भरतपुर. जिले में पत्थरों की खदानों में काम करने वाले मजदूरों पर सिलिकोसिस का कहर बरपा रहा है. हर साल यहां सैकड़ों मजदूर इस बीमारी के चलते जान गंवा रहे हैं. खदानों में मजदूरों को ना तो मास्क मिल रहे हैं और ना ही वेट ड्रिलिंग (गीली छिद्रण प्रणाली) की जा रही है, जिसकी वजह से खदानों में खनन के दौरान उड़ने वाली धूल मजदूरों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. भरतपुर में सिलिकोसिस कितना भयावह बना हुआ है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिले में अब तक 432 खान मजदूर सिलिकोसिस की वजह से मौत के मुंह में समा चुके हैं.
3 महीने में बीमारी से 53 लोगों की मौत
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अविरल कुमार ने बताया कि जिले में सिलिकोसिस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बीते 3 महीने की बात करें तो सिलिकोसिस से 53 लोगों की मौत हो चुकी है. डॉ. अविरल कुमार ने बताया कि जिले के सिलिकोसिस मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए जिला क्षय रोग अस्पताल में हर गुरुवार को स्क्रीनिंग की जाती है और समय-समय पर अलग-अलग क्षेत्र में जाकर के शिविर भी लगाए जाते हैं.
2734 मरीज, 432 की मौत
भरतपुर के खान श्रमिकों के लिए सिलिकोसिस खतरनाक साबित हो रहा है. चिकित्सा विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिले में अब तक कुल 2734 लोग सिलिकोसिस की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से अब तक कुल 432 लोग जान गंवा चुके हैं. आंकड़ों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में सिलिकोसिस बहुत ही भयावह बना हुआ है.
बिना संसाधनों के खनन करते हैं श्रमिक
सिलिकोसिस से पीड़ित हरि सिंह ने बताया कि उन्होंने करीब 35 साल तक खदानों में मजदूर के रूप में काम किया और उसी के चलते वह सिलिकोसिस की चपेट में आ गए. बीते करीब 9-10 साल से वो इस बीमारी से जूझ रहे हैं और इसका उपचार ले रहे हैं. अभी तक सरकार की ओर से उन्हें कोई आर्थिक सहायता भी नहीं मिली है. मरीज हरि सिंह ने बताया कि जिस समय वह खदानों में काम करते थे तो ठेकेदार की ओर से उनके लिए ना तो कोई मास्क उपलब्ध कराया जाता था और ना ही वेट ड्रिलिंग कराई जाती थी.
क्या है सिलिकोसिस बीमारी ?
डॉ. अविरल कुमार बताते हैं कि खदानों में काम करने के दौरान खान श्रमिकों के फेफड़ों में श्वसन नली के माध्यम से धूल और मिट्टी पहुंचते रहते हैं. धीरे-धीरे धूल मिट्टी के कणों की वजह से फेफड़ों के खुलने और सिकुड़ने की क्षमता कम होती जाती है और आखिर में व्यक्ति सिलिकोसिस की चपेट में आ जाता है.
खनन के दौरान रखें ये सावधानी
डॉ. अविरल कुमार ने बताया कि खनन के दौरान श्रमिकों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि, इसके लिए सरकार ने गाइडलाइन भी बना रखी है, लेकिन फिर भी खनन के दौरान श्रमिकों को मास्क या फिर कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे सांस के माध्यम से धूल और मिट्टी शरीर में प्रवेश नहीं करेगी. साथ ही ड्रिलिंग के दौरान पानी का इस्तेमाल यानी वेट ड्रिलिंग करें, ताकि धूल मिट्टी हवा में ना उड़े.
बता दें, खदानों में बिना सुरक्षा संसाधनों के काम करने वाले श्रमिक अक्सर सिलिकोसिस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. यह बीमारी लाइलाज है, यही वजह है कि इस बीमारी से ग्रसित मरीज और मृतक के परिजनों के लिए सरकार ने मुआवजे का प्रावधान भी किया है.