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मानसून के साथ ही 'घना' में बढ़ने लगी पक्षियों की संख्या...अब पर्यटकों का इंतजार

मानसूनी बरसात की दस्तक के साथ ही केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की संख्या भी बढ़ने लगी है. अब घना में ओपन बिल स्टार्क का आना शरू हो गया है. इसे मानसूनी दूत भी कहा जाता है. वहीं, अब घना प्रशासन को पर्यटकों का इंतजार है.

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मानसून के साथ ही घना में बढ़ने लगी पक्षियों की संख्या
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Published : Jul 9, 2020, 3:57 PM IST

भरतपुर. मानसूनी बरसात की दस्तक के साथ ही केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की संख्या भी बढ़ने लगी है. हालांकि, अभी बरसात बहुत कम हुई है, लेकिन बरसात बढ़ने के साथ ही पक्षियां भी अधिक संख्या में आने लगेंगी. ओपन बिल स्टार्क का आना शरू हो गया. इसे मानसूनी दूत भी कहा जाता है. इसके साथ अन्य पक्षियों का आना भी शुरू हो गया है. इन पक्षियों ने घना में नेस्टिंग शुरू कर दी है. वहीं, अब घना प्रशासन को पर्यटकों का इंतजार है.

मानसून के साथ ही घना में बढ़ने लगी पक्षियों की संख्या

सहायक वन संरक्षक (वन्यजीव) अभिषेक शर्मा ने बताया कि मानसून में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मानसूनी पक्षियों की आवक बढ़ गई है. मानसून दूत कहे जाने वाले ओपन बिल स्टार्क के साथ ही ग्रेट फेलो कुक्कू, इंडियन पित्ता और अन्य मानसूनी पक्षी भी पहुंचने लगे हैं. सभी पक्षी अलग-अलग ब्लॉक में रुके हैं. साथ ही सभी ने नेस्टिंग शुरू कर दी है. अगर इस बार मानसूनी बरसात अच्छी रही तो घना में पक्षियों की संख्या भी काफी अच्छी रहेगी.

सहायक वन संरक्षक (वन्यजीव) अभिषेक शर्मा ने बताया कि घना के डी ब्लॉक में करीब 300 से अधिक ओपन बिल स्टार्क ने डेरा डाला है. यह पक्षी देश में मानसून से पहले उड़ान भरना शुरू कर देता है. मानसून के आगे-आगे उड़ान भरने की वजह से ही इसे मानसूनी दूत कहा जाता है. मानसून से आगे चलकर यह दूसरे स्थान पर जाकर ब्रीडिंग करता है. घना में ये पक्षी बरसात के मौसम में नेस्टिंग और ब्रीडिंग करते हैं. जसके बाद बच्चे बड़े होने पर नवंबर माह में घना से चले जाते हैं.

यह भी पढ़ें- महाराणा प्रताप के तथ्यों से छेड़छाड़ मामले में CM गहलोत की सफाई, कहा- वे सभी के प्रेरणास्त्रोत

वहीं, घना में पक्षियों के भोजन और मछलियों को बचाने के लिए घना प्रशासन ने चंबल लिफ्ट परियोजना से दो बार करीब 1 एमसीएफटी पानी कैनाल में लिया है. हालांकि मानसूनी मौसम शुरू हो गया है और बरसात भी शुरू हो गई है. फिलहाल घने में पानी की मात्रा कम है. यदि बरसात कम हुई तो कुछ ब्लॉकों में पानी की कमी रह सकती है, जिसका प्रभाव पक्षियों के प्रवास पर पड़ सकता है.

घना में जहां पक्षियों की आवक शुरू हो गई है. वहीं पर्यटकों के आने का इंतजार है. लॉकडाउन के बाद घना को पर्यटकों के लिए 10 जून को खोल दिया गया था, लेकिन पर्यटकों की संख्या बहुत कम देखने को मिल रही है. 10 जून से अब तक घना में सिर्फ 143 पर्यटक ही पहुंचे हैं.

भरतपुर. मानसूनी बरसात की दस्तक के साथ ही केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की संख्या भी बढ़ने लगी है. हालांकि, अभी बरसात बहुत कम हुई है, लेकिन बरसात बढ़ने के साथ ही पक्षियां भी अधिक संख्या में आने लगेंगी. ओपन बिल स्टार्क का आना शरू हो गया. इसे मानसूनी दूत भी कहा जाता है. इसके साथ अन्य पक्षियों का आना भी शुरू हो गया है. इन पक्षियों ने घना में नेस्टिंग शुरू कर दी है. वहीं, अब घना प्रशासन को पर्यटकों का इंतजार है.

मानसून के साथ ही घना में बढ़ने लगी पक्षियों की संख्या

सहायक वन संरक्षक (वन्यजीव) अभिषेक शर्मा ने बताया कि मानसून में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मानसूनी पक्षियों की आवक बढ़ गई है. मानसून दूत कहे जाने वाले ओपन बिल स्टार्क के साथ ही ग्रेट फेलो कुक्कू, इंडियन पित्ता और अन्य मानसूनी पक्षी भी पहुंचने लगे हैं. सभी पक्षी अलग-अलग ब्लॉक में रुके हैं. साथ ही सभी ने नेस्टिंग शुरू कर दी है. अगर इस बार मानसूनी बरसात अच्छी रही तो घना में पक्षियों की संख्या भी काफी अच्छी रहेगी.

सहायक वन संरक्षक (वन्यजीव) अभिषेक शर्मा ने बताया कि घना के डी ब्लॉक में करीब 300 से अधिक ओपन बिल स्टार्क ने डेरा डाला है. यह पक्षी देश में मानसून से पहले उड़ान भरना शुरू कर देता है. मानसून के आगे-आगे उड़ान भरने की वजह से ही इसे मानसूनी दूत कहा जाता है. मानसून से आगे चलकर यह दूसरे स्थान पर जाकर ब्रीडिंग करता है. घना में ये पक्षी बरसात के मौसम में नेस्टिंग और ब्रीडिंग करते हैं. जसके बाद बच्चे बड़े होने पर नवंबर माह में घना से चले जाते हैं.

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वहीं, घना में पक्षियों के भोजन और मछलियों को बचाने के लिए घना प्रशासन ने चंबल लिफ्ट परियोजना से दो बार करीब 1 एमसीएफटी पानी कैनाल में लिया है. हालांकि मानसूनी मौसम शुरू हो गया है और बरसात भी शुरू हो गई है. फिलहाल घने में पानी की मात्रा कम है. यदि बरसात कम हुई तो कुछ ब्लॉकों में पानी की कमी रह सकती है, जिसका प्रभाव पक्षियों के प्रवास पर पड़ सकता है.

घना में जहां पक्षियों की आवक शुरू हो गई है. वहीं पर्यटकों के आने का इंतजार है. लॉकडाउन के बाद घना को पर्यटकों के लिए 10 जून को खोल दिया गया था, लेकिन पर्यटकों की संख्या बहुत कम देखने को मिल रही है. 10 जून से अब तक घना में सिर्फ 143 पर्यटक ही पहुंचे हैं.

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