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Special : 150 साल पहले जमीन में दबी मिली थी मूर्ति, आज आस्था का केंद्र है प्राचीन मनसा देवी मंदिर

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Published : Sep 27, 2022, 6:18 AM IST

Bharatpur Navratri Special, एक ऐसा मंदिर जो पूरे भरतपुरवासियों के लिए आस्था का केंद्र है. रियासतकालीन इस मंदिर में हर दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है. जानिए इस मंदिर की विशेषता, जहां बीते करीब 50 साल से अखंड दीपक प्रज्वलित है.

Mansa Devi Mandir Bharatpur
आस्था का केंद्र है प्राचीन मनसा देवी मंदिर

भरतपुर. लोहागढ़ दुर्ग के चारों तरफ बहती सुजान गंगा नहर के किनारे पर स्थित मनसा देवी मंदिर के प्रति भरतपुर के लोगों की अगाध आस्था है. रियासतकालीन इस मंदिर में जहां हर दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है, वहीं नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. करीब 150 वर्ष पुराने मंदिर में बीते करीब 50 साल से अखंड दीपक प्रज्वलित है. मंदिर में स्थापित मनसा देवी मां की मूर्ति और इसका प्रताप जनमानस में विख्यात है.

ऐसे मिली प्राचीन मूर्ति : मनसा देवी मंदिर के पुजारी भगवान दास शर्मा ने बताया कि करीब 150 वर्ष पूर्व किले के बाहर के इस क्षेत्र में जंगल था. उस समय पुजारी भगवानदास के पिता जगन्नाथ शर्मा इस क्षेत्र में भजन ध्यान किया करते थे. यहां एक बरगद के पेड़ के नीचे (150 Year old Temple of Bharatpur) जमीन में एक मूर्ति दबी हुई थी. इसी दौरान जगन्नाथ शर्मा की नजर मूर्ति पर पड़ी और उसे बाहर निकलवाया.

आस्था का केंद्र है प्राचीन मनसा देवी मंदिर

जब मूर्ति को बाहर निकलवाया तो देखा कि वो मनसा देवी मां की प्राचीन मूर्ति थी. पुजारी भगवान दास के पिता जगन्नाथ शर्मा ने मनसा देवी मां की मूर्ति को चबूतरा बनवाकर स्थापित कराया और पूजा पाठ शुरू किया. उसके बाद धीरे-धीरे माता के मंदिर का निर्माण और विस्तार होता गया. पुजारी भगवान दास ने बताया कि मूर्ति की असली समय अवधि की जानकारी किसी को नहीं है, लेकिन बीते करीब 150 वर्ष से भी अधिक समय से पूजा की जा रही है.

पढ़ें : Shardiya Navratri 2022: हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए सच्चाई

रियासतकाल में बढ़ी आस्था : बताया जाता है कि रियासतकाल में सुजान गंगा किनारे स्थित (History of Bhartpur Mansa Devi Mandir) इस मंदिर में शहरवासियों के अलावा यदा कदा राजपरिवार के लोग भी दर्शन के लिए आते थे. धीरे-धीरे मंदिर की महत्ता बढ़ती गई और श्रृद्धालुओं की संख्या भी बढ़ती गई.

पढ़ें : Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि में क्यों होती है कलश स्थापना! क्या है इसके पूजन का महत्व? जानिए सब कुछ

50 साल से अखंड दीपक : पुजारी भगवान दास शर्मा ने बताया कि मंदिर में बीते करीब 50 साल से घी का अखंड दीपक प्रज्वलित है. इस दीपक को कभी भी बुझने नहीं दिया. वहीं, मंदिर में मनसा देवी मां के साथ ही कैला माता जी की मूर्ति भी विराजमान है. पुजारी भगवान दास ने बताया कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माता मनसा देवी के दरबार में आकर मन्नत मांगता है, माता उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. हर बार की तरह इस बार भी (Shardiya Navratri 2022) नवरात्र में मंदिर में घटस्थापना की जाएगी. पूरे नौ दिन मनसा देवी मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी और श्रद्धालुओं के लिए प्रसादी व्यवस्था रहेगी.

भरतपुर. लोहागढ़ दुर्ग के चारों तरफ बहती सुजान गंगा नहर के किनारे पर स्थित मनसा देवी मंदिर के प्रति भरतपुर के लोगों की अगाध आस्था है. रियासतकालीन इस मंदिर में जहां हर दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है, वहीं नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. करीब 150 वर्ष पुराने मंदिर में बीते करीब 50 साल से अखंड दीपक प्रज्वलित है. मंदिर में स्थापित मनसा देवी मां की मूर्ति और इसका प्रताप जनमानस में विख्यात है.

ऐसे मिली प्राचीन मूर्ति : मनसा देवी मंदिर के पुजारी भगवान दास शर्मा ने बताया कि करीब 150 वर्ष पूर्व किले के बाहर के इस क्षेत्र में जंगल था. उस समय पुजारी भगवानदास के पिता जगन्नाथ शर्मा इस क्षेत्र में भजन ध्यान किया करते थे. यहां एक बरगद के पेड़ के नीचे (150 Year old Temple of Bharatpur) जमीन में एक मूर्ति दबी हुई थी. इसी दौरान जगन्नाथ शर्मा की नजर मूर्ति पर पड़ी और उसे बाहर निकलवाया.

आस्था का केंद्र है प्राचीन मनसा देवी मंदिर

जब मूर्ति को बाहर निकलवाया तो देखा कि वो मनसा देवी मां की प्राचीन मूर्ति थी. पुजारी भगवान दास के पिता जगन्नाथ शर्मा ने मनसा देवी मां की मूर्ति को चबूतरा बनवाकर स्थापित कराया और पूजा पाठ शुरू किया. उसके बाद धीरे-धीरे माता के मंदिर का निर्माण और विस्तार होता गया. पुजारी भगवान दास ने बताया कि मूर्ति की असली समय अवधि की जानकारी किसी को नहीं है, लेकिन बीते करीब 150 वर्ष से भी अधिक समय से पूजा की जा रही है.

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रियासतकाल में बढ़ी आस्था : बताया जाता है कि रियासतकाल में सुजान गंगा किनारे स्थित (History of Bhartpur Mansa Devi Mandir) इस मंदिर में शहरवासियों के अलावा यदा कदा राजपरिवार के लोग भी दर्शन के लिए आते थे. धीरे-धीरे मंदिर की महत्ता बढ़ती गई और श्रृद्धालुओं की संख्या भी बढ़ती गई.

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50 साल से अखंड दीपक : पुजारी भगवान दास शर्मा ने बताया कि मंदिर में बीते करीब 50 साल से घी का अखंड दीपक प्रज्वलित है. इस दीपक को कभी भी बुझने नहीं दिया. वहीं, मंदिर में मनसा देवी मां के साथ ही कैला माता जी की मूर्ति भी विराजमान है. पुजारी भगवान दास ने बताया कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माता मनसा देवी के दरबार में आकर मन्नत मांगता है, माता उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. हर बार की तरह इस बार भी (Shardiya Navratri 2022) नवरात्र में मंदिर में घटस्थापना की जाएगी. पूरे नौ दिन मनसा देवी मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी और श्रद्धालुओं के लिए प्रसादी व्यवस्था रहेगी.

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