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मजदूरों के क्वार्टर तुड़वाने और स्कूल की जमीन खाली कराने के विरोध में संघर्ष समिति ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

भरतपुर में सिमको फैक्ट्री के प्रबंधक द्वारा श्रमिकों के क्वार्टर को तुड़वाया जा रहा है और स्कूल की जमीन को भी खाली करवाया जा रहा है. ऐसे में इसके विरोध में शुक्रवार को संघर्ष समिति द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. इस दौरान समिति सदस्यों ने कलेक्टर से यह कार्रवाई रुकवाने और पूरे मामले की जांच करवाने की मांग की है.

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Published : Jul 31, 2020, 8:16 PM IST

सिमको फैक्ट्री प्रबंधन की मनमानी, Simco factory management arbitrary
संघर्ष समिति ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

भरतपुर. शहर की सिमको फैक्ट्री के प्रबंधक द्वारा श्रमिकों के क्वार्टर तुड़वाने और स्कूल की जमीन खाली करवाने के विरोध में शुक्रवार को संघर्ष समिति द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का आरोप है कि गलत तरीके से श्रमिकों के क्वार्टर तुड़वाकर और स्कूल की जमीन खाली करवाकर फैक्ट्री प्रबंधन इसे बेचकर भागना चाहती है. समिति सदस्यों ने जिला कलेक्टर से यह कार्रवाई रुकवाने और पूरे मामले की जांच करवाने की मांग की है.

संघर्ष समिति ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

समिति पदाधिकारी गिरधारी तिवारी ने बताया कि ठेके पर चल रही सिमको फैक्ट्री के श्रमिकों के क्वार्टरों को तोड़कर और स्कूल की जमीन को खाली करवाकर बड़े षड्यंत्र के तहत फैक्ट्री प्रबंधन इस जमीन को भू- माफियाओं को बेचना चाहता है. मजदूरों का उत्पीड़न हो रहा है. उनमें क्वार्टर के पानी, बिजली के कनेक्शन काटकर क्वार्टरों को तोड़ा जा रहा है.

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ज्ञापन में फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा की जा रही कार्रवाई को रुकवाने की मांग करते हुए सिमको संघर्ष समिति ने जिला कलेक्टर नथमल डिडेल को ज्ञापन सौंपा है. समिति के पदाधिकारी इंद्रजीत भारद्वाज ने बताया कि यदि फैक्ट्री प्रबंधन की फैक्ट्री चलाने की मंशा है, तो क्वार्टरों को क्यों तोड़ा जा रहा है, स्कूल की जमीन को क्यों खाली कराया जा रहा है.

फैक्ट्री द्वारा श्रमिकों के क्वार्टरों को तुड़वाने और स्कूल की जमीन को खाली करवाने से साफ पता चलता है कि फैक्ट्री प्रबंधन इस जमीन को भू-माफियाओं को बेचना चाहता है. इस जमीन को बेचकर कंपनी भागना चाहती है.

यह है विवाद

असल में भरतपुर में स्थापित की गई सिमको फैक्ट्री में ट्रेन के डिब्बों का निर्माण किया जाता था, लेकिन वर्ष 2000 में इस में काम बंद कर दिया गया, जिसके बाद वर्ष 2008 में सिमको फैक्ट्री को फिर से शुरू किया गया था. वर्ष 2008 में सिमको फैक्ट्री शुरू करते समय सरकार और श्रमिक यूनियन के नेताओं के बीच समझौता हुआ था, जिसमें श्रमिकों को बकाया वेतन, ग्रेच्युटी और फंड का भुगतान किया जाना था, लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन की तरफ से श्रमिकों को कोई भुगतान नहीं किया गया.

पढ़ेंः जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट किए जाएंगे कांग्रेस विधायक, सूर्यागढ़ होटल में हो सकती है बाड़ेबंदी

लंबे समय से श्रमिक अपने बकाया हिसाब करने की मांग को लेकर यहां के क्वार्टरों में रह रहे हैं. अब सिमको फैक्ट्री प्रबंधन यहां रह रहे श्रमिकों के क्वार्टरों को तोड़कर भूमि को कब्जे में लेना चाहता है, जिसका सिमको लेबर कॉलोनी में रह रहे श्रमिक विरोध कर रहे हैं. साथ ही संघर्ष समिति भी इस पूरे मामले की जांच कराने के लिए जिला कलेक्टर से मांग कर रही है.

भरतपुर. शहर की सिमको फैक्ट्री के प्रबंधक द्वारा श्रमिकों के क्वार्टर तुड़वाने और स्कूल की जमीन खाली करवाने के विरोध में शुक्रवार को संघर्ष समिति द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का आरोप है कि गलत तरीके से श्रमिकों के क्वार्टर तुड़वाकर और स्कूल की जमीन खाली करवाकर फैक्ट्री प्रबंधन इसे बेचकर भागना चाहती है. समिति सदस्यों ने जिला कलेक्टर से यह कार्रवाई रुकवाने और पूरे मामले की जांच करवाने की मांग की है.

संघर्ष समिति ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

समिति पदाधिकारी गिरधारी तिवारी ने बताया कि ठेके पर चल रही सिमको फैक्ट्री के श्रमिकों के क्वार्टरों को तोड़कर और स्कूल की जमीन को खाली करवाकर बड़े षड्यंत्र के तहत फैक्ट्री प्रबंधन इस जमीन को भू- माफियाओं को बेचना चाहता है. मजदूरों का उत्पीड़न हो रहा है. उनमें क्वार्टर के पानी, बिजली के कनेक्शन काटकर क्वार्टरों को तोड़ा जा रहा है.

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ज्ञापन में फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा की जा रही कार्रवाई को रुकवाने की मांग करते हुए सिमको संघर्ष समिति ने जिला कलेक्टर नथमल डिडेल को ज्ञापन सौंपा है. समिति के पदाधिकारी इंद्रजीत भारद्वाज ने बताया कि यदि फैक्ट्री प्रबंधन की फैक्ट्री चलाने की मंशा है, तो क्वार्टरों को क्यों तोड़ा जा रहा है, स्कूल की जमीन को क्यों खाली कराया जा रहा है.

फैक्ट्री द्वारा श्रमिकों के क्वार्टरों को तुड़वाने और स्कूल की जमीन को खाली करवाने से साफ पता चलता है कि फैक्ट्री प्रबंधन इस जमीन को भू-माफियाओं को बेचना चाहता है. इस जमीन को बेचकर कंपनी भागना चाहती है.

यह है विवाद

असल में भरतपुर में स्थापित की गई सिमको फैक्ट्री में ट्रेन के डिब्बों का निर्माण किया जाता था, लेकिन वर्ष 2000 में इस में काम बंद कर दिया गया, जिसके बाद वर्ष 2008 में सिमको फैक्ट्री को फिर से शुरू किया गया था. वर्ष 2008 में सिमको फैक्ट्री शुरू करते समय सरकार और श्रमिक यूनियन के नेताओं के बीच समझौता हुआ था, जिसमें श्रमिकों को बकाया वेतन, ग्रेच्युटी और फंड का भुगतान किया जाना था, लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन की तरफ से श्रमिकों को कोई भुगतान नहीं किया गया.

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लंबे समय से श्रमिक अपने बकाया हिसाब करने की मांग को लेकर यहां के क्वार्टरों में रह रहे हैं. अब सिमको फैक्ट्री प्रबंधन यहां रह रहे श्रमिकों के क्वार्टरों को तोड़कर भूमि को कब्जे में लेना चाहता है, जिसका सिमको लेबर कॉलोनी में रह रहे श्रमिक विरोध कर रहे हैं. साथ ही संघर्ष समिति भी इस पूरे मामले की जांच कराने के लिए जिला कलेक्टर से मांग कर रही है.

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