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स्पेशल स्टोरी: गोबर गैस प्लांट ने बदली किसान की जीवनशैली...गैस सिलेंडर, बिजली बिल से मिला छुटकारा

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Published : Feb 25, 2020, 1:22 PM IST

गोपाल सिंह ने बीते 6 सालों से अपने खेतों में कभी भी यूरिया या उर्वरक का इस्तेमाल भी नहीं किया. अपने गोबर गैस प्लांट की वजह से किसान गोपाल सिंह को बिजली और रसोई गैस बिना पैसों के आसानी से उपलब्ध होती है. साथ ही उसकी 60 बीघा जमीन के लिए उत्तम गुणवत्ता वाली देसी खाद भी उपलब्ध हो जाती है. पढ़ें विस्तृत खबर....

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गोबर गैस प्लांट ने बदली किसान की तकदीर

भरतपुर। किसान के लिए कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं, जिनमें शामिल हैं खाद-उर्वरक और बिजली. भरतपुर जिले का एक किसान ऐसा है जिसे न तो बिजली के पैसे देने पड़ते हैं और न ही उसे खाद-उर्वरक के लिए खर्चा करना पड़ता है. और तो और इस किसान ने तो रसोई गैस का भी इंतजाम कर लिया है.

ये सब संभव हुआ किसान द्वारा गोबर गैस प्लांट लगाने से. हम बात कर रहे हैं भरतपुर जिले के बाबैन गांव के किसान गोपाल सिंह की. जिन्होंने अपने कुछ बेहतर प्रयासों से न केवल अपनी जिन्दगी आसान की बल्कि बाकि लोगों के लिए भी राह खेती की आसान कर दी.

गोबर गैस प्लांट ने बदली किसान की तकदीर

गोपाल सिंह ने बीते 6 सालों से अपने खेतों में कभी भी यूरिया या उर्वरक का इस्तेमाल भी नहीं किया. अपने गोबर गैस प्लांट की वजह से किसान गोपाल सिंह को बिजली और रसोई गैस बिना पैसों के आसानी से उपलब्ध होती है. साथ ही उसकी 60 बीघा जमीन के लिए उत्तम गुणवत्ता वाली खाद भी उपलब्ध हो जाती है.

ईटीवी भारत ने किसान गोपाल सिंह के गांव पहुंचकर गोबर गैस प्लांट से मिलने वाले लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: विदेशी पावणे संवार रहे ऐतिहासिक धरोहर, चमकने लगी मंडावा की हवेलियां

कभी बिजली कनेक्शन के लिए काटते थे चक्कर....

किसान गोपाल सिंह ने बताया कि करीब 7-8 साल पहले वह अपने नाती-पोतों की पढ़ाई के लिए बिजली की समस्या से जूझ रहा था. बिजली विभाग की ओर से बिजली कनेक्शन देने के बजाय उसे चक्कर पर चक्कर लगवाए जा रहे थे. तभी सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक शर्मा से उनका मिलना हुआ.

डॉक्टर अशोक शर्मा से मिले सुझाव और मार्गदर्शन के अनुसार गोपाल सिंह ने गोबर गैस प्लांट लगाया. शुरुआत में तो उन्हें भी उसके इतने फायदों के बारे में नहीं पता था, लेकिन अब स्थिति ये है कि यह प्लांट गोपाल सिंह की सभी जरूरतों को पूरा करने का सबसे उत्तम माध्यम बन गया है.

एक प्लांट से मिली कई सौगातें....

गोपाल सिंह ने बताया कि 10-10 घन मीटर के टैंक का गोबर गैस प्लांट लगाया है. इसके संचालन के लिए 20 गाय भी पाल रखी है जिनके गोबर से यह प्लांट चलता है. गोबर गैस प्लांट से तैयार होने वाली गैस से जहां रसोई के सभी कार्य होते हैं. वहीं इसके द्वारा बिजली भी उत्पन्न की जा रही है. इस बिजली से घर के कामों के अलावा आटा चक्की और पशुओं का चारा कूटने की मशीन भी चल जाती है.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: भीलवाड़ा का एकमात्र क्षय रोग निवारण अस्पताल खुद 'बीमार'

60 बीघा जमीन हो गई जैविक....

गोबर गैस प्लांट के कारण गोपाल सिंह के खेत की 60 बीघा जमीन भी काफी उपजाऊ हो गई है. अब उन्हें खेती के लिए किसी प्रकार का यूरिया या उर्वरक इस्तेमाल नहीं करना पड़ता. यही वजह है कि किसान की पूरी जमीन अब जैविक हो चुकी है, और इसमें पैदा हो रही फसल, फल और सब्जी भी जैविक है. किसान गोपाल सिंह ने बताया कि देसी खाद का ही कमाल है कि उनके बेर के पेड़ों पर सामान्य से करीब 4 गुना ज्यादा उत्पादन हो रहा है.

कृषि विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉक्टर योगेश शर्मा ने बताया कि अब भरतपुर व अन्य जिलों के काफी किसान यहां आकर प्रशिक्षण लेते हैं. वहीं सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक शर्मा ने बताया कि कई किसान इस गोबर गैस प्लांट को देखने के बाद अपने यहां प्लांट लगा चुके हैं. कृषि विभाग की ओर से भी समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है.

भरतपुर। किसान के लिए कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं, जिनमें शामिल हैं खाद-उर्वरक और बिजली. भरतपुर जिले का एक किसान ऐसा है जिसे न तो बिजली के पैसे देने पड़ते हैं और न ही उसे खाद-उर्वरक के लिए खर्चा करना पड़ता है. और तो और इस किसान ने तो रसोई गैस का भी इंतजाम कर लिया है.

ये सब संभव हुआ किसान द्वारा गोबर गैस प्लांट लगाने से. हम बात कर रहे हैं भरतपुर जिले के बाबैन गांव के किसान गोपाल सिंह की. जिन्होंने अपने कुछ बेहतर प्रयासों से न केवल अपनी जिन्दगी आसान की बल्कि बाकि लोगों के लिए भी राह खेती की आसान कर दी.

गोबर गैस प्लांट ने बदली किसान की तकदीर

गोपाल सिंह ने बीते 6 सालों से अपने खेतों में कभी भी यूरिया या उर्वरक का इस्तेमाल भी नहीं किया. अपने गोबर गैस प्लांट की वजह से किसान गोपाल सिंह को बिजली और रसोई गैस बिना पैसों के आसानी से उपलब्ध होती है. साथ ही उसकी 60 बीघा जमीन के लिए उत्तम गुणवत्ता वाली खाद भी उपलब्ध हो जाती है.

ईटीवी भारत ने किसान गोपाल सिंह के गांव पहुंचकर गोबर गैस प्लांट से मिलने वाले लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: विदेशी पावणे संवार रहे ऐतिहासिक धरोहर, चमकने लगी मंडावा की हवेलियां

कभी बिजली कनेक्शन के लिए काटते थे चक्कर....

किसान गोपाल सिंह ने बताया कि करीब 7-8 साल पहले वह अपने नाती-पोतों की पढ़ाई के लिए बिजली की समस्या से जूझ रहा था. बिजली विभाग की ओर से बिजली कनेक्शन देने के बजाय उसे चक्कर पर चक्कर लगवाए जा रहे थे. तभी सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक शर्मा से उनका मिलना हुआ.

डॉक्टर अशोक शर्मा से मिले सुझाव और मार्गदर्शन के अनुसार गोपाल सिंह ने गोबर गैस प्लांट लगाया. शुरुआत में तो उन्हें भी उसके इतने फायदों के बारे में नहीं पता था, लेकिन अब स्थिति ये है कि यह प्लांट गोपाल सिंह की सभी जरूरतों को पूरा करने का सबसे उत्तम माध्यम बन गया है.

एक प्लांट से मिली कई सौगातें....

गोपाल सिंह ने बताया कि 10-10 घन मीटर के टैंक का गोबर गैस प्लांट लगाया है. इसके संचालन के लिए 20 गाय भी पाल रखी है जिनके गोबर से यह प्लांट चलता है. गोबर गैस प्लांट से तैयार होने वाली गैस से जहां रसोई के सभी कार्य होते हैं. वहीं इसके द्वारा बिजली भी उत्पन्न की जा रही है. इस बिजली से घर के कामों के अलावा आटा चक्की और पशुओं का चारा कूटने की मशीन भी चल जाती है.

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60 बीघा जमीन हो गई जैविक....

गोबर गैस प्लांट के कारण गोपाल सिंह के खेत की 60 बीघा जमीन भी काफी उपजाऊ हो गई है. अब उन्हें खेती के लिए किसी प्रकार का यूरिया या उर्वरक इस्तेमाल नहीं करना पड़ता. यही वजह है कि किसान की पूरी जमीन अब जैविक हो चुकी है, और इसमें पैदा हो रही फसल, फल और सब्जी भी जैविक है. किसान गोपाल सिंह ने बताया कि देसी खाद का ही कमाल है कि उनके बेर के पेड़ों पर सामान्य से करीब 4 गुना ज्यादा उत्पादन हो रहा है.

कृषि विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉक्टर योगेश शर्मा ने बताया कि अब भरतपुर व अन्य जिलों के काफी किसान यहां आकर प्रशिक्षण लेते हैं. वहीं सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक शर्मा ने बताया कि कई किसान इस गोबर गैस प्लांट को देखने के बाद अपने यहां प्लांट लगा चुके हैं. कृषि विभाग की ओर से भी समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है.

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