भरतपुर. रिटायर्ड डीएफओ सुनयन शर्मा ने बताया कि टी-65 की मौत (Death of T-65) के पीछे पॉइजनिंग से इनकार नहीं किया जा सकता. हो सकता है किसी ने पानी में जहर नहीं मिलाया हो, लेकिन बाघ के शिकार में जहर मिलाने के चांस भी हो सकते हैं. रणथंभौर टाइगर रिजर्व के खंडार क्षेत्र में पहले भी बाघों को जहर देने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. हालांकि, मौत का असली कारण जांच रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा.
रणथंभौर टाइगर रिजर्व सलाहकार समिति सदस्य और सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि टी-65 की मौत के बाद सभी जरूरी सैम्पल (करीब 4 प्रकार के सैम्पल) लिए जा चुके हैं. बाघ की मौत के पीछे टेरिटोरियल फाइट की ना तो संभावना है और ना ही कोई निशान मिले हैं.
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मौत की पीछे ये हो सकती है वजह...
सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि टी-65 करीब दस साल का बाघ था. बाघ की मौत के पीछे 2-3 आशंकाएं सामने आती हैं. डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि कई बार बाघ को दिल का दौरा भी पड़ जाता है. ऐसे में टी-65 की मौत का कारण दिल का दौरा भी हो सकता है. साथ ही बाघ की मौत की दूसरी वजह पॉइजनिंग भी हो सकती है. पहले भी रणथंभौर टाइगर रिजर्व और सवाई मान सिंह सेंचुरी में पॉइजनिंग की वजह से बाघ की मौत के मामले सामने आ चुके हैं. टी-65 की मौत की दो ही संभावनाएं हो सकती हैं. हालांकि, रणथंभौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ टीसी वर्मा ने भी प्रथम दृष्टया दिल का दौरा पड़ने से बाघ की मौत की आशंका जताई है. इसके लिए बरेली में आईबीआरआई व फॉरेंसिक लैब में सैम्पल भेजे जाते हैं और वहां की रिपोर्ट के बाद मौत की असल वजह का पता चल पाता है.
जहर से मौत होने से किया था इनकार...
मंगलवार को रणथम्भौर रेंज में आम चौकी के आगे खरया चाटा में बाघ टी-65 का शव पड़ा होने की वनाधिकारियों को सूचना मिली थी. सूचना मिलते ही रणथम्भौर नेशनल पार्क के सीसीएफ टीसी वर्मा, डीएफओ महेन्द्र शर्मा, एसीएफ संजीव शर्मा आदि वनाधिकारी मौके पर पहुंचे और बाघ के शव को पानी से बाहर निकाला. इस बारे में मीडिया से बात करते हुए सीसीएफ टीसी वर्मा ने जहर के कारण बाघ की मौत से साफ इनकार किया किया था. वहीं, आज यानी बुधवार को वन अधिकारी इस बात से इनकार नहीं कर रहे और बता रहे हैं कि जहर भी मौत की वजह हो सकती है. हालांकि, मौत की असली वजह रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगी.
रणथंभौर में एक साल में चार बाघों की मौत...
जानकारी के अनुसार बीते 1 साल में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में चार बाघ और शावकों की मौत हो चुकी है. इनमें टी-102 मादा शावक, टी-60 नर शावक, टी-25 और चौथा टी-65 शामिल हैं.
राजस्थान में 7 साल में 17 बाघों की मौत...
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 से वर्ष 2019 के बीच राजस्थान में अलग-अलग टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve in Rajasthan) में बाघों की मौत हुई. इस दौरान राजस्थान के सभी टाइगर रिजर्व में मिलाकर कुल 17 बाघों की मौत हुई, जिनमें से सर्वाधिक मौतें रणथंभौर में हुईं. सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह की मानें तो रणथंभौर में हर वर्ष टेरिटोरियल फाइट (Tigers Territorial Fight) या अन्य किसी न किसी कारण से औसतन 1-2 बाघों की मौत हो जाती है.