रिनेत्र गणेश जी की स्थापना

भरतपुर के अटल बंद गणेश मंदिर के पुजारी गुंजन पाठक बताते हैं कि गणेश मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. भरतपुर की स्थापना 1733 ईस्वी में की गई थी, लेकिन अटल बंद गणेश जी की स्थापना भरतपुर शहर की स्थापना से भी पहले हो गई थी. पुजारी गुंजन पाठक बताते हैं कि पूर्वजों से सुनी कहानी के अनुसार गणेश जी की स्थापना भरतपुर शहर के वास्तु दोष निवारण के लिए की गई. यह प्रतिमा शहर के दक्षिण दिशा में ईशान कोण मुखी मुद्रा में विराजित है.

गणेश चतु्र्थी स्पेशल,  भरतपुर के त्रिनेत्र गणेश,  Trinetra Ganesh of Bharatpur
त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा

त्रिनेत्र प्रतिमा की पौराणिक कथा

गजवंदनम् चितयम् में विनायक के तीसरे नेत्र का वर्णन किया गया है. लोक मान्यता है कि भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र उत्तराधिकारी स्वरूप अपने पुत्र गणेश को सौंप दिया था और इस तरह महादेव की सारी शक्तियां गजानन में निहित हो गई. महागणपति षोड्श स्त्रौतमाला में विनायक के सौलह विग्रह स्वरूपों का वर्णन है. महागणपति अत्यंत विशिष्ट व भव्य है जो त्रिनेत्र धारण करते हैं, इस प्रकार ये माना जाता है कि रणथम्भौर के त्रिनेत्र गणेशजी महागणपति का ही स्वरूप है.

बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित थी प्रतिमा

कहा जाता है कि पहले गणेश प्रतिमा को यहां एक विशाल बरगद के वृक्ष के नीचे स्थापित किया गया. काफी वर्षों बाद यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया. पुजारी बताते हैं कि सभी नकारात्मक शक्तियां दक्षिण दिशा की ओर से आती हैं. ऐसे में गणेश जी की प्रतिमा दक्षिण दिशा में स्थापित की गई, ताकि दक्षिण दिशा से शहर की ओर आने वाली सभी नकारात्मक शक्तियों को रोका जा सके.

गणेश चतु्र्थी स्पेशल,  भरतपुर के त्रिनेत्र गणेश,  Trinetra Ganesh of Bharatpur
मंदिर में पूजा करते पुजारी

यह भी पढ़ें : पाताल भुवनेश्वर: यहां स्थित है श्रीगणेश का मस्तक, ब्रह्मकमल से गिरती हैं दिव्य बूंदें

राजस्थान में सिर्फ दो जगह त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा

मंदिर के पुजारी गुंजन पाठक ने बताया कि पूरे प्रदेश में सिर्फ दो स्थानों पर ही गणेश जी की त्रिनेत्र चंद्रमौलि प्रतिमा है. एक प्रतिमा सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर के गणेश मंदिर में स्थापित है तो वहीं दूसरी प्रतिमा भरतपुर के अटल बंद मंदिर में रखी गई है.

स्वर्ण वर्क से होती थी सजावट

पुजारी गुंजन के मुताबिक त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा की हमेशा सोने के वर्क से सजावट होती थी. लेकिन इस बार सिर्फ सिंदूर से प्रतिमा की सजावट की गई. पहली बार कोरोना की वजह से भक्तों के लिए फूल बंगला झांकी भी नहीं सजाई गई.

गणेश चतु्र्थी स्पेशल,  भरतपुर के त्रिनेत्र गणेश,  Trinetra Ganesh of Bharatpur
इस साल मंदिर में लगा है ताला

पहली बार दर्शनार्थियों को नहीं मिला प्रवेश

पुजारी गुंजन पाठक ने बताया कि अटल बंद गणेश मंदिर के द्वार सदैव भक्तों के लिए खुले रहे, लेकिन करीब 287 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब गणेश चतुर्थी के अवसर पर भी भक्तों को मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर वापस लौटना पड़ा है.

भरतपुर. कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है और उनका आह्वान किया जाता है. भादों महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान 11 दिन तक बप्पा घरों में विराजते हैं और अंतिम दिन विधि-विधान से उनका विसर्जन कर दिया जाता है. गणेश जी अपने भक्तों के सारे कष्टों को हरते हैं. यही वजह है कि भरतपुर की स्थापना और लोहागढ़ किले की नींव रखने से पहले यहां त्रिनेत्र गणेश जी की स्थापना की गई.

लोहागढ़ किले की स्थापना गणेश की प्रतिमा की हुई स्थापना

क्यों हुई त्रिनेत्र गणेश जी की स्थापना

भरतपुर के अटल बंद गणेश मंदिर के पुजारी गुंजन पाठक बताते हैं कि गणेश मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. भरतपुर की स्थापना 1733 ईस्वी में की गई थी, लेकिन अटल बंद गणेश जी की स्थापना भरतपुर शहर की स्थापना से भी पहले हो गई थी. पुजारी गुंजन पाठक बताते हैं कि पूर्वजों से सुनी कहानी के अनुसार गणेश जी की स्थापना भरतपुर शहर के वास्तु दोष निवारण के लिए की गई. यह प्रतिमा शहर के दक्षिण दिशा में ईशान कोण मुखी मुद्रा में विराजित है.

गणेश चतु्र्थी स्पेशल,  भरतपुर के त्रिनेत्र गणेश,  Trinetra Ganesh of Bharatpur
त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा

त्रिनेत्र प्रतिमा की पौराणिक कथा

गजवंदनम् चितयम् में विनायक के तीसरे नेत्र का वर्णन किया गया है. लोक मान्यता है कि भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र उत्तराधिकारी स्वरूप अपने पुत्र गणेश को सौंप दिया था और इस तरह महादेव की सारी शक्तियां गजानन में निहित हो गई. महागणपति षोड्श स्त्रौतमाला में विनायक के सौलह विग्रह स्वरूपों का वर्णन है. महागणपति अत्यंत विशिष्ट व भव्य है जो त्रिनेत्र धारण करते हैं, इस प्रकार ये माना जाता है कि रणथम्भौर के त्रिनेत्र गणेशजी महागणपति का ही स्वरूप है.

बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित थी प्रतिमा

कहा जाता है कि पहले गणेश प्रतिमा को यहां एक विशाल बरगद के वृक्ष के नीचे स्थापित किया गया. काफी वर्षों बाद यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया. पुजारी बताते हैं कि सभी नकारात्मक शक्तियां दक्षिण दिशा की ओर से आती हैं. ऐसे में गणेश जी की प्रतिमा दक्षिण दिशा में स्थापित की गई, ताकि दक्षिण दिशा से शहर की ओर आने वाली सभी नकारात्मक शक्तियों को रोका जा सके.

गणेश चतु्र्थी स्पेशल,  भरतपुर के त्रिनेत्र गणेश,  Trinetra Ganesh of Bharatpur
मंदिर में पूजा करते पुजारी

यह भी पढ़ें : पाताल भुवनेश्वर: यहां स्थित है श्रीगणेश का मस्तक, ब्रह्मकमल से गिरती हैं दिव्य बूंदें

राजस्थान में सिर्फ दो जगह त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा

मंदिर के पुजारी गुंजन पाठक ने बताया कि पूरे प्रदेश में सिर्फ दो स्थानों पर ही गणेश जी की त्रिनेत्र चंद्रमौलि प्रतिमा है. एक प्रतिमा सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर के गणेश मंदिर में स्थापित है तो वहीं दूसरी प्रतिमा भरतपुर के अटल बंद मंदिर में रखी गई है.

स्वर्ण वर्क से होती थी सजावट

पुजारी गुंजन के मुताबिक त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा की हमेशा सोने के वर्क से सजावट होती थी. लेकिन इस बार सिर्फ सिंदूर से प्रतिमा की सजावट की गई. पहली बार कोरोना की वजह से भक्तों के लिए फूल बंगला झांकी भी नहीं सजाई गई.

गणेश चतु्र्थी स्पेशल,  भरतपुर के त्रिनेत्र गणेश,  Trinetra Ganesh of Bharatpur
इस साल मंदिर में लगा है ताला

पहली बार दर्शनार्थियों को नहीं मिला प्रवेश

पुजारी गुंजन पाठक ने बताया कि अटल बंद गणेश मंदिर के द्वार सदैव भक्तों के लिए खुले रहे, लेकिन करीब 287 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब गणेश चतुर्थी के अवसर पर भी भक्तों को मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर वापस लौटना पड़ा है.

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