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स्पेशल स्टोरी: पर्यटन सीजन में भी घना पक्षी विहार नहीं आ रहे सैलानी..ये है चौंकाने वाली वजह

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Published : Dec 22, 2019, 8:02 PM IST

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने के बाद देश के अलग अलग शहरों में प्रदर्शन और हिंसा का माहौल है. जिसका खामियाजा भरतपुर के घना पक्षी विहार को भी झेलना पड़ रहा है, कैसे देखिए भरतपुर से स्पेशल रिपोर्ट में..

ghana bird sanctuary, घना पक्षी विहार
पर्यटन सीजन में भी घना पक्षी विहार नहीं आ रहे सैलानी

भरतपुर. पक्षी अभयारण्य के नाम से जाना जाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की आवक कमजोर पड़ रही है. इसके पीछे का कारण नागरिकता संशोधन कानून के बाद हो रहे प्रदर्शन बताई जा रही है.

दरअसल, घना पक्षी विहार में हर साल सर्दी के सीजन में विदेशी पक्षी आते है, क्योंकि उनके देश मे ज्यादा सर्दी पड़ने कारण बर्फ से सभी झीलें, तालाब और नदियां जम जाती है. जिसकी वजह से उनको पर्याप्त मात्रा में खाना नहीं मिल पाता, उस स्थिति में पक्षी अपने बच्चों के साथ अपने देश को छोड़ कर घना पक्षी विहार आते है और यहां का दिसंबर-जनवरी के मौसम पक्षियों के लिए अनुकूल रहता है.

पर्यटन सीजन में भी घना पक्षी विहार नहीं आ रहे सैलानी

जिसकी वजह से विदेशी पक्षी लगभग दो महीने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में ही गुजारते है. इन पक्षियों को देखने के लिए यहां देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों से पर्यटक भी आते है, जो इन विदेशी पक्षियों का दीदार करते है, लेकिन इस साल घना पक्षी विहार में आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है. जिसकी वजह से उद्यान केवलादेव नेशनल पार्क प्रबंधन में चिंता बढ़ गई है.

पढ़ें- स्पेशल: प्रवासी पक्षियों के कलरव से गुलजार हुए जलाशय, खींचे चले आ रहे पर्यटक

इसके अलावा घना बर्ड सैंक्चुरी में आने वाले पर्यटकों की वजह से होटल व्यवसायी, रिक्शा चालक, गाइड सभी के रोजगार पर असर देखने को मिल रहा है. वहीं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के रेंजर की माने तो इन सब की वजह मानी जा रही है CAA ( नागरिकता संशोधन कानून ) क्योंकि जब से देश में ये देश में लागू हुआ है, तब से ही देश के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन हो रहा है और कहीं तो हिंसा तक हुई है. इस वजह से घना पक्षी विहार प्रबंधन का मानना है कि इसी हिंसा के चलते पर्यटक घूमने के लिए नहीं आ रहे. जिसका खामियाजा घना पक्षी विहार को भुगतना पड़ेगा.

पिछले साल के आंकड़ों पर एक नजर
पार्क प्रशासन के अनुसार विगत जनवरी महीने में 3196 और फरवरी में 4259 विदेशी पर्यटक यहां आए. इसके अलावा मार्च महीने में 1 मार्च को 1284, 2 मार्च को 44, 3 मार्च को 258, 4 मार्च को 114 और 5 मार्च को 115 विदेशी पर्यटक यहां घूमने आए थे.

पढ़ें- Special: विदेशी पक्षियों से चहचहाने लगा 'केवलादेव', सैलानियों की उमड़ने लगी भीड़

केवलादेव पक्षी उद्यान
केवलादेव पक्षी उद्यान को 1982 में राष्ट्रीय पक्षी उधान की सूची में सम्मलित कर लिया था, बाद में यूनेस्को ने 1985 में इसे विश्व विरासत की सूची में सम्मलित कर लिया था. लेकिन पानी की कमी के चलते पार्क को यूनेस्को ने इसे 2008 में डेंजर जोन में डाल दिया था, लेकिन उसके बाद पार्क में करौली के पांचना बांध से पानी मिलने और बरसात होने के बाद पानी की आवक अच्छी हुई. जिससे यह डेंजर जोन से बाहर निकला.

भरतपुर. पक्षी अभयारण्य के नाम से जाना जाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की आवक कमजोर पड़ रही है. इसके पीछे का कारण नागरिकता संशोधन कानून के बाद हो रहे प्रदर्शन बताई जा रही है.

दरअसल, घना पक्षी विहार में हर साल सर्दी के सीजन में विदेशी पक्षी आते है, क्योंकि उनके देश मे ज्यादा सर्दी पड़ने कारण बर्फ से सभी झीलें, तालाब और नदियां जम जाती है. जिसकी वजह से उनको पर्याप्त मात्रा में खाना नहीं मिल पाता, उस स्थिति में पक्षी अपने बच्चों के साथ अपने देश को छोड़ कर घना पक्षी विहार आते है और यहां का दिसंबर-जनवरी के मौसम पक्षियों के लिए अनुकूल रहता है.

पर्यटन सीजन में भी घना पक्षी विहार नहीं आ रहे सैलानी

जिसकी वजह से विदेशी पक्षी लगभग दो महीने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में ही गुजारते है. इन पक्षियों को देखने के लिए यहां देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों से पर्यटक भी आते है, जो इन विदेशी पक्षियों का दीदार करते है, लेकिन इस साल घना पक्षी विहार में आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है. जिसकी वजह से उद्यान केवलादेव नेशनल पार्क प्रबंधन में चिंता बढ़ गई है.

पढ़ें- स्पेशल: प्रवासी पक्षियों के कलरव से गुलजार हुए जलाशय, खींचे चले आ रहे पर्यटक

इसके अलावा घना बर्ड सैंक्चुरी में आने वाले पर्यटकों की वजह से होटल व्यवसायी, रिक्शा चालक, गाइड सभी के रोजगार पर असर देखने को मिल रहा है. वहीं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के रेंजर की माने तो इन सब की वजह मानी जा रही है CAA ( नागरिकता संशोधन कानून ) क्योंकि जब से देश में ये देश में लागू हुआ है, तब से ही देश के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन हो रहा है और कहीं तो हिंसा तक हुई है. इस वजह से घना पक्षी विहार प्रबंधन का मानना है कि इसी हिंसा के चलते पर्यटक घूमने के लिए नहीं आ रहे. जिसका खामियाजा घना पक्षी विहार को भुगतना पड़ेगा.

पिछले साल के आंकड़ों पर एक नजर
पार्क प्रशासन के अनुसार विगत जनवरी महीने में 3196 और फरवरी में 4259 विदेशी पर्यटक यहां आए. इसके अलावा मार्च महीने में 1 मार्च को 1284, 2 मार्च को 44, 3 मार्च को 258, 4 मार्च को 114 और 5 मार्च को 115 विदेशी पर्यटक यहां घूमने आए थे.

पढ़ें- Special: विदेशी पक्षियों से चहचहाने लगा 'केवलादेव', सैलानियों की उमड़ने लगी भीड़

केवलादेव पक्षी उद्यान
केवलादेव पक्षी उद्यान को 1982 में राष्ट्रीय पक्षी उधान की सूची में सम्मलित कर लिया था, बाद में यूनेस्को ने 1985 में इसे विश्व विरासत की सूची में सम्मलित कर लिया था. लेकिन पानी की कमी के चलते पार्क को यूनेस्को ने इसे 2008 में डेंजर जोन में डाल दिया था, लेकिन उसके बाद पार्क में करौली के पांचना बांध से पानी मिलने और बरसात होने के बाद पानी की आवक अच्छी हुई. जिससे यह डेंजर जोन से बाहर निकला.

Intro:स्पेशल स्टोरी


Body:भरतपुर-22-12-2019
एंकर- NRC और CAA बिल लागू होने के बाद देश के अलग अलग शहरों में हिंसा का माहौल है। जो लोग इस बिल को सही नही मान रहे वे लोग जमकर इस बिल का विरोध कर रहे है। बिल को लेकर चल रहे प्रदर्शन का खामियाज़ा भरतपुर के घना पक्षी विहार को झेलना पड़ रहा है। 
दरअसल घना पक्षी बिहार में हर साल सर्दी के सीजन में विदेशी पक्षी आते है। क्योंकि उनके देश मे ज्यादा सर्दी पड़ने कारण बर्फ से सभी झीलें, तालाब और नदियां जम जाती है। जिसकी वजह से उनको पर्याप्त मात्रा में खाना नही मिल पाता उस स्थिति में पक्षी अपने बच्चों के साथ अपने देश को छोड़ कर घना पक्षी बिहार आते है। और दिसंबर और जनवरी के मौसम पक्षियों के लिए अनुकूल रहता है। इसके साथ ही घना पक्षी बिहार में विदेशी पक्षियों के लिए उपयुक्त खाने की व्यवस्था की जाती है। जिसकी वजह से विदेशी पक्षी लगभग दो महीने घना पक्षी बिहार में ही गुजारते है। और इन पक्षियों को देखने के लिए यहाँ देश के अलग-अलग राज्यो और विदेशों से पर्यटक भी आते है। जो इन विदेशी पक्षियों का दीदार करते है। लेकिन इस साल घना पक्षी बिहार में आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है। जिसकी वजह से घना पक्षी बिहार प्रबंधन में चिंता बढ़ गई है। इसके अलावा घना पक्षी बिहार में आने वाले पर्यटकों की बजह से होटल व्यवसायी, रिक्शा चालक, गाइड पर भी असर देखने को मिल रहा है। इन सभी के सामने रोजगार का बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। 
     लेकिन उनके भी रोजगार पर काफी असर देखने को मिल रहा है। और इस सब की वजह मानी जा रही है NRC और CAA का बिल क्योंकि जब से  देश में ये दोनों बिल लागू हुए है। तब से देश के अलग अलग शहरों में प्रदर्शन हो रहा है और कही तो हिंसा तक हुई है। इस वजह से घना पक्षी बिहार प्रबंधन का मानना है कि इसी हिंसा के चलते पर्यटक घूमने के लिए नही आ रहे। जिसका खामियाजा इस साल घना पक्षी विहार को भुगतना पड़ेगा।
बाइट- सूर्य पाल सिंह, रेंजर
पीटीसी- घना पक्षी बिहार के गेट से। 


Conclusion:
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