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Fraud on OLX: सेना के जवान बनकर कर रहे थे ठगी, आरोपियों की तलाश में पुलिस

भरतपुर में मिलिट्री इंटेलिजेंस और स्थानीय पुलिस ने ऐसे ठगों को चिह्नित किया है जो खुद को सेना का जवान बताकर लोगों से ठगी करने में लगे (Online thugs in Bharatpur) थे. इस गिरोह में शामिल लोग पुराने सामानों को ऑनलाइन बेचने में इस तरह की धोखाधड़ी कर रहे थे. मिलिट्री इंटेलिजेंस ने स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपियों की पहचान कर दबिश दी, लेकिन आरोपी फरार हो गए. अब पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है.

Fraud in the name of army soldiers in Bharatpur
सेना के जवान बन ओएलएक्स पर कर रहे थे ठगी, आरोपियों की तलाश में पुलिस
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Published : Apr 28, 2022, 12:08 AM IST

भरतपुर. जिले के मेवात क्षेत्र के ठग खुद को सेना का जवान बताकर ऑनलाइन ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. मिलिट्री इंटेलिजेंस और स्थानीय पुलिस ने ऑनलाइन मार्केट में सेना के जवानों के पहचान पत्रों का दुरुपयोग कर ठगों द्वारा भोले-भाले लोगों के साथ ठगी करने वाले गिरोह को चिह्नित किया (Fraud in the name of army soldiers in Bharatpur) है. इस गिरोह में शामिल लोग पुराने सामानों को ऑनलाइन बेचकर धोखाधड़ी कर रहे थे. मिलिट्री इंटेलिजेंस ने स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपियों की पहचान कर दबिश दी, लेकिन आरोपी फरार हो गए. अब पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है.

सेना के आईडी कार्ड से देते हैं झांसा: इस धोखाधड़ी के खेल में जवानों का आईडी कार्ड, कैंटीन कार्ड और आधार कार्ड (हरियाणा,राजस्थान व उत्तरप्रदेश का पता) तक का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसमें इंडियन आर्मी अंकित फर्जी कूरियर रसीदें का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी सूचना पर मिलिट्री इंटेलीजेंस भरतपुर की टीम ने भरतपुर जिले के कामां सर्किल पुलिस उपाधीक्षक प्रदीप यादव के निर्देशन में टीम गठित की. पुलिस टीमों व थानाधिकारी जुरहरा संतोष शर्मा के नेतृत्व में संयुक्त कार्रवाई करते हुए ठगी करने वाले गिरोह में संलिप्त लोगों की पहचान करने के लिए शोयब से संदिग्ध मोबाइल नंबरों की पूछताछ की.

पढ़ें: केबीसी लॉटरी के नाम पर हो रहा साइबर ठगी, 25 लाख की लॉटरी जीतने का झांसा देकर ठग बना रहे शिकार, जानिए बचने के तरीके

ठगी के मास्टरमाइंड की पहचान सनाउल्लाह एवं इरफान के रूप में की गई़. सूचना पर पहुंची पुलिस को देख दोनों आरोपी फरार हो गए. जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए गठित टीमों द्वारा लगातार उनके सम्भावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है. पुराने सामान की खरीद-फरोख्त करने वाली ऑनलाइन वेबसाइट पर इस गिरोह के सदस्यों ने कई तरह के सामान खासकर मोबाइल अपलोड कर रखे हैं. इनकी कीमत सामान्य से कम रखते हैं. कम कीमत देखकर लोग आकर्षित होते हैं. बात होने पर ये ठग खुद की पहचान सेना के जवान के रूप में बताते हैं. इसके लिए संबंधित जवान का आर्मी द्वारा जारी पहचान पत्र, आधार कार्ड और कैंटीन कार्ड तक खरीदने की इच्छा जताने वाले व्यक्ति को व्हॉटसएप पर भेज दिया जाता है.

पढ़ें: Jagte Raho: ऑनलाइन पेमेंट एप्स के रेप्लिका एप से रहें सावधान...साइबर ठग ऐसे बना रहे शिकार

डील फाइनल होने पर संबंधित व्यक्ति को मोबाइल का मूल्य संबंधित अकाउंट में पेटीएम करने को कहा जाता है. उसके बाद संबंधित मोबाइल की पैकिंग व उसे खरीददार के पते पर कूरियर करने की रसीद की फोटो तक खरीददार को भेजी जाती है. ताकि उसका भरोसा और पुख्ता हो जाए. कई कुरियर रसीद के हेडर पर इंडियन आर्मी तक छपा है और उस पर पता इंडियन आर्मी कैंप जैसलमेर का लिखा है. बाद में न तो खरीददार के पास मोबाइल पहुंचता है और न ही पेटीएम किया पैसा वापस आता है. संबंधित मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ हो जाते हैं और वही फोन किसी दूसरे नंबर से फिर ऑनलाइन मार्केट में अपलोड कर दिया जाता है.

भरतपुर. जिले के मेवात क्षेत्र के ठग खुद को सेना का जवान बताकर ऑनलाइन ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. मिलिट्री इंटेलिजेंस और स्थानीय पुलिस ने ऑनलाइन मार्केट में सेना के जवानों के पहचान पत्रों का दुरुपयोग कर ठगों द्वारा भोले-भाले लोगों के साथ ठगी करने वाले गिरोह को चिह्नित किया (Fraud in the name of army soldiers in Bharatpur) है. इस गिरोह में शामिल लोग पुराने सामानों को ऑनलाइन बेचकर धोखाधड़ी कर रहे थे. मिलिट्री इंटेलिजेंस ने स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपियों की पहचान कर दबिश दी, लेकिन आरोपी फरार हो गए. अब पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है.

सेना के आईडी कार्ड से देते हैं झांसा: इस धोखाधड़ी के खेल में जवानों का आईडी कार्ड, कैंटीन कार्ड और आधार कार्ड (हरियाणा,राजस्थान व उत्तरप्रदेश का पता) तक का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसमें इंडियन आर्मी अंकित फर्जी कूरियर रसीदें का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी सूचना पर मिलिट्री इंटेलीजेंस भरतपुर की टीम ने भरतपुर जिले के कामां सर्किल पुलिस उपाधीक्षक प्रदीप यादव के निर्देशन में टीम गठित की. पुलिस टीमों व थानाधिकारी जुरहरा संतोष शर्मा के नेतृत्व में संयुक्त कार्रवाई करते हुए ठगी करने वाले गिरोह में संलिप्त लोगों की पहचान करने के लिए शोयब से संदिग्ध मोबाइल नंबरों की पूछताछ की.

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ठगी के मास्टरमाइंड की पहचान सनाउल्लाह एवं इरफान के रूप में की गई़. सूचना पर पहुंची पुलिस को देख दोनों आरोपी फरार हो गए. जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए गठित टीमों द्वारा लगातार उनके सम्भावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है. पुराने सामान की खरीद-फरोख्त करने वाली ऑनलाइन वेबसाइट पर इस गिरोह के सदस्यों ने कई तरह के सामान खासकर मोबाइल अपलोड कर रखे हैं. इनकी कीमत सामान्य से कम रखते हैं. कम कीमत देखकर लोग आकर्षित होते हैं. बात होने पर ये ठग खुद की पहचान सेना के जवान के रूप में बताते हैं. इसके लिए संबंधित जवान का आर्मी द्वारा जारी पहचान पत्र, आधार कार्ड और कैंटीन कार्ड तक खरीदने की इच्छा जताने वाले व्यक्ति को व्हॉटसएप पर भेज दिया जाता है.

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डील फाइनल होने पर संबंधित व्यक्ति को मोबाइल का मूल्य संबंधित अकाउंट में पेटीएम करने को कहा जाता है. उसके बाद संबंधित मोबाइल की पैकिंग व उसे खरीददार के पते पर कूरियर करने की रसीद की फोटो तक खरीददार को भेजी जाती है. ताकि उसका भरोसा और पुख्ता हो जाए. कई कुरियर रसीद के हेडर पर इंडियन आर्मी तक छपा है और उस पर पता इंडियन आर्मी कैंप जैसलमेर का लिखा है. बाद में न तो खरीददार के पास मोबाइल पहुंचता है और न ही पेटीएम किया पैसा वापस आता है. संबंधित मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ हो जाते हैं और वही फोन किसी दूसरे नंबर से फिर ऑनलाइन मार्केट में अपलोड कर दिया जाता है.

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