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स्पेशल: कोरोना काल में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए लोग, ठप पड़े साइकिल व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

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Published : Aug 5, 2020, 10:19 PM IST

साइकिल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी है. यह पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए भी अनुकूल है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि साइकिल चलाना एक अद्भुत कसरत है और आपको फिजिकली भी फिट रखता है. यह एक स्वस्थ जीवन शैली को आकार देने में भी मदद करती है. हम आपको बताएंगे कि लॉकडाउन में साइकिल व्यवसाय किस तरह से ठप रहा और अब क्यों और कैसे इस व्यवसाय को एक बार फिर से गति मिली है.

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साइकिल व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

भरतपुर. कोरोना संक्रमण के चलते लंबे समय तक रहे लॉकडाउन में लोगों की जीवनशैली बदल गई. लंबे समय तक लोगों का घूमना फिरना, एक्सरसाइज करना और जिम जाना बंद हो गया. ऐसे में लोगों का वजन भी बढ़ने लगा, लेकिन बीमारी के इस दौर में अब लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक हो गए हैं. यही वजह है कि अब लोगों में खुद को फिट रखने के लिए साइकिल का क्रेज बढ़ने लगा है. कोरोना संक्रमण के इस दौर में हर व्यवसाय पर नकारात्मक असर दिखा है, लेकिन साइकिल व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है. जो कि इस दौर में भी अपनी रफ्तार से चल रहा है.

साइकिल व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

भरतपुर शहर के साइकिल व्यवसायी सुखदेव चौधरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते दो महीने तक पूरी तरह से लॉकडाउन रहा. उस दौरान साइकिल व्यवसाय भी पूरी तरह से ठप रहा. हालात यह हो गए कि कर्मचारियों के लिए पैसा देना और शोरूम का किराया चुकाना भारी पड़ गया.

यह भी पढ़ेंः Special: भरतपुर के 38 निजी अस्पताल आए आगे, कोरोना मरीजों के उपचार के लिए तैयार

साइकिल व्यवसायी सुखदेव ने बताया कि गर्मियों के मौसम में स्कूल खुलते ही सबसे ज्यादा साइकिल की बिक्री स्कूल स्टूडेंट्स के लिए होती है. लेकिन कोरोना के कारण जहां दो महीने तक बाजार बंद रहे. वहीं सभी स्कूल और महाविद्यालय भी बंद रहे. ऐसे में सबसे बड़ा उपभोक्ता वर्ग साइकिल खरीदने नहीं पहुंच पाया. सिर्फ दो महीने के लॉकडाउन में भरतपुर शहर के साइकिल व्यवसाय को करीब डेढ़ करोड़ का घाटा हुआ.

अनलॉक होते ही दोगुना गति से हुई बिक्री

साइकिल व्यवसायी सतीश ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जैसे ही अनलॉक हुआ तो लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैली. अनलॉक होते ही खुद को फिट करने के लिए लोग काफी अच्छी संख्या में साइकिल खरीदने लगे. यहां तक कि लॉकडाउन के दौरान साइकिल व्यवसायियों को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई अनलॉक होते ही हो गई.

माल कम, मांग ज्यादा

साइकिल व्यवसायी सतीश ने बताया कि फिलहाल लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के कारण साइकिल की मांग काफी बढ़ गई है. लेकिन लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के चलते कंपनी से बाजार तक माल पहुंचना मुश्किल हो रहा है. फिलहाल काफी कम मात्रा में माल बाजार पहुंच पा रहा है. यही वजह है कि साइकिल की मांग काफी ज्यादा है और माल कम है. लेकिन अब जल्द ही माल की सप्लाई भी पूरी गति से होने लगेगी. शहर में साइकिल की सप्लाई लुधियाना, चेन्नई, दिल्ली और गाजियाबाद से होती है.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL: भरतपुर से कोरोना को भगाने के लिए मेडिकल डिपार्टमेंट का टारगेट, अब से रोजाना होंगे 700 से 900 टेस्ट

साइकिल खरीदने आए उपभोक्ता हिमांशु ने बताया कि वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते कॉलेज बंद है. ऐसे में वह बीते कई महीने से घर पर ही हैं. इससे उनका वजन भी बढ़ गया और कई परेशानियां आने लगी. लेकिन अब अनलॉक होने के बाद खुद के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए नियमित रूप से साइकलिंग करेंगे और इसीलिए वे साइकिल खरीदने आए हैं.

भरतपुर. कोरोना संक्रमण के चलते लंबे समय तक रहे लॉकडाउन में लोगों की जीवनशैली बदल गई. लंबे समय तक लोगों का घूमना फिरना, एक्सरसाइज करना और जिम जाना बंद हो गया. ऐसे में लोगों का वजन भी बढ़ने लगा, लेकिन बीमारी के इस दौर में अब लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक हो गए हैं. यही वजह है कि अब लोगों में खुद को फिट रखने के लिए साइकिल का क्रेज बढ़ने लगा है. कोरोना संक्रमण के इस दौर में हर व्यवसाय पर नकारात्मक असर दिखा है, लेकिन साइकिल व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है. जो कि इस दौर में भी अपनी रफ्तार से चल रहा है.

साइकिल व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

भरतपुर शहर के साइकिल व्यवसायी सुखदेव चौधरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते दो महीने तक पूरी तरह से लॉकडाउन रहा. उस दौरान साइकिल व्यवसाय भी पूरी तरह से ठप रहा. हालात यह हो गए कि कर्मचारियों के लिए पैसा देना और शोरूम का किराया चुकाना भारी पड़ गया.

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साइकिल व्यवसायी सुखदेव ने बताया कि गर्मियों के मौसम में स्कूल खुलते ही सबसे ज्यादा साइकिल की बिक्री स्कूल स्टूडेंट्स के लिए होती है. लेकिन कोरोना के कारण जहां दो महीने तक बाजार बंद रहे. वहीं सभी स्कूल और महाविद्यालय भी बंद रहे. ऐसे में सबसे बड़ा उपभोक्ता वर्ग साइकिल खरीदने नहीं पहुंच पाया. सिर्फ दो महीने के लॉकडाउन में भरतपुर शहर के साइकिल व्यवसाय को करीब डेढ़ करोड़ का घाटा हुआ.

अनलॉक होते ही दोगुना गति से हुई बिक्री

साइकिल व्यवसायी सतीश ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जैसे ही अनलॉक हुआ तो लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैली. अनलॉक होते ही खुद को फिट करने के लिए लोग काफी अच्छी संख्या में साइकिल खरीदने लगे. यहां तक कि लॉकडाउन के दौरान साइकिल व्यवसायियों को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई अनलॉक होते ही हो गई.

माल कम, मांग ज्यादा

साइकिल व्यवसायी सतीश ने बताया कि फिलहाल लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के कारण साइकिल की मांग काफी बढ़ गई है. लेकिन लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के चलते कंपनी से बाजार तक माल पहुंचना मुश्किल हो रहा है. फिलहाल काफी कम मात्रा में माल बाजार पहुंच पा रहा है. यही वजह है कि साइकिल की मांग काफी ज्यादा है और माल कम है. लेकिन अब जल्द ही माल की सप्लाई भी पूरी गति से होने लगेगी. शहर में साइकिल की सप्लाई लुधियाना, चेन्नई, दिल्ली और गाजियाबाद से होती है.

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साइकिल खरीदने आए उपभोक्ता हिमांशु ने बताया कि वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते कॉलेज बंद है. ऐसे में वह बीते कई महीने से घर पर ही हैं. इससे उनका वजन भी बढ़ गया और कई परेशानियां आने लगी. लेकिन अब अनलॉक होने के बाद खुद के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए नियमित रूप से साइकलिंग करेंगे और इसीलिए वे साइकिल खरीदने आए हैं.

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