भरतपुर. एक वक्त था कि हम लोग दूरदराज रहने वाले अपने रिश्तेदारों, परिचितों और मित्रों को पत्र लिखकर कुशल क्षेम पूछा करते थे, लेकिन क्या आपने कभी सुना या सोचा है कि भगवान को भी पत्र लिखा जा सकता है. नहीं ना, लेकिन भरतपुर में एक ऐसा आश्रम है, जहां की जरूरतों की सूचना पहुंचाने के लिए हर दिन ठाकुर जी को पत्र लिखा जाता है. इतना ही नहीं, ठाकुर जी के नाम लिखी गई चिट्ठी कभी खाली नहीं जाती.
ठाकुर जी चिट्ठी में लिखी हुई हर जरूरतों को पूरा करते हैं. जी हां, भरतपुर शहर से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित अपना घर आश्रम में निवासरत प्रभुजनों की जरूरतें पूरी करने के लिए हर दिन ठाकुर जी को चिट्ठी लिखी जाती है. आश्रम में निवासरत 3000 से अधिक असहाय, निराश्रित और लावारिस प्रभुजनों की देखभाल पर करीब 3 लाख रुपए का खर्चा आता है और ये जरूरतें पूरी करते हैं 'ठाकुर जी'.
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आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि अपना घर में रहने वाले प्रभुजनों की देखभाल और सेवा जनसहयोग से की जाती है. अपना घर आश्रम में जब कभी भी किसी वस्तु या सामग्री की आवश्यकता होती है तो इसके लिए ठाकुर जी के नाम चिट्ठी लिखी जाती है. अपना घर की दीवार पर एक बड़ा बोर्ड लगा रखा है और जिसमें जरूरत की सामग्री को अंकित कर दिया जाता है. इसी को 'ठाकुर जी के नाम चिट्ठी' का नाम दिया गया है.
ऐसे होती है मदद...
डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि आश्रम की ओर से दीवार पर ठाकुर जी के नाम चिट्ठी लिखी जाती है. उसमें आवश्यक सामग्री का जिक्र किया जाता है. आश्रम में आने वाले भामाशाह व लोग यहां की जरूरतों को पढ़ते हैं और अपनी क्षमतानुसार सहयोग प्रदान करते हैं. तो समझते हैं कि सेवा में कमी रह गयी.
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डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि कई बार ऐसा होता है ठाकुर जी के नाम जरूरत के सामान की चिट्ठी लिखी जाती है और वह सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती या फिर देर से मिल पाती है. ऐसे में हम यही समझते हैं कि कहीं ना कहीं प्रभुजनों की सेवा में हमसे कोई कमी छूट गई है. इसीलिए ठाकुर जी ने वह सामग्री उपलब्ध नहीं कराई या फिर देर से उपलब्ध कराई है. ऐसे में हमारा प्रयास रहता है कि प्रभुजनों की सेवा पूरे मन और लगन से की जाए.
क्या-क्या लिखा जाता है चिट्ठी में...
डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि चिट्ठी में प्रभुजनों की सेवा व देखभाल से जुड़ी हर जरूरत के सामग्री लिखी जाती है. आश्रम की दीवार पर बनाई गई ठाकुर जी की चिट्ठी में एक टेबल तैयार की गई है. इसमें खाद्य सामग्री के साथ ही भवन की जरूरत, उपचार सामग्री, डॉक्टर की जरूरत समेत सभी के बारे में लिखा जाता है.
गौरतलब है कि बीते 20 वर्षों से अपना घर आश्रम बेसहारा लोगों के लिए सबसे बड़ा सहारा बना हुआ है. नेपाल समेत देशभर के कई राज्यों में अपना घर की 35 शाखाएं संचालित हैं, जिनमें वर्तमान में 6400 निराश्रित और बेसहारा लोग निवास कर रहे हैं. इतना ही नहीं अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज और माधुरी भारद्वाज के प्रयास और बेहतर देखभाल के चलते 20 साल में 22 हजार लोगों को स्वस्थ कर उनके परिजनों तक पहुंचाया जा चुका है.