भरतपुर. कबड्डी भारत के प्राचीन और गांव-गांव में खेले जाने वाले खेलों में शुमार है. इस खेल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान जनार्दन गहलोत ने ही दिलाई थी. वे चाहते थे कि कबड्डी ओलंपिक में खेला जाए. ईटीवी भारत से उन्होंने कहा कि जिन कबड्डी खिलाड़ियों को टूर्नामेंट के दौरान सरकारी स्कूलों में रुकवाया जाता था, वे आज फाइव स्टार होटलों में रुक रहे हैं और आईपीएल जैसी कबड्डी लीग खेल रहे हैं.
68 वीं सीनियर राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता के उद्घाटन कार्यक्रम में मार्च महीने में भरतपुर आए जनार्दन गहलोत ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में कहा था कि वर्षों पहले तक कबड्डी भारत के गांव तक खेला जाता था, लेकिन आज यह खेल दुनिया के 33 देशों में खेला जा रहा है.
क्या चाहते थे जनार्दन
एशिया कबड्डी संघ के अध्यक्ष रहे जनार्दन गहलोत ने कहा था कि वर्ष 1984 तक देश में कबड्डी खेल को कोई पहचान नहीं मिली थी, कबड्डी खेल जीरो था. ना ही इसको ऑफिशियल गेम के रूप में कहीं शामिल किया गया था. लेकिन कबड्डी संघ ने इसे ऑफिशियल गेम में जुड़वाया. जनार्दन गहलोत की ख्वाहिश थी कि कबड्डी को एशियन गेम में जुड़वाने के बाद अब इसे इंटरनेशनल गेम में जुड़वा कर ओलंपिक तक ले जाना है.
ईटीवी के साथ साझा की थी कई यादें
जनार्दन गहलोत ने ईटीवी के साथ पुरानी यादें साझा करते हुए कहा था कि जब तक देश और विदेश में कबड्डी को पहचान नहीं मिली थी तब तक कबड्डी के खिलाड़ी बिना रिजर्वेशन के ट्रेन में यात्रा करते थे. लेकिन आज हवाई यात्रा करते हैं. एक वक्त था जब कबड्डी के खिलाड़ी सरकारी स्कूलों के दबड़ों में पड़े रहते थे और एक -एक दरी पट्टी के लिए लड़ते थे. लेकिन आज फाइव स्टार होटलों में ठहरते हैं.
उन्होंने कहा था कि अब ना केवल देश में बल्कि एशिया भर में कबड्डी खेल और खिलाड़ियों को विशेष पहचान मिल चुकी है. आज क्रिकेट के आईपीएल की तर्ज पर अब कबड्डी के केपीएल/कबड्डी लीग भी आयोजित होते हैं.
गौरतलब है कि जनार्दन गहलोत राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके थे. भारतीय ओलंपिक संघ में पदाधिकारी के साथ ही एशिया कबड्डी संघ के अध्यक्ष भी रहे थे. बुधवार को 76 वर्ष की उम्र में जनार्दन सिंह गहलोत का निधन हो गया.