भरतपुर. पश्चिमी राजस्थान के 6 जिलों में सैकड़ों गायों को शिकार (Lumpy Virus in Western Rajasthan) बना चुका लंपी वायरस भरतपुर जिले में 9 माह पहले ही दस्तक दे चुका था. गत वर्ष भरतपुर जिले की दुकानों में लंबी वायरस की पुष्टि हुई थी, जबकि इस बार अब तक तीन गायों में इससे मिलते-जुलते लक्षण पाए गए हैं, जिसके बाद पशुपालन विभाग इन पशुओं के सैंपल लेकर जांच के लिए हिसार भेजेगा. वहीं, जिले में पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए विभाग की टीम पशुओं का सर्वे और जांच कर रही हैं.
दो पशुओं में हुई थी पुष्टि : पशुपालन विभाग की प्रयोगशाला प्रभारी डॉ. रामकिशन महावर ने बताया कि दिसंबर 2021 में जिले के अलग-अलग (Lumpy Skin Disease in Bharatpur) क्षेत्रों से लंपी वायरस से मिलते-जुलते लक्षण मिलने पर करीब 10 पशुओं के सैंपल लिए गए थे. ये सभी सैंपल जांच के लिए हिसार प्रयोगशाला भेजे थे, जिनमें से 2 सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जिले के कूम्हा गांव की दो पालतू गायों में इसकी पुष्टि हुई थी.
अब तीन के सैंपल लिए : डॉ. रामकिशन महावर ने बताया कि बीते 2 दिन के दौरान जिले के दो अलग-अलग क्षेत्रों में 3 गायों में लंपी वायरस से मिलते-जुलते लक्षण पाए गए हैं. इनमें इकरान गौशाला, अपना घर में बाहर से आई घायल गायों में और एक छोंकरवाडा क्षेत्र की पालतू गाय में लक्षण दिखे हैं. इनके सैंपल ले लिए गए हैं और जांच के लिए हिसार प्रयोगशाला भेजे जाएंगे.
सर्वे और जांच जारी : विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. गजेंद्र सिंह चाहर ने बताया कि जिले में पशुओं को लंपी वायरस से बचाने के लिए (Gehlot Government Action Plan for Lumpy Virus) विभाग की टीमें लगातार सर्वे कर रही हैं. बीते दिनों गौशालाओं और पशु हाट का सर्वे किया गया था, जिनमें किसी पशु में लंपी वायरस के लक्षण नहीं पाए गए. जिन पशुओं में लंपी वायरस के समान लक्षण पाए गए हैं, उनके सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवाए जा रहे हैं.
डॉ. गजेंद्र चाहर ने बताया कि लंपी वायरस के उपचार के लिए अलग से कोई वैक्सीन तो नहीं आई है. लेकिन एंटीबायोटिक और वायरल इन्फेक्शन से संबंधित दवाइयों से पशुओं का उपचार किया जा रहा है. साथ ही पशुपालकों को भी जागरूक किया जा रहा है कि यदि उनके पालतू पशुओं में गांठ, धब्बे, बुखार या किसी अन्य प्रकार के लक्षण नजर आए तो वह तुरंत अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय को सूचित करें.
मच्छर और गंदगी से फैलता है : संयुक्त निदेशक डॉक्टर गजेंद्र चाहर ने बताया कि यह बीमारी एक पशु से दूसरे पशु में मच्छरों के द्वारा भी फैलती है. इसलिए पशुपालक अपने मवेशियों के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और मच्छरों को ना पनपने दें. गौरतलब है कि भरतपुर जिले में 2 लाख गाय और करीब 7 लाख 50 हजार भैंस पशुधन हैं. हालांकि, यह बीमारी गायों को सबसे ज्यादा अपनी चपेट में लेती है, लेकिन भैंसों में भी यह बीमारी फैलने की आशंका रहती है.