भरतपुर. जिले के हलैना क्षेत्र के गांव हिसामड़ा की रहने वाली महादेवी ने अपने दोनों बेटों को बड़े लाड़-प्यार से पालपोस कर बड़ा किया. दोनों की वायु सेना में नौकरी भी लग गई. बड़े अरमान से मां ने दोनों की शादी कराई. दोनों बेटों की पत्नियां भी सरकारी नौकर में कार्यरत हैं, लेकिन महादेवी की बदकिस्मती ये कि दोनों बेटे मां की ममता को भूल गए हैं.
चारों बेटा-बहू सरकारी नौकर में होने के बावजूद अपनी मां को दो वक्त की रोटी तक नहीं दे रहे हैं. मजबूर मां 30 किलोमीटर पैदल सफर कर मंगलवार को संभागीय आयुक्त पीसी बेरवाल की जनसुनवाई में पहुंची और अपनी पीड़ा बताई.
संभागीय आयुक्त से महादेवी ने बताया कि रुपए नहीं होने की वजह से वह अपने गांव हिसामड़ा से 30 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके यहां पहुंची हैं. महादेवी ने बताया कि उसके दो बेटे हैं वायु सेना में कार्यरत हैं और दोनों की पत्नियां भी सरकारी कर्मचारी हैं.
पिता की मौत के बाद मां को भूले बेटे
महादेवी के पति धर्म सिंह की करीब डेढ़ साल पहले मौत हो गई थी. आंखों में आंसू लिए महादेवी ने बताया कि पिता धर्म सिंह ने मरने से पहले अपने बेटों से लिखित में आश्वासन लिया था कि वह अपनी मां की देखभाल करेंगे और हर महीने उसके भरण-पोषण के लिए 6-6 हजार रुपए देंगे. लेकिन पिता की मौत के बाद से ही बेटा और बहू ने मां को भुला दिया. अब हालात ये हैं कि महादेवी को एक एक दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है.
पीड़िता महादेवी ने बताया कि जब बेटा और बहू ने दो वक्त की रोटी देने से मना कर दिया तो वद गांव में ही रह रही हैं. महादेवी की बहन ने उन्हें सहारा दिया. अब महादेवी अपनी बहन के घर रहकर गुजर बसर कर रही है. पीड़िता महादेवी की बात सुनकर संभागीय आयुक्त पीसी बेरवाल ने संबंधित एसडीएम को 15 दिन में पीड़िता के दोनों बेटों को पाबंद कर भरण पोषण की व्यवस्था कराने के निर्देश दिए.