ETV Bharat / city

मां का दर्दः साहब...कोरोना में बेरोजगार हो गए, अब कोई दे जाता है तो बच्चों को खिला देते हैं

आखिरकार बताएं तो बताएं कैसे, इन मजदूरों का दर्द. कोई कहता है खाने को नहीं तो कोई कहता है पानी तक पीने को नहीं. इतना ही नहीं गजब तो तब हो गया, जब मजदूरों ने कहा जब कोई आकर खाना दे जाता है तो हम बच्चों को खिला देते हैं.

bharatpur news  laborers stranded in bharatpur  laborers trapped in bharatpur  labor pain
भरतपुर में मजदूरों की व्यथा...
author img

By

Published : Apr 15, 2020, 8:09 PM IST

भरतपुर. कोरोना संकट हालांकि सभी के लिए एक मुसीबत बना हुआ है. ऐसे में खासकर उन लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जो दूसरे राज्यों से यहां आकर मजदूरी कर रहे हैं. साथ ही अपने परिवारों के साथ रह रहे हैं. जहां ठेकेदारों के काम बंद हो गए तो मजदूरों को भी खाने पीने का संकट आ गया है.

भरतपुर में मजदूरों की व्यथा...

क्योंकि लॉकडाउन में न तो उनको अपने घरों को जाने की इजाजत है और न ही यहां कोई रोजगार मिल रहा है. इसलिए यदि कोई खाने को दे देता है तो खा लेते हैं. मगर रात को मच्छरों की बजह से न तो वे सो पाते हैं और न ही उनके बच्चे.

यह भी पढ़ेंः पलायन कर रहे मजदूरों की बेबसी, कहा- न खाने को आटा न पीने को पानी, 33 लोगों में सिर्फ आधा किलो दे गए तेल

आपको बता दें कि भरतपुर में सैकड़ों मजदूर बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित अनेकों राज्यों से यहां आकर ठेकेदारों के चल रहे कार्यों में मजदूरी कर रहे थे. मगर काम धंधे ठप्प होने के कारण अब बाहर के ये मजबूर वहीं सड़क किनारे ही जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं. जहां उनके बच्चे और पत्नी भी साथ हैं. हालांकि वे अपने घरों को जाना चाहते हैं, मगर इन्तजार कर रहे हैं कि कोरोना संकट थम जाए और लॉकडाउन खुल जाए तो वे लोग अपने घरों को जा सकें.

जब बयां किया अपना दर्द...

इन मजदूरों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि कोरोना ने उनका रोजगार छीन लिया और जिस काम के लिए वे लोग मजदूरी कर रहे थे, वह भी अब बंद पड़ा है. वे लोग अपने परिवार के साथ रह रहे हैं, जहां कोई न कोई हालांकि उनको राशन दे जाते हैं. मगर रात को मच्छर उनको और बच्चों को सोने नहीं देते. वे लोग दूर-दराज से पीने का पानी लाकर प्यास बुझाते हैं. साथ ही जो मिल जाता है, उसको खा लेते हैं. मगर घरों की याद सता रही है और वे लोग अपने घरों को जाना चाहते हैं. मगर क्या करें, क्योंकि कोरोना का लॉकडाउन उनको घर जाने की इजाजत नहीं दे रहा.

शहर में कई जगह मथुरा बाइपास पर सड़क किनारे जहां जगह मिली ये लोग वहीं अपने बच्चों को लेकर रह रहे हैं और अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. साथ ही इस इन्तजार में हैं कि कोरोना संकट जल्द थम जाए, जिससे उनका जीवन फिर से पटरी पर आ सके.

भरतपुर. कोरोना संकट हालांकि सभी के लिए एक मुसीबत बना हुआ है. ऐसे में खासकर उन लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जो दूसरे राज्यों से यहां आकर मजदूरी कर रहे हैं. साथ ही अपने परिवारों के साथ रह रहे हैं. जहां ठेकेदारों के काम बंद हो गए तो मजदूरों को भी खाने पीने का संकट आ गया है.

भरतपुर में मजदूरों की व्यथा...

क्योंकि लॉकडाउन में न तो उनको अपने घरों को जाने की इजाजत है और न ही यहां कोई रोजगार मिल रहा है. इसलिए यदि कोई खाने को दे देता है तो खा लेते हैं. मगर रात को मच्छरों की बजह से न तो वे सो पाते हैं और न ही उनके बच्चे.

यह भी पढ़ेंः पलायन कर रहे मजदूरों की बेबसी, कहा- न खाने को आटा न पीने को पानी, 33 लोगों में सिर्फ आधा किलो दे गए तेल

आपको बता दें कि भरतपुर में सैकड़ों मजदूर बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित अनेकों राज्यों से यहां आकर ठेकेदारों के चल रहे कार्यों में मजदूरी कर रहे थे. मगर काम धंधे ठप्प होने के कारण अब बाहर के ये मजबूर वहीं सड़क किनारे ही जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं. जहां उनके बच्चे और पत्नी भी साथ हैं. हालांकि वे अपने घरों को जाना चाहते हैं, मगर इन्तजार कर रहे हैं कि कोरोना संकट थम जाए और लॉकडाउन खुल जाए तो वे लोग अपने घरों को जा सकें.

जब बयां किया अपना दर्द...

इन मजदूरों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि कोरोना ने उनका रोजगार छीन लिया और जिस काम के लिए वे लोग मजदूरी कर रहे थे, वह भी अब बंद पड़ा है. वे लोग अपने परिवार के साथ रह रहे हैं, जहां कोई न कोई हालांकि उनको राशन दे जाते हैं. मगर रात को मच्छर उनको और बच्चों को सोने नहीं देते. वे लोग दूर-दराज से पीने का पानी लाकर प्यास बुझाते हैं. साथ ही जो मिल जाता है, उसको खा लेते हैं. मगर घरों की याद सता रही है और वे लोग अपने घरों को जाना चाहते हैं. मगर क्या करें, क्योंकि कोरोना का लॉकडाउन उनको घर जाने की इजाजत नहीं दे रहा.

शहर में कई जगह मथुरा बाइपास पर सड़क किनारे जहां जगह मिली ये लोग वहीं अपने बच्चों को लेकर रह रहे हैं और अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. साथ ही इस इन्तजार में हैं कि कोरोना संकट जल्द थम जाए, जिससे उनका जीवन फिर से पटरी पर आ सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.