भरतपुर. जिले के मिनी सचिवालय पर मंगलवार को दिव्यांगजनों ने सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार का अलग ठंग से विरोध किया. दिव्यांगजनों ने अपनी मांगों के लिए जिला कैलक्ट्रेट के बाहर भीख मांग कर सरकार का विरोध किया.
इसके बाद दिव्यांगजन जब जिला कैलक्ट्रेट अपनी मांगों का ज्ञापन देने जा रहे थे, तभी जिला कलेक्टर अपने कार्यालय में जाते समय दिव्यांगजनों को देख रुके और सभी दिव्यांगजनो की समस्याएं सुनी. इस दौरान उन्होंने उनकी मांगों को राज्य सरकार तक पहुंचाने का आश्वाशन दिया.
दिव्यंगजनों की मांग है कि राज्य सरकार ने पिछले वित्तीय बजट में दिव्यंगजनों की पेंशन 1 हजार करने की घोषणा की थी, लेकिन वह घोषणा अभी तक पूरी नहीं की गई. विधायक और सांसद कोटे से दिव्यांगजनों को स्कूटी दी जाती है, उसमें से शिक्षा की बाध्यता हटाई जाए और रोजगार करने वाले दिव्यांगजनों को भी निःशुल्क स्कूटी दी जाए.
इसके अलावा सरकारी बसों में दिव्यांगजनों के लिए गेट पर ही सीट की व्यवस्था होनी चाहिए. दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 जमीनी स्तर पर लागू किया जाए. कोटा और अजमेर की तरह भरतपुर विधायक के कोटे से सभी दिव्यांगजनों को स्कूटी मिलनी चाहिए. दिव्यंगजनों और निशक्तजनों का प्रतियोगी परीक्षा फॉर्म निःशुल्क भरना चाहिए. दिव्यांगजनों के रेलवे पास जिला स्तर पर बनाए जाए. दिव्यंगजनों और निशक्तजनों को सरकारी और निजी कार्यालयों में 4 प्रतिशत आरक्षण पर नियुक्ति दी जाए.
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दिव्यंगजनों की मांग सुनने के बाद जिला कलेक्टर ने कहा कि आज दिव्यंगजन सेवा समिति की तरफ से सभी दिव्यंगजन आए है. उनकी मांग सुनने के बाद जिला लेबल की समस्याएं अगले दो या तीन दिन समाधान किया जाएगा. जो राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय मांग है, उन मांगो के लिए दिव्यांगजनों का ज्ञापन मुख्यमंत्री तक भेजा जाएगा.