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सरकार शास्त्रीयता को बढ़ावा दे, क्लासिकल आर्टिस्टों पर भी बने वेब सीरीज: गौरी दिवाकर

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Published : Sep 1, 2022, 8:55 PM IST

Updated : Sep 1, 2022, 10:46 PM IST

भरतपुर आई अंतरराष्ट्रीय कथक डांसर एवं कोरियोग्राफर गौरी दिवाकर ने आज के जमाने में क्लासिकल (Kathak Dancer Gauri Diwakar in Bharatpur) आर्टिस्ट और शास्त्रीयता को बढ़ावा देने की बात कही. उन्होंने कहा कि वेब सीरीज में भी क्लासिकल आर्टिस्टों शामिल किया जाए ताकि आज के जनरेशन को इस आर्ट फॉर्म से जोड़ा जा सके.

Kathak Dance in Bollywood
भरतपुर में कथक डांसर गौरी दिवाकर

भरतपुर. स्पिक मैके के तहत प्रस्तुति देने भरतपुर आई अंतरराष्ट्रीय कथक डांसर एवं कोरियोग्राफर गौरी दिवाकर ने सरकार से (Kathak Dancer Gauri Diwakar in Bharatpur) शास्त्रीयता को बढ़ावा देने और शास्त्रीय संस्थानों को ग्रांट देने की मांग की है. साथ ही उन्होंने कहा है कि वेब सीरीज में फूहड़ता को काफी स्थान दिया जाता है, लेकिन शास्त्रीयता को स्थान नहीं मिलता. इसलिए क्लासिकल आर्टिस्टों पर भी वेब सीरीज तैयार होनी चाहिए, जिससे देश के ज्यादा से ज्यादा यूथ को इससे जोड़ा जा सके.

बॉलीवुड में अच्छी संभावना: कथक नृत्यांगना गौरी दिवाकर ने बताया कि फिल्मों में कथक डांसर के लिए कोरियोग्राफर के तौर पर संभावनाएं काफी अच्छे हैं. क्योंकि बॉलीवुड इंडस्ट्री में अधिकतर कोरियोग्राफर कथक डांसर हैं. ऐसे में कह सकते हैं कि आधार मजबूत हो तो भविष्य भी अच्छा हो सकता है. जिस तरह से बिना राग के कोई गायन नहीं हो सकता, उसी तरह से बिना ताल के कोई डांस नहीं होता है.

कथक डांसर एवं कोरियोग्राफर गौरी दिवाकर ने की ये मांग..

युवाओं में कथक का क्रेज: कथक नृत्यांगना गौरी दिवाकर ने बताया कि आजकल युवाओं में कत्थक का अच्छा क्रेज देखने को (Kathak Dance in Bollywood) मिल रहा है. चाहे लखनऊ घराना हो या फिर जयपुर घराना हर जगह कत्थक के स्टूडेंट्स की संख्या काफी अच्छी है. आजकल रियलिटी शो में भी जो डांसर पहुंचते हैं, वो कत्थक की बेसिक शिक्षा लेने के बाद पहुंच रहे हैं. इसलिए युवाओं में शास्त्रीयता के साथ क्लासिकल का आधार मजबूत होना बेहद जरूरी है.

पढ़ें. कालबेलिया डांसर पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने कार्यक्रम में बांधा समां...

सरकार शास्त्रीयता को बढ़ावा दे: एक सवाल के जवाब में गौरी दिवाकर ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो शास्त्रीयता को बढ़ावा दे. शास्त्रीय संगीत और नृत्य से संबंधित जो भी इंस्टिट्यूट संचालित हैं, उन्हें ग्रांट प्रदान की जाए. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड और स्पोर्ट्स की जितनी अधिक भी व्यूअरशिप है, उतनी शास्त्रीय की नहीं है. क्योंकि यहां पर पैसों की कमी है. जिस तरह से एक स्कूल और अस्पताल चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है, उसी तरह से क्लासिकल आर्टिस्ट को भी पैसों की जरूरत होती है. उसके बिना क्लासिकल इंस्टिट्यूट नहीं चला सकते.

मेरे लिए कथक मेडिटेशन: गौरी दिवाकर ने कहा कि उनके लिए कथक डांस एक मेडिटेशन है. उन्हें कथक डांस (Gauri Diwakar on Classical dance) करने के बाद योगा या किसी तरह की जरूरत नहीं होती. वेस्टर्न म्यूजिक को लेकर गौरी दिवाकर ने कहा कि किसी भी संगीत में शोर की अधिकता ठीक नहीं. शास्त्रीय संगीत सुकून देने वाला है.

बच्चों को सिखाई कथक मुद्रा: निजी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में गौरी दिवाकर ने अपनी प्रस्तुति के दौरान स्कूल के छात्र छात्राओं को कथक नृत्य की विभिन्न मुद्राओं की जानकारी दी. इनमें सर्प मुद्रा, मृग, मत्स्य आदि के बारे में बताया गया. साथ ही कथक नृत्य को लेकर विद्यार्थियों के सवालों के जवाब भी दिए.

भरतपुर. स्पिक मैके के तहत प्रस्तुति देने भरतपुर आई अंतरराष्ट्रीय कथक डांसर एवं कोरियोग्राफर गौरी दिवाकर ने सरकार से (Kathak Dancer Gauri Diwakar in Bharatpur) शास्त्रीयता को बढ़ावा देने और शास्त्रीय संस्थानों को ग्रांट देने की मांग की है. साथ ही उन्होंने कहा है कि वेब सीरीज में फूहड़ता को काफी स्थान दिया जाता है, लेकिन शास्त्रीयता को स्थान नहीं मिलता. इसलिए क्लासिकल आर्टिस्टों पर भी वेब सीरीज तैयार होनी चाहिए, जिससे देश के ज्यादा से ज्यादा यूथ को इससे जोड़ा जा सके.

बॉलीवुड में अच्छी संभावना: कथक नृत्यांगना गौरी दिवाकर ने बताया कि फिल्मों में कथक डांसर के लिए कोरियोग्राफर के तौर पर संभावनाएं काफी अच्छे हैं. क्योंकि बॉलीवुड इंडस्ट्री में अधिकतर कोरियोग्राफर कथक डांसर हैं. ऐसे में कह सकते हैं कि आधार मजबूत हो तो भविष्य भी अच्छा हो सकता है. जिस तरह से बिना राग के कोई गायन नहीं हो सकता, उसी तरह से बिना ताल के कोई डांस नहीं होता है.

कथक डांसर एवं कोरियोग्राफर गौरी दिवाकर ने की ये मांग..

युवाओं में कथक का क्रेज: कथक नृत्यांगना गौरी दिवाकर ने बताया कि आजकल युवाओं में कत्थक का अच्छा क्रेज देखने को (Kathak Dance in Bollywood) मिल रहा है. चाहे लखनऊ घराना हो या फिर जयपुर घराना हर जगह कत्थक के स्टूडेंट्स की संख्या काफी अच्छी है. आजकल रियलिटी शो में भी जो डांसर पहुंचते हैं, वो कत्थक की बेसिक शिक्षा लेने के बाद पहुंच रहे हैं. इसलिए युवाओं में शास्त्रीयता के साथ क्लासिकल का आधार मजबूत होना बेहद जरूरी है.

पढ़ें. कालबेलिया डांसर पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने कार्यक्रम में बांधा समां...

सरकार शास्त्रीयता को बढ़ावा दे: एक सवाल के जवाब में गौरी दिवाकर ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो शास्त्रीयता को बढ़ावा दे. शास्त्रीय संगीत और नृत्य से संबंधित जो भी इंस्टिट्यूट संचालित हैं, उन्हें ग्रांट प्रदान की जाए. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड और स्पोर्ट्स की जितनी अधिक भी व्यूअरशिप है, उतनी शास्त्रीय की नहीं है. क्योंकि यहां पर पैसों की कमी है. जिस तरह से एक स्कूल और अस्पताल चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है, उसी तरह से क्लासिकल आर्टिस्ट को भी पैसों की जरूरत होती है. उसके बिना क्लासिकल इंस्टिट्यूट नहीं चला सकते.

मेरे लिए कथक मेडिटेशन: गौरी दिवाकर ने कहा कि उनके लिए कथक डांस एक मेडिटेशन है. उन्हें कथक डांस (Gauri Diwakar on Classical dance) करने के बाद योगा या किसी तरह की जरूरत नहीं होती. वेस्टर्न म्यूजिक को लेकर गौरी दिवाकर ने कहा कि किसी भी संगीत में शोर की अधिकता ठीक नहीं. शास्त्रीय संगीत सुकून देने वाला है.

बच्चों को सिखाई कथक मुद्रा: निजी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में गौरी दिवाकर ने अपनी प्रस्तुति के दौरान स्कूल के छात्र छात्राओं को कथक नृत्य की विभिन्न मुद्राओं की जानकारी दी. इनमें सर्प मुद्रा, मृग, मत्स्य आदि के बारे में बताया गया. साथ ही कथक नृत्य को लेकर विद्यार्थियों के सवालों के जवाब भी दिए.

Last Updated : Sep 1, 2022, 10:46 PM IST
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